श्रीनगर: जम्मू कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की मां को पासपोर्ट देने से इनकार करने पर अधिकारियों की खिंचाई करते हुए कहा कि पासपोर्ट अधिकारी सीआईडी के 'मुखपत्र' के रूप में काम नहीं कर सकते. न्यायमूर्ति एम.ए. चौधरी ने महबूबा की मां गुलशन नजीर की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पासपोर्ट जारी करने या नवीनीकरण के उनके अनुरोध को खारिज करने का कोई आधार नहीं है.
न्यायाधीश ने शनिवार को सुनाए एक आदेश में कहा, 'यहां तक कि, याचिकाकर्ता के खिलाफ रत्ती भर भी आरोप नहीं है, जो किसी सुरक्षा चिंता की ओर इशारा करता हो. CID-CIK द्वारा तैयार की गई पुलिस सत्यापन रिपोर्ट पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 6 के वैधानिक प्रावधानों को रद्द नहीं कर सकती है. याचिकाकर्ता के संबंध में एकमात्र पहलू दो एजेंसियों प्रवर्तन निदेशालय और CID-CIK द्वारा जांच का संदर्भ है, जिसमें याचिकाकर्ता द्वारा या तो अलग से या सुश्री महबूबा मुफ्ती के साथ संयुक्त रूप से रखे गए कुछ बैंक खातों के संबंध में कुछ लेनदेन के संबंध में है.'
अदालत ने कहा, 'केवल जम्मू और कश्मीर अपराध जांच विभाग (सीआईडी) की रिपोर्ट के आधार पर, जिसने पासपोर्ट जारी नहीं करने की सिफारिश की है, पासपोर्ट अधिकारी, पासपोर्ट अधिनियम के प्रावधानों के तहत, अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता है और उस पर कार्रवाई कर सकता है.' पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और जम्मू-कश्मीर के दो बार के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की पत्नी गुलशन नजीर के पासपोर्ट आवेदन को पासपोर्ट अधिकारी श्रीनगर ने 2021 में एक प्रतिकूल पुलिस रिपोर्ट के बाद खारिज कर दिया था.
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पुलिस द्वारा उनकी प्रतिकूल रिपोर्ट के बाद महबूबा मुफ्ती को भी पासपोर्ट देने से इनकार कर दिया गया था. दिसंबर 2020 में नए पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वाली मां और बेटी 'उमराह' (मक्का-मदीना में इबादत) करना चाहती थीं. महबूबा मुफ्ती ने भारत के मुख्य न्यायाधीश सी.वाई. चंद्रचूड़ को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि उन्हें, उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती और उनकी मां गुलशन नजीर को पासपोर्ट देने से इनकार कर दिया गया है.