नई दिल्ली : कर्नाटक विधानसभा के परिणामों से उत्साहित कांग्रेस ने कहा है कि उसे कर्नाटक में उसे आराम से बहुमत मिलने का भरोसा है. लेकिन पार्टी ने अपने विधायकों को भाजपा के द्वारा खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए एक कार्य योजना बनाई है. इस बारे में पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि हम राज्य में आराम से बहुमत पाने के लिए आश्वस्त हैं.उन्होंने कहा कि विधायकों की खरीद-फरोख्त को रोकने को लेकर एक वैकल्पिक योजना तैयार की थी जिसे हमने पूरे राज्य में लागू किया है. नव निर्वाचित विधायकों की बैठक रविवार को बेंगलुरु में बुलाई गई है.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक राज्य भर में वरिष्ठ नेताओं की एक टीम बनाई गई है और नवनिर्वाचित विधायकों को शीघ्र से शीघ्र राजधानी बेंगलुरु पहुंचने के लिए कहा गया है. पार्टी के राज्यस्तरीय नेता प्रकाश राठौड़ ने कहा कि इस चुनाव में कई मुद्दे हैं, वहीं नवनिर्वाचित विधायकों में कुछ विधायक प्रार्थना के लिए या घर छोड़ने से पहले परिवार से मिल सकते हैं. हालांकि मतगणना अभी जारी है और उम्मीद है कि दोपहर 12.30 बजे तक तस्वीर साफ हो जाने की उम्मीद है.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के 224 में से 130 सीटों पर पहुंचने की संभावना थी और शनिवार शाम तक सभी विधायकों को बेंगलुरु में पहुंचने के लिए कहा गया है. इसके लिए हेलीकॉप्टर, चार्टर्ड फ्लाइट और वाहनों को पहले से ही तैनात कर दिया गया था. यह योजना शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा तैयार की गई थी, जो कई सप्ताह से अपने गृह राज्य में डेरा डाले हुए हैं और उन्होंने राज्य इकाई के प्रमुख डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया सहित वरिष्ठ नेताओं के साथ मतदान के दिन के कार्यक्रमों पर चर्चा की थी. अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि एक बार जब विधायक बेंगलुरु पहुंचेंगे, तो टीम को एकजुट और सुरक्षित रखने के लिए सभी नए विधायकों की बैठक आयोजित की जाएगी.
हालांकि, पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस विधायक दल की एक और बैठक रविवार को होगी जिसमें एआईसीसी पर्यवेक्षक नए मुख्यमंत्री का फैसला करने से पहले विधायकों के साथ बातचीत करेंगे. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि भाजपा विधायकों की खरीद-फरोख्त में शामिल होने की हिम्मत नहीं करेगी क्योंकि भगवा पार्टी को मतदाताओं ने एक मजबूत सबक दिया है. पार्टी हलकों में लंबे समय से शिव कुमार और सिद्धारमैया की संभावना पर चर्चा हुई है. क्योंकि दोनों ही मजबूत और लोकप्रिय नेता हैं.
प्रदेश अध्यक्ष डीके शिव कुमार एक पार्टी के दिग्गज हैं, जो छात्र संगठन एनएसयूआई से रैंकों के माध्यम से ऊपर आए हैं. वहीं सिद्धारमैया जेडी-एस से कांग्रेस में चले गए और 2013-2018 तक मुख्यमंत्री रहे. लेकिन जब उन्होंने 2018 के चुनावों का नेतृत्व किया तो पार्टी केवल 80 सीटें जीत सकी. फिर शिव कुमार को नए राज्य इकाई प्रमुख के रूप में लाया गया और पार्टी को एक बड़ी जीत दिलाई.
राठौड़ ने कहा कि भाजपा चुनाव नहीं जीतती है, वो सिर्फ सत्ता हासिल करने की कोशिश करती है जैसे उसने 2019 में किया था. लेकिन इस बार उनके पास कोई मौका नहीं है. 2018 में 80 सीटों पर जीत हासिल करने वाली कांग्रेस ने बीजेपी को 104 सीटों पर सत्ता से बाहर रखने के लिए 37 सीटों वाली जेडी-एस को मुख्यमंत्री की कुर्सी की पेशकश की थी. बाद में, बीजेपी ने कांग्रेस के कई विधायकों को खरीद लिया और 2019 में फ्लोर टेस्ट में जेडी-एस-कांग्रेस सरकार को हरा दिया था. बता दें कि एआईसीसी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूरे दक्षिणी राज्य में प्रचार किया था. प्रियंका ने आज हिमाचल प्रदेश में कर्नाटक की भलाई के लिए शिमला में प्रसिद्ध जाखू (भगवान हनुमान) मंदिर में प्रार्थना की.
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