श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर की स्थिति का जायजा लेने पहुंचे विदेशी राजनयिकों के दो दिवसीय दौरे का आज दूसरा और अंतिम दिन है. इस दौरे के कारण सामान्य जीवन प्रभावित हो रहा है. विदेशी राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल के आने के बाद लॉकडाउन जैसी स्थिति है. श्रीनगर के लाल चौक और अन्य बड़े बाजारों में भी अधिकांश दुकानें बंद देखी गईं.
सेना ने राजनयिकों को दी सरहद पार आतंकवाद की जानकारी
भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने विदेशी राजनयिकों को नियंत्रण रेखा के पार आतंक की फैक्ट्री चलाने में पाकिस्तानी सेना की भूमिका के बारे में जानकारी दी.
इन राजनयिकों में शामिल यूरोपीय संघ के सदस्य देशों तथा ब्राजील, मलेशिया के राजनयिकों को भारत में आतंकवादियों की घुसपैठ में मदद करने में पाकिस्तानी सेना की भूमिका, घुसपैठ के तरीकों और पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को ड्रोन के जरिए हथियार गिराने के बारे में भी जानकारी दी गई.
सेना ने सुरंगों के जरिए खासतौर पर जम्मू-कश्मीर के सांबा सेक्टर में, आतंकवादियों को भारत में भेजने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया. इसके साथ ही उन्होंने विभिन्न आतंकवादियों से जब्त किए गए हथियारों पर पाकिस्तानी सेना के चिह्न होने के बारे में भी उन्होंने विस्तार से बताया.
अधिकारियों ने कहा कि सेना की आतंकवाद रोधी ग्रिड में भारी चौकसी और बदली हुई रणनीति के कारण नियंत्रण रेखा (एलओसी) से भारत में घुसने वाले आतंकवादियों की संख्या में गिरावट के बाद सुरंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है. कश्मीर घाटी में हालात पर सेना के अधिकारियों ने बुधवार शाम की घटना का जिक्र किया जहां शहर के एक उच्च सुरक्षा वाले इलाके में एक प्रमुख भोजनालय के मालिक के बेटे को आतंकवादियों ने गोली मार दी, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया.
उन्होंने कहा कि यह कश्मीर में उदारवादी आवाजों या उनकी बात नहीं मानने वालों की आवाज बंद करने की आतंकवादियों की योजना का एक हिस्सा है. सेना ने बताया कि कैसे युवाओं को गुमराह करने के लिए पाकिस्तानी प्रतिष्ठान इंटरनेट-युद्ध चला रहे हैं.
राजनयिकों ने ऐतिहासिक हजरत बल दरगाह का दौरा किया
विदेशी राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल ने डल झील के पास स्थिति ऐतिहासिक हजरत बल दरगाह का दौरा किया. मान्यता है कि हजरत बल दरगाह में एक पवित्र निशानी, पैगंबर मोहम्मद की दाढ़ी का बाल रखा है. दरगाह के संरक्षक ने राजनयिकों को लोगों, खासकर घाटी के लोगों के लिए इस स्थल के महत्व के बारे में जानकारी दी. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि किस तरह एक यात्री 1634 में सऊदी अरब के मदीना से पवित्र निशानी लेकर कश्मीर आया.
24 देशों के राजनयिक 5 अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से सुरक्षा स्थिति और हालातों का जायजा लेने के लिए बुधवार को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं. चिली, ब्राजील, क्यूबा, बोलीविया, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, आयरलैंड, नीदरलैंड, पुर्तगाल, यूरोपीय संघ, बेल्जियम, स्पेन, स्वीडन, इटली, बांग्लादेश, मलावी, इरिट्रिया, कोट डिवार, घाना, सेनेगल, मलेशिया, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान के राजनयिक श्रीनगर और जम्मू का दौरा कर रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था. केंद्र के इस फैसले के बाद पिछले 18 महीने में विदेशी राजनयिकों का यह तीसरा दौरा है.