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Jain monk 557 days silent fast: आचार्य प्रसन्न सागर का महापारणा कार्यक्रम, योग गुरु बाबा रामदेव और नेपाल के सांसद भी हुए शामिल

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Published : Jan 28, 2023, 6:31 PM IST

जैन धर्म के अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर के महापारणा कार्यक्रम में हजारों की भीड़ जुटी है. इस कार्यक्रम में योग गुरु बाबा रामदेव भी पहुंचे. बाबा रामदेव का गिरिडीह पहुंचने पर जगह जगह स्वागत हुआ. कार्यक्रम स्थल पर भी उनका भव्य स्वागत किया गया.

आचार्य प्रसन्न सागर
आचार्य प्रसन्न सागर
देखें पूरी खबर

गिरिडीह: 557 दिनों से तीर्थराज सम्मेद शिखर (पारसनाथ) में सिंघनिष्क्रीडित व्रत में साधनारत अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज ने महापारणा कार्यक्रम शनिवार को हुआ. महापारणा का मुख्य कार्यक्रम मधुबन फुटबॉल मैदान आयोजित कार्यक्रम हुआ. इस महापारणा महोत्सव में योग गुरु बाबा रामदेव भी पहुंचे. बाबा रामदेव के अलावा केंद्रीय मंत्री पी रुपाला, नेपाल के सांसद गुरवाणी समेत कई लोग पहुंचे. शनिवार की शाम को कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे बाबा रामदेव का सम्मान भी किया गया.

ये भी पढ़ें- पारसनाथ टोंक स्वर्णभद्रकूट पर हुआ जैनाचार्य प्रसन्न सागर का महापारणा, 557 दिनों से थे मौन व्रत पर

इससे पहले आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज ने 557 दिनों का मौन व्रत तोड़ा और सबसे पहले नमः श्री ॐ कहा. इसके बाद उन्होंने महत्वपूर्ण ज्ञान लोगों को दिया. उन्होंने कहा कि इस संसार में तीन लोग ही अच्छे हैं. पहला जो मर गए, दूसरा हो पेट में है और तीसरा जिसे हम जानते नहीं हैं. देश विदेश के हजारों श्रद्धालुओं का जुटान यहां हुआ है. यहां पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ साथ भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव व भव्य जैनेश्वरी दीक्षा महोत्सव का भी आयोजन होगा.


यहां बता दें कि जैन धर्म के चौबीस में से बीस तीर्थंकरों की निर्वाणभूमि सिद्धक्षेत्र सम्मेदशिखर जी पारसनाथ में अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज कठिन सिंघनिष्क्रीडित व्रत व मौन साधना में लीन रहें. अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज 557 दिन की अखंड मौन साधना व एकांतवास में रहे. पारसनाथ पर्वत की सर्वोच्च चोटी पर स्थित गुफा में 557 दिन की कठिन सिंघनिष्क्रीडित व्रत की यात्रा के दौरन 61 दिन की पारणा विधि यानी आहार चर्या पूरी कर 496 दिनों का निर्जला उपवास भी रखा.

मध्य प्रदेश के रहनेवाले हैं आचार्य प्रसन्न सागर: प्रसन्न सागर जी महाराज मध्य प्रदेश के छतरपुर के रहने वाले हैं. उनका जन्म 23 जुलाई 1970 को हुआ और महज 16 वर्ष की आयु में 12 अप्रैल 1986 को इन्होंने ब्रह्चार्य व्रत रखा. 18 अप्रैल 1989 को इन्होंने मुनि की दीक्षा ली. 23 नवम्बर 2019 में आचार्य पद हासिल किया. आचार्य ने अब तक एक लाख किलोमीटर से भी ज्यादा की पैदल यात्रा की है. जबकि दीक्षा काल से 35 सौ दिन से ज्यादा उपवास पर रहे. कहा जाता है कि इस तरह की कठिन व्रत की साधना जैन तीर्थंकर भगवान महावीर ने की थी. आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज को कई उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका है. गुजरात सरकार ने इन्हें साधन महोदधि से विभूषित किया तो वियतनाम विश्वविद्यालय से डाक्ट्रेट की मानक उपाधि मिली है. गिनीज बुक रिकॉर्ड, एशिया बुक रिकॉर्ड, इंडिया बुक रिकॉर्ड में भी विभिन्न कृतियों के कारण इनका नाम दर्ज है. ब्रिटेन की संसद ने सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था द्वारा भारत गौरव सम्मान से भी सम्मानित किया है.

