श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय (ammu and Kashmir and Ladakh High Court ) ने 24 दिन की बच्ची को उसकी मां से कथित तौर पर अलग करने पर कड़ा रुख अपनाते हुए पुलिस को आदेश दिया कि वह लड़की को बरामद कर अगली सुनवाई से पहले उसकी मां को सौंप दे. मामले की अगली सुनवाई सोमवार (6 सितंबर) को तय की गई है.
कल मामले पर तीसरी सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति अली मोहम्मद माग्रे ने कहा कि बच्ची को अभी तक रेस्क्यू नहीं गया है. काेर्ट ने कहा कि लड़की को बरामद करें और अगली सुनवाई से पहले उसे उसकी मां को सौंप दें. अदालत ने आगे कहा कि पुलिस को याचिकाकर्ता महिला की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उसकी बेटी का अपहरण हत्या के लिए किया गया है. इसलिए, सुरक्षा प्रदान करना आवश्यक है.
सुनवाई के दौरान, लोक अभियोजक ने आरोपियों को हिरासत में लेने के निर्देश मांगे. जवाब में अदालत ने कहा, हम उस मामले से निपट नहीं रहे हैं. इसलिए, बंदी उन सभी कानूनी सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं जो उन्हें उपलब्ध हैं. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि 31 अगस्त को मामले की पहली सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अदालत मूक दर्शक के रूप में कार्य नहीं कर सकती है.
बता दें कि जम्मू की एक महिला ने आरोप लगाया था कि उसकी बेटी जिसका जन्म 7 अगस्त को हुआ था उसके ससुराल वालों ने अपहरण कर लिया था.
अदालत ने श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया था कि वह 1 सितंबर, 2021 को शाम 4.30 बजे तक पीड़िता के ससुर से बच्ची की बरामदगी सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए. वे उन जगहों और घरों पर छापेमारी करने के लिए अधिकृत हैं जहां उन्हें संदेह है कि बच्ची काे छुपाया गया है. अदालत ने किसी भी स्थिति में कानूनी कार्रवाई करने के लिए पुलिस टीम को एक मजिस्ट्रेट के साथ रहने का भी आदेश दिया.
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अदालत ने कहा कि नवजात शिशु की चिकित्सा जरूरतों की देखभाल के लिए अस्पताल से अपने साथ एक डॉक्टर रखें.