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Krishna Janmashtami 2023: काशी में बनी कृष्ण के झांकियों से सिंगापुर में मनाया जा रहा लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव

बनारस की काष्ठकला देश के साथ विदेश में भी पसंद की जा रही है. इसीलिए इस साल जन्माष्टमी पर काष्ठ कला से बनी भगवान कृष्ण की लीलाओं के ऑर्डर विदेशों ने खूब आ रहे हैं. सिंगापुर में सबसे ज्यादा इन झांकियों की मांग हैं.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 6, 2023, 8:01 PM IST

काशी में काष्ठ से बनी कृष्ण की झांकियों की विदेश में मांग.

वाराणसी: बनारस में काष्ठकला से बनी श्री कृष्ण की लीलाओं की झांकी सिंगापुर में सजाई गई है. जन्माष्टमी के अवसर पर लकड़ी से बने अलग-अलग तरह की झांकी के मॉडल 25 हजार की संख्या में भेजे गए हैं. यह ऑर्डर सिंगापुर में रहने वाले एक NRI ने दिया है. जिन्हें वाराणसी में काष्ठकला से बनी कृष्ण की लीलाओं ने खासा आकर्षित किया है. काष्ठकला के कारीगरों ने बेहतरीन झांकिया बनाईं है. जिसमें कृष्ण की बचपन के लीलाओं में माखन चुराना, गोपियों संग रासलीला, कंस वध, नारायण अवतार के साथ ही विशेष पालना भी तैयार किया गया.

कालिया नाग वध की झांकी.
कालिया नाग वध की झांकी.
वाराणसी में बनाई गई काष्ठ कला की झांकियां: जन्माष्टमी कीतैयारियों के बीच कुछ ऐसे भगवान कृष्ण की सेवा में लगे लोग हैं, जो उनकी छवियों के माध्यम से अपना प्रेम प्रदर्शित करते हैं. जिसके माध्यम से अपना रोजगार चलाते हैं. यहां बात हो रही काशी की काष्ठ कला की. इसमें जुड़े हुए लोगों ने इस बार काष्ठ कला से श्रीकृष्ण की झाकियां तैयार की हैं. वैसे तो हर साल ये झाकियां तैयार होती हैं. लेकिन इस बार काष्ठ कला की झांकियों के ऑर्डर शहर से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी खूब आए हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में एक शिल्पकार ने बताया 'श्रीकृष्ण की कई लीलाओं को काष्ठ कला के माध्यम से तैयार किया है. हर साल इसे तैयार किया जाता है. क्योंकि इनकी डिमांड बाजार में खूब रहती है. इस बार सिंगापुर सहित विदेश काष्ठ कला झांकी के ऑर्डर आए हैं.
काष्ठ से बने बाल कृष्ण.
काष्ठ से बने बाल कृष्ण.
श्रीकृष्ण की कई लीलाओं की बनाई गई झांकी: व्यापारी शुभी अग्रवाल ने बताया, 'हम लोगों ने 52 पीस का सेट तैयार किया है. भगवान कृष्ण की लीलाएं, वो चाहें गोवर्धन पर्वत उठाना, चीरहरण, पूतना वध, कंस वध या फिर सुदामा के साथ उनकी मित्रता की कहानी रही. उनकी जीवन शैली की जितनी भी अद्भुत लीलाएं हैं. उन लीलाओं काष्ठ कला के माध्मय से तैयार किया गया है. उन्होंने आगे कहा, ' हम लोगों ने भगवान श्रीकृष्ण की लगभग सारी लीलाएं बनाई हैं. इसके साथ ही राधा-कृष्ण जी की छवि तैयार की है. वहीं, इसके साथ ही भगवान कृष्ण के जितने भी प्रिय जानवर हैं. उनमें तोता, मोर, गाय, घोड़ा आदि को भी बनाया है.'
बाल कृष्ण के लिए तैयार विशेष झूला
बाल कृष्ण के लिए तैयार विशेष झूला.
सिंगापुर में वाराणसी में झांकियों की डिमांड: व्यापारी शुभी अग्रवाल ने आगे बताया कि अगर किसी को संपूर्ण झांकी चाहिए, तो वह संपूर्ण झांकी ले सकता है. अगर किसी को एक खास लीला से संबंधित काष्ठ कला की छवि चाहिए, तो उसे भी खरीद सकता है. जन्माष्टमी के खिलौनों की मांग सिंगापुर से बहुत आती है. पिछले चार साल से लगातार सिंगापुर में सामान भेजा जा रहा है. शुभी ने बताया, 'अपने यहां से गए हुए जो एनआरआई हैं वे लोग भी इसे काफी पसंद करते हैं. अभी तक सिंगापुर के लिए 20 से 25 हजार तक का सामान हमारे यहां से जा चुका है.' इसके साथ ही साल में अलग-अलग त्योहार पर या फिर सामान्य दिनों में काष्ठ कला के ऑर्डर आते रहते हैं. वाराणसी की लकड़ी से बनी कलाकृतियों की मांग देशभर के कई राज्यों के अलावा विदेशों में भी है. इससे काष्ठ कला से जुड़े शिल्पकारों का रोजगार भी काफी बेहतर चलता है.
काष्ठ से बनी झांकियों की खरीदारी करते लोग.
काष्ठ से बनी झांकियों की खरीदारी करते लोग.
यह भी पढ़ें: Janmashtami : डिजिटल इफेक्ट्स से जीवंत हो उठेंगी श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की झांकियां, यहां हो रही खास तैयारियां

यह भी पढ़ें: Janmashtami 2023 :इस योग में मनाएं भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव, जरूर शामिल करें ये सामग्री

काशी में काष्ठ से बनी कृष्ण की झांकियों की विदेश में मांग.

