चमोली : उत्तराखंड में लंबे समय से सड़क की बाट जोह रहे द्विंग-तपोण क्षेत्र के ग्रामीणों की मांग पूरी होने जा रही है. यहां पुल निर्माण न होने से सड़क निर्माण अधर में लटका था. सबसे बड़ी चुनौती जेसीबी मशीन को नदी के दूसरे तट पर पहुंचाना था.
लेकिन ठेकेदार ने तारों के जरिए जेसीबी मशीन को अलकनंदा नदी के पार पहुंचा दिया. ये देख ग्रामीण अचंभित रह गए. वहीं, जेसीबी के पहुंचने पर ग्रामीणों को सड़क सुविधा मिलने की आस जग गई है.
बता दें कि शासन की ओर से लांजी, पोखनी, ह्यूंना, द्विंग और तपोण गांवों की करीब 25 हजार की आबादी को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए साल 2010 में द्विंग-तपोण छह किलोमीटर सड़क की स्वीकृति प्रदान की गई थी.
जिसके निर्माण के लिए साल 2018 में वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी. लेकिन यहां सबसे बड़ी बाधा अलकनंदा नदी थी. जबकि, सड़क का निर्माण अलकनंदा के दूसरे छोर पर जाकर किया जाना था.
ऐसे में यहां दो सौ मीटर हिल कटिंग के बाद पुल प्रस्तावित किया गया, लेकिन पुल की स्वीकृति न मिलने के चलते दूसरी ओर मानव श्रम से करवाए जा रहे निर्माण कार्य को गति नहीं मिल पा रही थी. जिसके कारण सड़क स्वीकृति के वर्षों बाद भी यहां ग्रामीण अपने गंतव्य तक जाने के लिए करीब सात किलोमीटर की पैदल चलने को मजबूर हैं.
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ऐसे में अब ठेकेदार मोहन सिंह बिष्ट की ओर से यहां अलकनंदा नदी के दोनों छोरों पर तार बांधकर चैन कुप्पी के माध्यम से जेसीबी को नदी के दूसरे छोर पर पहुंचा दिया गया है. इससे यहां सड़क निर्माण कार्य में तेजी आ जाएगी.
वहीं, विभागीय अधिकारियों के अनुसार पुल निर्माण के लिए भेजे गए प्रस्ताव को प्रथम चरण की स्वीकृति मिल गई है. इससे क्षेत्रीय ग्रामीणों में जल्द सड़क की सुविधा मिलने की आस जग गई है.