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दानिश सिद्दीकी को जामिया के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया

अफगानिस्तान में तालिबानी तांडव के कारण भारतीय पत्रकार पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत हो गई. दानिश को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कब्रिस्तान (Jamia Millia Islamia graveyard) में दफनाया गया.

Danish Siddiqui Cremation
Danish Siddiqui Cremation
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Published : Jul 18, 2021, 7:03 PM IST

Updated : Jul 19, 2021, 1:41 AM IST

नई दिल्ली : अफगानिस्तान में मारे गए फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी (Danish Siddiqui) के शव को रविवार को दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कब्रिस्तान (Jamia Millia Islamia graveyard) में सुपुर्द-ए-खाक किया गया, जहां उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिये लोगों को हुजूम उमड़ पड़ा.

दानिश के शव को शाम को दिल्ली हवाई अड्डे पर और बाद में उसे जामिया नगर स्थित उनके आवास पर लाया गया, जहां उनके परिवार और दोस्तों सहित भारी संख्या में लोग जमा हो गए. कोविड-19 नियमों का पालन कराने के लिये इलाके में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था.

भारत पहुंचा दानिश सिद्दीकी का शव
भारत पहुंचा दानिश सिद्दीकी का शव

सिद्दीकी के शव को कब्रिस्तान लाया गया, जहां करीब सवा दस बजे उसे दफन कर दिया गया. सिद्दीकी को श्रद्धांजलि देने के लिये कब्रिस्तान में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.

दिल्ली लाया गया दानिश का पार्थिव शरीर

उनके करीबी दोस्तों ने उनके साथ हुई आखिरी बातचीत और काम से लौटने के बाद उनसे मिलने के वादे को याद किया. कुछ लोगों ने उन्हें अपने बचपन के दोस्त के रूप में याद किया तो कुछ ने अपने गुरु के रूप में, लेकिन उनकी यादों में जो बात आम थी वह यह थी कि वह एक साधारण व्यक्ति थे, जो फोटोग्राफी के शौकीन थे.

सिद्दीकी के एक दोस्त बिलाल जैदी (37) ने कहा, 'मैं उनसे कोविड से पहले मिला था क्योंकि वह हमेशा अपने काम पर रहते थे. पिछले महीने जब वह यहां थे तो उनसे आखिरी बार मिला था.'

सिद्दीकी के बचपन के दोस्त शाहदाब आलम (37) ने कहा कि सिद्दीकी का निधन न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक क्षति है. उन्होंने कहा, 'उन्हें फोटोग्राफी का शौक था और क्रिकेट खेलना पसंद था. मैं उनसे पिछले महीने कुछ मिनटों के लिए मिला था. जब वह असाइनमेंट के लिए जा रहे थे, तो उनसे बात की थी.' स्वतंत्र फोटो पत्रकार मोहम्मद मेहरबान ने अपने गुरु सिद्दीकी को आखिरी बार मैसेज कर पूछा था कि क्या वह ईद-उल-जुहा पर घर आएंगे, और उन्होंने जवाब दिया था, 'इंशाअल्लाह, मैं आऊंगा और तुम्हारे साथ खाऊंगा.'

इससे पहले जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा, 'फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी के परिवार ने उनके शव को विश्वविद्यालय के कब्रिस्तान में दफनाने के जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. यह कब्रिस्तान विशेष तौर पर विश्वविद्यालय के कर्मचारियों, उनके जीवनसाथी और नाबालिग बच्चों के लिए बनाया गया है.'

जामिया से की थी पढ़ाई

सिद्दीकी ने इस विश्वविद्यालय से परास्नातक की उपाधि प्राप्त की थी और उनके पिता अख्तर सिद्दीकी विश्वविद्यालय में शिक्षा संकाय के डीन थे. सिद्दीकी ने वर्ष 2005-2007 में एजेके मास कम्युनिकेशन सेंटर (एमसीआरसी) से पढ़ाई की थी. जामिया शिक्षक संघ ने सिद्दीकी के निधन पर शोक व्यक्त किया है.

दानिश सिद्दीकी से जुड़ी खबरें-


सिद्दीकी को वर्ष 2018 में समाचार एजेंसी रॉयटर्स के लिए काम करने के दौरान पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और गत शुक्रवार को पाकिस्तान की सीमा से लगते अफगानिस्तान के कस्बे स्पीन बोल्दक में उनकी हत्या कर दी गई थी. हत्या के समय वह अफगान विशेष बल के साथ थे.

