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दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में 'डिजिटल लुटेरे', साइबर क्राइम के 'उस्ताद' ने किए चौंकाने वाले खुलासे - जामताड़ा गैंग खोल रही शाखाएं

दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आए जामताड़ा के जालसाजों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. जालसाजों ने अलग-अलग शहरों में ठगी करने के लिए अपनी शाखा खोलने की बात बताई है, जिसे ध्यान में रखते हुए साइबर सेल गैंग के सदस्यों की जानकारी जुटा रही है.

दिल्ली पुलिस
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Published : Sep 1, 2021, 3:49 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने झारखंड के जामताड़ा से 14 साइबर ठगों को गिरफ्तार कर एक बड़े गैंग का भंडाफोड़ किया है. इस गैंग का मास्टमाइंड भी पकड़ा गया है, जिसका जामताड़ा इलाके में करोड़ों का घर है और उसके पास महंगी गाड़ियां भी हैं. पुलिस पूछताछ में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. पकड़ में आए आरोपियों ने बताया कि उनका नेटवर्क अब केवल जामताड़ा तक सीमित नहीं है. बल्की, वह अलग-अलग शहरों में अपनी शाखा खोल रखे हैं. गौरतलब, है कि पुलिस की पकड़ में आए जालसाजों ने गाजियाबाद, लखनऊ, कोलकाता सहित अन्य जगहों पर अपने शागिर्दों को ठगी में लगा रखा था, जिसे ध्यान में रखते हुए साइबर सेल इनके गैंग के सदस्यों को लेकर जानकारी जुटा रही है.

डीसीपी अन्येश रॉय के अनुसार इस गैंग के 14 आरोपियों को अभी तक उनकी टीम ने गिरफ्तार किया है, लेकिन यह गैंग केवल इतने जालसाजों से ही नहीं बना है. आरोपियों ने देश के अलग-अलग हिस्सों में ठगी के लिए अपनी शाखा खोली है. उन्होंने खुलासा किया है कि जामताड़ा में जिस जगह वह रहते हैं, वहां चारों तरफ जंगल है. उन्हें ठगी के लिए कॉल करने पहाड़ी पर जाना पड़ता है, लेकिन उनका यह काम शहरी क्षेत्र में आसानी से किसी घर में बैठकर हो सकता है. दूसरा यहां पर उन्हें तकनीक के एक्सपर्ट भी आसानी से मिल जाते हैं, जो ठगी में बड़े मददगार होते हैं. इसलिए उन्होंने अलग-अलग शहर में अपने सिखाये हुए सदस्यों को भेजना शुरू कर दिया है.

दिल्ली पुलिस ने जामताड़ा से 14 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया.
पुलिस के अनुसार यह गैंग मुख्य तौर पर दो तरह से वारदात को अंजाम देता है. पहले तरीके में यह किसी के मोबाइल पर मैसेज भेजते हैं, जिसमें बताया जाता है कि उनका सिम कार्ड या बैंक खाता बंद होने वाला है. मैसेज में दिए गए एक नंबर पर उन्हें कॉल कर बात करने के लिए कहा जाता है. कोई भी व्यक्ति जब इस नंबर पर कॉल करता है तो उसकी बात इस गैंग के सदस्यों से होती है. वह उनसे मदद करने के नाम पर ओटीपी लेते हैं और खाते में सेंध लगा देते हैं.

दूसरा तरीका फेक साइट को पुश करना होता है. कोई जब अपनी समस्या के लिए कस्टमर केयर का नंबर गूगल पर तलाशता है, तो इनके द्वारा बनाई गई फर्जी वेबसाइट खुलती है. उसके हेल्पलाइन नंबर पर जब वह कॉल करते हैं तो उनकी बात इन जालसाजों से होती है. वह मदद के बहाने उनके मोबाइल पर रिमोट एक्सेस के लिए एप डाउनलोड करवा देते हैं. इसके बाद उनके यूपीआई एप की जानकारी लेकर बैंक खाते में रखी रकम निकाल लेते हैं.

ऐसे जालसाजों की ठगी से बचने के लिए लोगों को कुछ सावधानी बरतने की जरूरत है, जैसे कि अपना यूपीआई पिन किसी को न दें, क्योंकि जब आप अपना यूपीआई पिन डालते हैं तो पेमेंट दूसरे के खाते में हो जाता है. इसके अलावा किसी भी शख्स द्वारा दिये गए लिंक के जरिये किसी एप को डाउनलोड न करें, ऐसा करने से आपके मोबाइल की सभी जानकारी जालसाज के पास पहुंच जाती है. ठगी का शिकार होने से बचने के लिए गूगल के जरिये आने वाले कस्टमर केयर नंबर पर पूरी तरह भरोसा न करें, क्योंकि कई फर्जी कस्टमर केयर नंबर भी गूगल पर मौजूद हैं. उल्लेखनीय है कि पुलिस के एक्शन से बीते दो सप्ताह में यूपीआई से होने वाली ठगी में 29 फीसदी की कमी दर्ज हुई है.

