वाशिंगटन: 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले में संलिप्तता के कारण भारत में वांछित तहव्वुर राणा अभी अमेरिका की ही कस्टडी में रहेगा. पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा के व्यक्तिगत प्रत्यर्पण के मामले में लॉस एंजिल्स में एक संघीय न्यायाधीश ने बचाव पक्ष के वकीलों और अभियोजकों को 15 जुलाई तक अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने का आदेश दिया है.
मजिस्ट्रेट जज जैकलीन चुलजियान ने गुरुवार को बचाव पक्ष के वकीलों और अभियोजकों को 15 जुलाई तक अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने का आदेश दिया. राणा संघीय हिरासत में रहेगा.
भारतीय अधिकारियों का आरोप है कि राणा ने अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली के साथ मिलकर पाकिस्तानी आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा, या आर्मी ऑफ द गुड की मदद करने के लिए मुंबई में 2008 के आतंकी हमलों की साजिश रची थी, जिसमें 166 लोग मारे गए थे, 200 से अधिक घायल हुए थे. करीब 1.5 बिलियन अमरीकी डालर का नुकसान हुआ था.
जून 2020 में हुई थी गिरफ्तारी
भारत के अनुरोध पर राणा को मुंबई आतंकवादी हमले में संलिप्तता के आरोप में लॉस एंजिलिस में 10 जून, 2020 को फिर से गिरफ्तार किया गया था. मुंबई हमले में छह अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोग मारे गये थे. भारत ने उसे भगोड़ा घोषित किया है.
पाकिस्तानी मूल का 60 वर्षीय अमेरिकी नागरिक हेडली 2008 के मुंबई हमलों की साजिश रचने में शामिल था. वह मामले में गवाह बन गया था और हमले में अपनी भूमिका के लिए वर्तमान में अमेरिका में 35 साल जेल की सजा काट रहा है.
अमेरिका कर रहा भारत का सहयोग
मामले में अमेरिका का कहना है कि 59 वर्षीय राणा का भारत में प्रत्यर्पण भारत और अमेरिका के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के अनुरूप है. भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक, भारत सरकार ने राणा के औपचारिक प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है और अमेरिका ने प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू कर दी है. अमेरिका सरकार ने दलील दी है कि भारत प्रत्यर्पण के लिए राणा सभी मापदंडों को पूरा करता है.
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अमेरिका ने कहा कि वह राणा को भारत प्रत्यर्पित करने के लिए प्रमाणन का अनुरोध करता है और प्रत्यर्पण अनुरोध में संभावित कारण स्थापित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं तथा राणा ने भारत के अनुरोध को खारिज करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया है.