चेन्नै: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हिंदी को लेकर दिए गए बयान पर तमिलनाडु के राजनीतिक दलों के नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. डीएमके की सांसद कनिमोझी ने अमित शाह के सुझाव की निंदा की है. कनिमोझी ने ट्वीट किया कि भाषा थोपने का इस्तेमाल देश को जोड़ने के लिए नहीं, बांटने के लिए किया जाता है. केंद्र सरकार और उसके मंत्रियों को हिंदी विरोधी आंदोलन के इतिहास और बलिदानों को जानना चाहिए.
तमिलनाडु के वित्त मंत्री पी त्यागराजन भी अमित शाह की सलाह को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि हमारेपास तीन भाषा का फॉर्मूला क्यों होना चाहिए? इसका कोई मतलब नहीं है. अमित शाह की टिप्पणी पूरी तरह से तर्कहीन है. उन्होंने कहा कि देश 60 से 70 फीसदी क्षेत्र में हिंदी नहीं बोली जाती है. भाषा को थोपना न सिर्फ अराजकतावाद है बल्कि यह आर्थिक रूप से उलटा तर्क है.
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Why should I've a three-language formula?...It makes no sense...Union HM Amit Shah's comment is completely off logic. Hindi is not intrinsic to at least 60%-70% of country...Not only it is chauvinism but it is economically inverse logic: Tamil Nadu Finance Minister P Thiagarajan pic.twitter.com/oQEdXVDPjr
— ANI (@ANI) April 8, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) April 8, 2022Why should I've a three-language formula?...It makes no sense...Union HM Amit Shah's comment is completely off logic. Hindi is not intrinsic to at least 60%-70% of country...Not only it is chauvinism but it is economically inverse logic: Tamil Nadu Finance Minister P Thiagarajan pic.twitter.com/oQEdXVDPjr
— ANI (@ANI) April 8, 2022
बता दें संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा था कि हिंदी की स्वीकार्यता स्थानीय भाषाओं की नहीं, बल्कि अंग्रेजी के विकल्प के रूप में होनी चाहिए. सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और मंत्रिमंडल का 70 फीसदी एजेंडा अब हिंदी में तैयार किया जाता है. उन्होंने सलाह दी थी कि अलग अलग राज्यों के लोगों को आपस में अंग्रेजी की जगह हिंदी में बात करनी चाहिए. यह निश्चित तौर पर हिंदी के महत्व को बढ़ाएगा. हिंदी को देश की राष्ट्रीय भाषा बनाने का समय आ गया है.
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