सुरक्षा का था पुख्ता व्यवस्था: इस कार्यक्रम को देखते हुए सुरक्षा का पुख्ता व्यवस्था किया गया है. डुमरी एसडीएम प्रेमलता मुर्मू, एसडीपीओ मनोज कुमार, इंस्पेक्टर परमेश्वर लियांगी, थाना प्रभारी मृत्युंजय सिंह, दिलशन बिरुआ समेत कई अधिकारी व जवान की तैनाती की गई है.

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गिरिडीह: 557 दिनों से तीर्थराज सम्मेद शिखर (पारसनाथ) में सिंघनिष्क्रीडित व्रत में साधनारत अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज ने महापारणा कार्यक्रम शनिवार को हुआ. महापारणा का मुख्य कार्यक्रम मधुबन फुटबॉल मैदान आयोजित कार्यक्रम हुआ. इस महापारणा महोत्सव में योग गुरु बाबा रामदेव भी पहुंचे. बाबा रामदेव के अलावा केंद्रीय मंत्री पी रुपाला, नेपाल के सांसद गुरवाणी समेत कई लोग पहुंचे. शनिवार की शाम को कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे बाबा रामदेव का सम्मान भी किया गया.

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इससे पहले आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज ने 557 दिनों का मौन व्रत तोड़ा और सबसे पहले नमः श्री ॐ कहा. इसके बाद उन्होंने महत्वपूर्ण ज्ञान लोगों को दिया. उन्होंने कहा कि इस संसार में तीन लोग ही अच्छे हैं. पहला जो मर गए, दूसरा हो पेट में है और तीसरा जिसे हम जानते नहीं हैं. देश विदेश के हजारों श्रद्धालुओं का जुटान यहां हुआ है. यहां पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ साथ भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव व भव्य जैनेश्वरी दीक्षा महोत्सव का भी आयोजन होगा.


यहां बता दें कि जैन धर्म के चौबीस में से बीस तीर्थंकरों की निर्वाणभूमि सिद्धक्षेत्र सम्मेदशिखर जी पारसनाथ में अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज कठिन सिंघनिष्क्रीडित व्रत व मौन साधना में लीन रहें. अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज 557 दिन की अखंड मौन साधना व एकांतवास में रहे. पारसनाथ पर्वत की सर्वोच्च चोटी पर स्थित गुफा में 557 दिन की कठिन सिंघनिष्क्रीडित व्रत की यात्रा के दौरन 61 दिन की पारणा विधि यानी आहार चर्या पूरी कर 496 दिनों का निर्जला उपवास भी रखा.

मध्य प्रदेश के रहनेवाले हैं आचार्य प्रसन्न सागर: प्रसन्न सागर जी महाराज मध्य प्रदेश के छतरपुर के रहने वाले हैं. उनका जन्म 23 जुलाई 1970 को हुआ और महज 16 वर्ष की आयु में 12 अप्रैल 1986 को इन्होंने ब्रह्चार्य व्रत रखा. 18 अप्रैल 1989 को इन्होंने मुनि की दीक्षा ली. 23 नवम्बर 2019 में आचार्य पद हासिल किया. आचार्य ने अब तक एक लाख किलोमीटर से भी ज्यादा की पैदल यात्रा की है. जबकि दीक्षा काल से 35 सौ दिन से ज्यादा उपवास पर रहे. कहा जाता है कि इस तरह की कठिन व्रत की साधना जैन तीर्थंकर भगवान महावीर ने की थी. आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज को कई उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका है. गुजरात सरकार ने इन्हें साधन महोदधि से विभूषित किया तो वियतनाम विश्वविद्यालय से डाक्ट्रेट की मानक उपाधि मिली है. गिनीज बुक रिकॉर्ड, एशिया बुक रिकॉर्ड, इंडिया बुक रिकॉर्ड में भी विभिन्न कृतियों के कारण इनका नाम दर्ज है. ब्रिटेन की संसद ने सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था द्वारा भारत गौरव सम्मान से भी सम्मानित किया है.

सुरक्षा का था पुख्ता व्यवस्था: इस कार्यक्रम को देखते हुए सुरक्षा का पुख्ता व्यवस्था किया गया है. डुमरी एसडीएम प्रेमलता मुर्मू, एसडीपीओ मनोज कुमार, इंस्पेक्टर परमेश्वर लियांगी, थाना प्रभारी मृत्युंजय सिंह, दिलशन बिरुआ समेत कई अधिकारी व जवान की तैनाती की गई है.

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