देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा फुल फ्लेज में शुरू हो चुकी है. गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ के बाद आज 27 अप्रैल को बदरीनाथ मंदिर के कपाट भी श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए, लेकिन चारधाम यात्रा को लेकर सरकार और प्रशासन की सबसे बड़ी चिंता अगर कुछ थी तो, वह जोशीमठ भू धंसाव से बदले हालात को लेकर थी. जोशीमठ आपदा ने सरकार के माथे पर बल ला दिया था. सरकार सोचने पर मजबूर हो गई थी कि बदरीनाथ जाने वाले हजारों हजार यात्रियों को वह जोशीमठ के रास्ते भला कैसे ले जाएगी ?
यात्रा सीजन से कुछ माह पहले जोशीमठ में बिगड़े हालात ने हर किसी के मन में यह डर बैठा दिया था कि बदरीनाथ के रास्ते पर पड़ने वाला मुख्य पड़ाव जोशीमठ कहीं यात्रा और पहाड़ के लिए खतरा तो नहीं बन जाएगा, लेकिन भगवान बदरी विशाल का चमत्कार कहें या फिर सरकार की तत्परता, क्योंकि जिस जोशीमठ को लेकर देश ही नहीं विदेशों में भी लोग चिंतित थे. उस जोशीमठ में फिलहाल हालात सामान्य हो गए हैं.
जोशीमठ में 668 भवनों में आई दरार: फिलहाल उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बारिश नहीं हो रही है, लेकिन सब कुछ आगे भी सही रहेगा, ऐसा भी नहीं माना जा सकता. क्योंकि बीते दिनों उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में हुई बर्फबारी और बारिश की वजह से जोशीमठ में 2 अप्रैल से 5 अप्रैल तक दरार और चौड़ी होने लगी थी. इतना ही नहीं, जिन पत्थरों और बड़ी-बड़ी शिलाओं को लोहे की रॉड से रोकने की कोशिश की जा रही थी. बारिश के दौरान वह भी नीचे को खिसकना लगी थी. वहीं, जोशीमठ में हुए भू धंसाव की वजह से 668 भवन में दरारें पड़ी हुई हैं. जिन्हें रेड जोन में डाला गया है.
जोशीमठ के घरों में दरारें हुई चौड़ी: जोशीमठ भू धंसाव की वजह से सैकड़ों घरों में दरारें आ गई. जिसकी वजह से लोगों को अपना आशियाना छोड़कर सुरक्षित जगह जाना पड़ा. वहीं, अब इन मकानों में दरारें चौड़ी होने की खबर आ रही थी. सबसे अधिक नुकसान अगर कही हुआ था तो, वह बदरीनाथ के पड़ाव में पड़ने वाले जोशीमठ का सिंहधार, मनोहर बाग, छावनी बाजार और अन्य जगह हैं. जहां पर दरारे चौड़ी होने की शिकायतें सामने आई थी. स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य चलाया और प्रभावित लोगों को फेब्रिकेट भवन बनाकर दिए हैं.
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भू धंसाव से स्थानीयों के जीवन पर असर: जोशीमठ में आई दरारों का सबसे ज्यादा असर वहां के बाशिंदों पर पड़ रहा है. क्योंकि यह साल भर ये लोग चारधाम यात्रा शुरू होने की आस लगाए रहते हैं. गौरतलब है कि जोशीमठ के कई लोगों की आजीविका चारधाम यात्रा पर निर्भर है. चारों धामों के कपाट खुलते ही यहां श्रद्धालु और यात्रियों का आना शुरु हो जाता है, लेकिन इस बार जोशीमठ में हुए भू धंसाव की वजह से यहां दुकानदार, होटल व्यवसायी और अन्य कारोबारी का व्यापार प्रभावित हुआ है.
जोशीमठ में ये है खतरनाक जोन: राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा को देखते हुए बदरीनाथ हाईवे पर लगभग 20 भूस्खलन और एक दर्जन से ज्यादा भू धंसाव वाले जगह चिन्हित किए हैं. इन स्थानों पर लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. साथ ही इस बात पर भी गौर किया जा रहा है कि यात्रियों की भीड़ के दौरान किसी तरह का कोई हादसा यहां घटित नहीं हो. जैसे ही जोशीमठ में बर्फबारी या बूंदाबांदी शुरू होती है, वैसे ही प्रशासन की गतिविधियां भी इन जगहों पर बढ़ जाती है. प्रशासन के मुताबिक चमोली जिले के गोचर से लेकर बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग तक लगभग 131 किलोमीटर लंबी सड़क के बीच यह सभी जगह चिन्हित की गई है. प्रशासन ने अपनी जांच में जोशीमठ में जिन जगहों को सबसे अधिक संवेदनशील माना है, उसमें नंदप्रयाग, मैठाना, चमोली, चाढा, हेलंग चाढ़ा, लांबा गढ़ से जेपी पुल तक की दूरी, हनुमान चट्टी रांगड बैंड के समीप, विष्णु प्रयाग का तैंय पुल, भनार पानी, सहित कई जगह शामिल हैं. यात्रा के दौरान सबसे अधिक प्रशासन की दिक्कतें बढ़ा सकती हैं.
