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झीरम घाटी हमले की जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपने पर कांग्रेस को ऐतराज

छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि न्यायिक आयोग ने राज्य सरकार के बजाय राज्यपाल को अपनी रिपोर्ट सौंपकर निर्धारित और स्वीकृत प्रक्रिया का उल्लंघन किया है. आम तौर पर जब भी जांच आयोग कानून के तहत न्यायिक आयोग का गठन किया जाता है, तो आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपता है.

झीरम घाटी
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Published : Nov 8, 2021, 5:22 AM IST

रायपुर : कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई ने झीरम घाटी में मई 2013 के नक्सली हमले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग के भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के बजाय राज्यपाल अनुसुइया उइके को रिपोर्ट सौंपने पर आपत्ति जताई. इस हमले में कांग्रेस के कई नेता मारे गए थे.

झीरम घाटी जांच आयोग के सचिव और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) संतोष कुमार तिवारी ने शनिवार को राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी थी. भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान जांच आयोग का गठन 28 मई, 2013 को किया गया था.

आयोग जांच की रिपोर्ट सौंपने पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने रायपुर में संवाददाता सम्मेलन में कहा, न्यायिक आयोग ने राज्य सरकार (कैबिनेट) के बजाय राज्यपाल को अपनी रिपोर्ट सौंपकर निर्धारित और स्वीकृत प्रक्रिया का उल्लंघन किया है. आम तौर पर जब भी जांच आयोग कानून के तहत न्यायिक आयोग का गठन किया जाता है, तो आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपता है.

मरकाम ने यह भी सवाल किया कि आयोग को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में आठ साल क्यों लगे. साथ ही उन्होंने कहा कि यह शोध का विषय है कि आयोग ने रिपोर्ट राज्य सरकार की जगह राज्यपाल को क्यों सौंपी.

आयोग के समक्ष कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने वाले और संवाददाता सम्मेलन में मौजूद वकील सुदीप श्रीवास्तव ने दावा किया कि राज्यपाल को ऐसी रिपोर्ट पर कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है और इसे न्याय के हित में राज्य सरकार को भेजा जाना चाहिए.

इस बीच, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता धर्मलाल कौशिक ने पलटवार करते हुए सवाल किया कि राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपे जाने को लेकर कांग्रेस में इतनी घबराहट क्यों है. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए और कांग्रेस को रिपोर्ट के बारे में अपनी आपत्तियों को बताना चाहिए.

यह भी पढ़ें- राहुल ने गरीबी के मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा

छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले की झीरम घाटी में 25 मई, 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन रैली के दौरान नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के एक काफिले पर हमला किया था, जिसमें प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन प्रमुख नंद कुमार पटेल, विपक्ष के पूर्व नेता महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल सहित 29 लोग मारे गए थे.

रायपुर : कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई ने झीरम घाटी में मई 2013 के नक्सली हमले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग के भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के बजाय राज्यपाल अनुसुइया उइके को रिपोर्ट सौंपने पर आपत्ति जताई. इस हमले में कांग्रेस के कई नेता मारे गए थे.

झीरम घाटी जांच आयोग के सचिव और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) संतोष कुमार तिवारी ने शनिवार को राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी थी. भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान जांच आयोग का गठन 28 मई, 2013 को किया गया था.

आयोग जांच की रिपोर्ट सौंपने पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने रायपुर में संवाददाता सम्मेलन में कहा, न्यायिक आयोग ने राज्य सरकार (कैबिनेट) के बजाय राज्यपाल को अपनी रिपोर्ट सौंपकर निर्धारित और स्वीकृत प्रक्रिया का उल्लंघन किया है. आम तौर पर जब भी जांच आयोग कानून के तहत न्यायिक आयोग का गठन किया जाता है, तो आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपता है.

मरकाम ने यह भी सवाल किया कि आयोग को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में आठ साल क्यों लगे. साथ ही उन्होंने कहा कि यह शोध का विषय है कि आयोग ने रिपोर्ट राज्य सरकार की जगह राज्यपाल को क्यों सौंपी.

आयोग के समक्ष कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने वाले और संवाददाता सम्मेलन में मौजूद वकील सुदीप श्रीवास्तव ने दावा किया कि राज्यपाल को ऐसी रिपोर्ट पर कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है और इसे न्याय के हित में राज्य सरकार को भेजा जाना चाहिए.

इस बीच, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता धर्मलाल कौशिक ने पलटवार करते हुए सवाल किया कि राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपे जाने को लेकर कांग्रेस में इतनी घबराहट क्यों है. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए और कांग्रेस को रिपोर्ट के बारे में अपनी आपत्तियों को बताना चाहिए.

यह भी पढ़ें- राहुल ने गरीबी के मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा

छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले की झीरम घाटी में 25 मई, 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन रैली के दौरान नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के एक काफिले पर हमला किया था, जिसमें प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन प्रमुख नंद कुमार पटेल, विपक्ष के पूर्व नेता महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल सहित 29 लोग मारे गए थे.

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