पढ़ेंः जेल से हुई कारोबारी की पत्नी से 200 करोड़ रुपये की ठगी, जेल अधिकारी भी हुए गिरफ्तार

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने झारखंड के जामताड़ा से 14 साइबर ठगों को गिरफ्तार कर एक बड़े गैंग का भंडाफोड़ किया है. इस गैंग का मास्टमाइंड भी पकड़ा गया है, जिसका जामताड़ा इलाके में करोड़ों का घर है और उसके पास महंगी गाड़ियां भी हैं. पुलिस पूछताछ में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. पकड़ में आए आरोपियों ने बताया कि उनका नेटवर्क अब केवल जामताड़ा तक सीमित नहीं है. बल्की, वह अलग-अलग शहरों में अपनी शाखा खोल रखे हैं. गौरतलब, है कि पुलिस की पकड़ में आए जालसाजों ने गाजियाबाद, लखनऊ, कोलकाता सहित अन्य जगहों पर अपने शागिर्दों को ठगी में लगा रखा था, जिसे ध्यान में रखते हुए साइबर सेल इनके गैंग के सदस्यों को लेकर जानकारी जुटा रही है.

डीसीपी अन्येश रॉय के अनुसार इस गैंग के 14 आरोपियों को अभी तक उनकी टीम ने गिरफ्तार किया है, लेकिन यह गैंग केवल इतने जालसाजों से ही नहीं बना है. आरोपियों ने देश के अलग-अलग हिस्सों में ठगी के लिए अपनी शाखा खोली है. उन्होंने खुलासा किया है कि जामताड़ा में जिस जगह वह रहते हैं, वहां चारों तरफ जंगल है. उन्हें ठगी के लिए कॉल करने पहाड़ी पर जाना पड़ता है, लेकिन उनका यह काम शहरी क्षेत्र में आसानी से किसी घर में बैठकर हो सकता है. दूसरा यहां पर उन्हें तकनीक के एक्सपर्ट भी आसानी से मिल जाते हैं, जो ठगी में बड़े मददगार होते हैं. इसलिए उन्होंने अलग-अलग शहर में अपने सिखाये हुए सदस्यों को भेजना शुरू कर दिया है.

दिल्ली पुलिस ने जामताड़ा से 14 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया.
पुलिस के अनुसार यह गैंग मुख्य तौर पर दो तरह से वारदात को अंजाम देता है. पहले तरीके में यह किसी के मोबाइल पर मैसेज भेजते हैं, जिसमें बताया जाता है कि उनका सिम कार्ड या बैंक खाता बंद होने वाला है. मैसेज में दिए गए एक नंबर पर उन्हें कॉल कर बात करने के लिए कहा जाता है. कोई भी व्यक्ति जब इस नंबर पर कॉल करता है तो उसकी बात इस गैंग के सदस्यों से होती है. वह उनसे मदद करने के नाम पर ओटीपी लेते हैं और खाते में सेंध लगा देते हैं.

दूसरा तरीका फेक साइट को पुश करना होता है. कोई जब अपनी समस्या के लिए कस्टमर केयर का नंबर गूगल पर तलाशता है, तो इनके द्वारा बनाई गई फर्जी वेबसाइट खुलती है. उसके हेल्पलाइन नंबर पर जब वह कॉल करते हैं तो उनकी बात इन जालसाजों से होती है. वह मदद के बहाने उनके मोबाइल पर रिमोट एक्सेस के लिए एप डाउनलोड करवा देते हैं. इसके बाद उनके यूपीआई एप की जानकारी लेकर बैंक खाते में रखी रकम निकाल लेते हैं.

ऐसे जालसाजों की ठगी से बचने के लिए लोगों को कुछ सावधानी बरतने की जरूरत है, जैसे कि अपना यूपीआई पिन किसी को न दें, क्योंकि जब आप अपना यूपीआई पिन डालते हैं तो पेमेंट दूसरे के खाते में हो जाता है. इसके अलावा किसी भी शख्स द्वारा दिये गए लिंक के जरिये किसी एप को डाउनलोड न करें, ऐसा करने से आपके मोबाइल की सभी जानकारी जालसाज के पास पहुंच जाती है. ठगी का शिकार होने से बचने के लिए गूगल के जरिये आने वाले कस्टमर केयर नंबर पर पूरी तरह भरोसा न करें, क्योंकि कई फर्जी कस्टमर केयर नंबर भी गूगल पर मौजूद हैं. उल्लेखनीय है कि पुलिस के एक्शन से बीते दो सप्ताह में यूपीआई से होने वाली ठगी में 29 फीसदी की कमी दर्ज हुई है.

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