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जोशीमठ के मौजूदा हालातों पर वैज्ञानिकों की राय: भूवैज्ञानिक बीडी जोशी का कहना है कि ये सोचना गलत है कि जोशीमठ में जिस तरह से दरारें बीते महीने आई थी, वह अचानक बंद हो जाएंगी. आने वाले समय में भी इस तरह की सूचनाएं आपको मिलती रहेगी. क्योंकि यह घटना फिलहाल के दिनों में मीडिया या सरकार की नजर में आई हो, लेकिन जोशीमठ सालों से इसी तरह से दरक रहा है. जैसे ही बारिश ऊपरी इलाकों में होगी, आप देखेंगे कि जो लोग अपने घरों को छोड़ कर चले गए हैं, उनमें दरारें और चौड़ी हो जाएंगी. इसके साथ ही बारिश के दौरान अगर बड़ी-बड़ी बसें और वाहन वहां पर ज्यादा समय तक खड़े रहते हैं और पानी का रिसाव होता है तो सड़क और पहाड़ दोनों के दरकने का डर बना रहेगा. इसलिए सरकार और प्रशासन को यह देखना पड़ेगा की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु किस तरह से जोशीमठ के खतरनाक हो चुके रास्तों पर चल रहे हैं या रुक रहे हैं. इन सबकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है. ऐसे में कोई भी यह नहीं चाहेगा कि बदरीनाथ धाम आने वाला श्रद्धालु अपने साथ कोई दुखद याद को लेकर जाए. हालांकि, इस मामले में सरकार ने जिस तरह से तत्परता दिखाई है, वह काबिले तारीफ है. केंद्र सरकार की टीमें लगातार मौके पर भ्रमण कर रही है.
चारधाम यात्रा को लेकर तैयारी पूरी होने का दावा: चमोली जिलाधिकारी हिमांशी खुराना ने बताया कि राज्य सरकार और प्रशासन ने यात्रा को लेकर पूरी तैयारी की हुई है. हमें उम्मीद है कि जोशीमठ भू धंसाव को लेकर भक्तों पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ेगा. रही बात जोशीमठ की तो फिलहाल यहां स्थिति सही है. जो लोग पीड़ित हैं, उनके लिए राज्य सरकार ने अलग से व्यवस्था की है. जोशीमठ में जो कुछ भी हुआ, उसका असर बदरीनाथ की यात्रा पर बिल्कुल नहीं पड़ेगा. बदरीनाथ तक जाने के लिए सभी तरह की सुगम व्यवस्था भक्तों के लिए की गई है. प्रशासन की टीमे सभी जगह पर तैनात हैं. जोशीमठ में भी अलग-अलग जगहों पर टीमों को तैनात किया गया है. अगर बारिश होगी तो हो सकता है कि थोड़ा मलबा और पानी सड़क पर आ जाए. इसके लिए हमने जगह-जगह मशीनों को तैनात किया हुआ है. हम इतना विश्वास दिलाना चाहते हैं कि चारधाम यात्रा पर आने वाला हर एक श्रद्धालु यहां से अच्छी यादें लेकर ही जाएगा.
केंद्रीय टीम कर रही जोशीमठ का निरीक्षण: 2 दिन पहले ही केंद्र की टीम जोशीमठ का निरीक्षण करके लौटी है. केंद्र सरकार भी लगातार जोशीमठ के हालातों पर नजर बनाए हुए हैं. बीते दिनों उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे. तब धामी से प्रधानमंत्री का पहला सवाल जोशीमठ को लेकर ही था. जिसके बाद सीएम ने केंद्र से आर्थिक पैकेज की भी पेशकश की. उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य सरकार के आग्रह पर केंद्र सरकार जोशीमठ को आर्थिक सहायता जल्द ही मुहैया कराएगी.
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जोशीमठ पीड़ितों को यात्रा से उम्मीद: जोशीमठ के प्रभावितों को चारधाम यात्रा से उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है. बदरीनाथ के कपाट खुलते ही वहां जाने वाले भक्त आज भी जोशीमठ में रात बिताना चाहते हैं. जोशीमठ के लगभग 40% होटल और होमस्टे बुक हो गए हैं. आगे भी यात्रा जैसे-जैसे बढ़ेगी, वैसे-वैसे भक्तों की संख्या बढ़ेगी. यात्रा सीजन में जोशीमठ और बदरीनाथ के बीच में पड़ने वाले हर शहर पर इसका असर दिखाई देगा. जोशीमठ और आसपास के क्षेत्र के व्यापारी यात्रा को लेकर काफी उत्साह हैं. उन्हें उम्मीद है कि बीते महीने जोशीमठ में जो कुछ भी हुआ है, उसकी भरपाई चारधाम यात्रा से होगी. बता दें कि जोशीमठ में होटल और होमस्टे की संख्या लगभग 200 है. यहां पर 20 हजार से अधिक श्रद्धालु एक समय में रुक सकते हैं.
जोशीमठ भू धंसाव को लेकर आंदोलन स्थगित: जोशीमठ भू धंसाव को लेकर पिछले 107 दिनों से चल रहा आंदोलन स्थगित हो चुका है. जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले हो रहे इस प्रदर्शन में समिति ने जो मांग रखी थी, उनको फिलहाल जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने मान लिया है. प्रशासन का कहना है कि संघर्ष समिति की जितनी भी मांगे हैं, उनको 11 मई तक ठोस कार्रवाई करके पूरा किया जाएगा. समिति के संयोजक अतुल सती ने कहा अगर उनकी मांगों और आंदोलन कोई हल्के में न ले. अगर हमारी मांगे नहीं मानी गई तो आंदोलन दोबारा से खड़ा हो जाएगा, लेकिन हमें उम्मीद है कि इस बार जिला प्रशासन ऐसा कोई भी काम नहीं करेगा, जिससे यात्रा या जोशीमठ से अच्छा संदेश ना जाए.