वाराणसी: बनारस में काष्ठकला से बनी श्री कृष्ण की लीलाओं की झांकी सिंगापुर में सजाई गई है. जन्माष्टमी के अवसर पर लकड़ी से बने अलग-अलग तरह की झांकी के मॉडल 25 हजार की संख्या में भेजे गए हैं. यह ऑर्डर सिंगापुर में रहने वाले एक NRI ने दिया है. जिन्हें वाराणसी में काष्ठकला से बनी कृष्ण की लीलाओं ने खासा आकर्षित किया है. काष्ठकला के कारीगरों ने बेहतरीन झांकिया बनाईं है. जिसमें कृष्ण की बचपन के लीलाओं में माखन चुराना, गोपियों संग रासलीला, कंस वध, नारायण अवतार के साथ ही विशेष पालना भी तैयार किया गया.

कालिया नाग वध की झांकी.
कालिया नाग वध की झांकी.
वाराणसी में बनाई गई काष्ठ कला की झांकियां: जन्माष्टमी कीतैयारियों के बीच कुछ ऐसे भगवान कृष्ण की सेवा में लगे लोग हैं, जो उनकी छवियों के माध्यम से अपना प्रेम प्रदर्शित करते हैं. जिसके माध्यम से अपना रोजगार चलाते हैं. यहां बात हो रही काशी की काष्ठ कला की. इसमें जुड़े हुए लोगों ने इस बार काष्ठ कला से श्रीकृष्ण की झाकियां तैयार की हैं. वैसे तो हर साल ये झाकियां तैयार होती हैं. लेकिन इस बार काष्ठ कला की झांकियों के ऑर्डर शहर से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी खूब आए हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में एक शिल्पकार ने बताया 'श्रीकृष्ण की कई लीलाओं को काष्ठ कला के माध्यम से तैयार किया है. हर साल इसे तैयार किया जाता है. क्योंकि इनकी डिमांड बाजार में खूब रहती है. इस बार सिंगापुर सहित विदेश काष्ठ कला झांकी के ऑर्डर आए हैं.
काष्ठ से बने बाल कृष्ण.
काष्ठ से बने बाल कृष्ण.
श्रीकृष्ण की कई लीलाओं की बनाई गई झांकी: व्यापारी शुभी अग्रवाल ने बताया, 'हम लोगों ने 52 पीस का सेट तैयार किया है. भगवान कृष्ण की लीलाएं, वो चाहें गोवर्धन पर्वत उठाना, चीरहरण, पूतना वध, कंस वध या फिर सुदामा के साथ उनकी मित्रता की कहानी रही. उनकी जीवन शैली की जितनी भी अद्भुत लीलाएं हैं. उन लीलाओं काष्ठ कला के माध्मय से तैयार किया गया है. उन्होंने आगे कहा, ' हम लोगों ने भगवान श्रीकृष्ण की लगभग सारी लीलाएं बनाई हैं. इसके साथ ही राधा-कृष्ण जी की छवि तैयार की है. वहीं, इसके साथ ही भगवान कृष्ण के जितने भी प्रिय जानवर हैं. उनमें तोता, मोर, गाय, घोड़ा आदि को भी बनाया है.'
बाल कृष्ण के लिए तैयार विशेष झूला
बाल कृष्ण के लिए तैयार विशेष झूला.
सिंगापुर में वाराणसी में झांकियों की डिमांड: व्यापारी शुभी अग्रवाल ने आगे बताया कि अगर किसी को संपूर्ण झांकी चाहिए, तो वह संपूर्ण झांकी ले सकता है. अगर किसी को एक खास लीला से संबंधित काष्ठ कला की छवि चाहिए, तो उसे भी खरीद सकता है. जन्माष्टमी के खिलौनों की मांग सिंगापुर से बहुत आती है. पिछले चार साल से लगातार सिंगापुर में सामान भेजा जा रहा है. शुभी ने बताया, 'अपने यहां से गए हुए जो एनआरआई हैं वे लोग भी इसे काफी पसंद करते हैं. अभी तक सिंगापुर के लिए 20 से 25 हजार तक का सामान हमारे यहां से जा चुका है.' इसके साथ ही साल में अलग-अलग त्योहार पर या फिर सामान्य दिनों में काष्ठ कला के ऑर्डर आते रहते हैं. वाराणसी की लकड़ी से बनी कलाकृतियों की मांग देशभर के कई राज्यों के अलावा विदेशों में भी है. इससे काष्ठ कला से जुड़े शिल्पकारों का रोजगार भी काफी बेहतर चलता है.
काष्ठ से बनी झांकियों की खरीदारी करते लोग.
काष्ठ से बनी झांकियों की खरीदारी करते लोग.
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