नई दिल्ली : केंद्रीय कानून मंत्री किरण रीजीजू (Union Law Minister Kiren Rijiju) ने सोमवार को कहा कि न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के सामने कई चुनौतियां हैं और भारत जैसे विशाल देश में इन समस्याओं से निपटने के लिए इन्हें एकसाथ काम करना होगा. 'सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन' द्वारा शीर्ष अदालत के परिसर में आयोजित 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में उन्होंने कहा कि तब तक व्यवस्था की आलोचना करना या उसके खिलाफ टिप्पणी करना आसान है, जब तक की आप इससे अवगत ना हों या इससे जुड़ाव महसूस ना करें.
रीजीजू ने कहा, 'कोई देश ऐसी चुनौतियों का सामना नहीं कर रहा, जैसी भारत कर रहा है... यह कहना बहुत आसान है कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को ऐसा या वैसा करना चाहिए और न्यायपालिका को दो साल के भीतर मामलों का निपटारा करना चाहिए.'
उन्होंने कहा, 'उसके खिलाफ टिप्पणी करना आसान है, लेकिन यह तब आसान नहीं होता जब आप इसके बारे में अधिक जान जाएं और इससे जुड़ाव महसूस करें. अगर हम एक-दूसरे को नहीं समझेंगे तो हम देश के समक्ष पेश समस्या से कभी नहीं निपट पाएंगे. हमें एकजुट होना ही होगा. इसको लेकर कोई बहाना नहीं बनाया जा सकता.' कानून मंत्री ने 'लक्ष्मण रेखा' का सम्मान करने पर जोर देते हुए कहा कि न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका एक ही व्यवस्था के अलग-अलग अंग हैं और उन्हें एक समान उद्देश्य के लिए निर्बाध रूप से काम करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, 'किसी के संवैधानिक पद पर काबिज होने और अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन कभी-कभी, आपको दूसरे के पक्ष को भी समझना चाहिए.' रीजीजू ने कहा कि वह लंबे समय से संसद का हिस्सा हैं और लोग उनसे लंबित मामलों और न्याय में देरी के बारे में सवाल करते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ कई सारे मुद्दों पर सोशल एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर चर्चा क्यों हो रही है? वे मुझसे भी सवाल करते हैं और कई बार मैं बेबस हो जाता हूं क्योंकि मैं इसका कोई सटीक जवाब नहीं दे सकता क्योंकि मैं न्यायपालिका का सम्मान करता हूं. मैं भी दूसरों की तरह बातें कर सकता हूं, लेकिन मुझे पता है कि मुझे लक्ष्मण रेखा का पालन करना होगा जिसे मैं कभी भी पार करने की हिम्मत नहीं करूंगा.' रीजीजू ने कहा कि कार्यपालिका पर एक बड़ी जिम्मेदारी है और न्यायपालिका के लिए सरकार के सहयोग के बिना काम करना मुश्किल है.
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(पीटीआई-भाषा)