नई दिल्ली : अफगानिस्तान में मारे गए फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी (Danish Siddiqui) के शव को रविवार को दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कब्रिस्तान (Jamia Millia Islamia graveyard) में सुपुर्द-ए-खाक किया गया, जहां उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिये लोगों को हुजूम उमड़ पड़ा.

दानिश के शव को शाम को दिल्ली हवाई अड्डे पर और बाद में उसे जामिया नगर स्थित उनके आवास पर लाया गया, जहां उनके परिवार और दोस्तों सहित भारी संख्या में लोग जमा हो गए. कोविड-19 नियमों का पालन कराने के लिये इलाके में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था.

भारत पहुंचा दानिश सिद्दीकी का शव
भारत पहुंचा दानिश सिद्दीकी का शव

सिद्दीकी के शव को कब्रिस्तान लाया गया, जहां करीब सवा दस बजे उसे दफन कर दिया गया. सिद्दीकी को श्रद्धांजलि देने के लिये कब्रिस्तान में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.

दिल्ली लाया गया दानिश का पार्थिव शरीर

उनके करीबी दोस्तों ने उनके साथ हुई आखिरी बातचीत और काम से लौटने के बाद उनसे मिलने के वादे को याद किया. कुछ लोगों ने उन्हें अपने बचपन के दोस्त के रूप में याद किया तो कुछ ने अपने गुरु के रूप में, लेकिन उनकी यादों में जो बात आम थी वह यह थी कि वह एक साधारण व्यक्ति थे, जो फोटोग्राफी के शौकीन थे.

सिद्दीकी के एक दोस्त बिलाल जैदी (37) ने कहा, 'मैं उनसे कोविड से पहले मिला था क्योंकि वह हमेशा अपने काम पर रहते थे. पिछले महीने जब वह यहां थे तो उनसे आखिरी बार मिला था.'

सिद्दीकी के बचपन के दोस्त शाहदाब आलम (37) ने कहा कि सिद्दीकी का निधन न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक क्षति है. उन्होंने कहा, 'उन्हें फोटोग्राफी का शौक था और क्रिकेट खेलना पसंद था. मैं उनसे पिछले महीने कुछ मिनटों के लिए मिला था. जब वह असाइनमेंट के लिए जा रहे थे, तो उनसे बात की थी.' स्वतंत्र फोटो पत्रकार मोहम्मद मेहरबान ने अपने गुरु सिद्दीकी को आखिरी बार मैसेज कर पूछा था कि क्या वह ईद-उल-जुहा पर घर आएंगे, और उन्होंने जवाब दिया था, 'इंशाअल्लाह, मैं आऊंगा और तुम्हारे साथ खाऊंगा.'

इससे पहले जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा, 'फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी के परिवार ने उनके शव को विश्वविद्यालय के कब्रिस्तान में दफनाने के जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. यह कब्रिस्तान विशेष तौर पर विश्वविद्यालय के कर्मचारियों, उनके जीवनसाथी और नाबालिग बच्चों के लिए बनाया गया है.'

जामिया से की थी पढ़ाई

सिद्दीकी ने इस विश्वविद्यालय से परास्नातक की उपाधि प्राप्त की थी और उनके पिता अख्तर सिद्दीकी विश्वविद्यालय में शिक्षा संकाय के डीन थे. सिद्दीकी ने वर्ष 2005-2007 में एजेके मास कम्युनिकेशन सेंटर (एमसीआरसी) से पढ़ाई की थी. जामिया शिक्षक संघ ने सिद्दीकी के निधन पर शोक व्यक्त किया है.

दानिश सिद्दीकी से जुड़ी खबरें-


सिद्दीकी को वर्ष 2018 में समाचार एजेंसी रॉयटर्स के लिए काम करने के दौरान पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और गत शुक्रवार को पाकिस्तान की सीमा से लगते अफगानिस्तान के कस्बे स्पीन बोल्दक में उनकी हत्या कर दी गई थी. हत्या के समय वह अफगान विशेष बल के साथ थे.

Last Updated : Jul 19, 2021, 1:41 AM IST
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