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फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का दावा, पहले से रची गई जहांगीरपुरी हिंसा की साजिश

बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों के एक स्वतंत्र समूह ने दावा किया है कि दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा पूर्व नियोजित साजिश थी. यह घटना केवल दो समूहों के बीच का संघर्ष नहीं बल्कि पहले से तय किया गया हमला था. पढ़ें यह रिपोर्ट.

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Published : Apr 25, 2022, 7:53 PM IST

नई दिल्ली: एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने दावा किया है कि दिल्ली में जहांगीरपुरी हिंसा की साजिश पहले से ही नियोजित थी. बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों के समूह द्वारा गठित पांच सदस्यीय समिति में तीन महिला प्रोफेसर और एक उद्यमी शामिल हैं. इसका नेतृत्व सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता मोनिका अरोड़ा ने किया है.

समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की. साथ ही यह रिपोर्ट गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस और अन्य संबंधितों को भी सौंपी जाएगी. फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी होने के मौके पर मीडिया को संबोधित करते हुए समिति ने दावा किया कि 16 अप्रैल को धार्मिक जुलूस शांतिपूर्ण निकाला जा रहा था. लेकिन जब जुलूस जहांगीरपुरी के कुशाल सिनेमा चौक सी ब्लॉक के पास पहुंचा, तो अंसार के नेतृत्व में लोगों के एक समूह ने धमकी दी. उन्होंने कहा कि अगर जुलूस मस्जिद के पास से गुजरा तो परिणाम भुगतने होंगे. जैसे ही वह शोभायात्रा आगे बढ़ी और कॉर्नर पर पहुंची, उसी समय छतों से पथराव शुरू हो गया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि उस समय 30-40 लोगों ने तलवार और लाठी लेकर शोभा यात्रा पर हमला कर दिया. समिति ने कुछ चश्मदीद गवाह भी पेश किये हैं, जो हमले के बाद घायल हो गए थे. 28 वर्षीय आरएसएस कार्यकर्ता और वीएचपी सदस्य उमाशंकर जिन पर तलवार से हमला किया गया और उनकी गर्दन और पैरों में चोटें आईं. उमाशंकर ने कहा कि मैं ही था जिसने अंसार को पहचाना, वह हमलावरों के समूह का नेतृत्व कर रहा था. यहां तक ​​कि महिलाएं भी हम पर पथराव कर रहीं थीं और बोतलें फेंक रही थीं. पुलिस ने मुझे बचाया और अस्पताल ले गये, नहीं तो वे मुझे मार देते. क्योंकि शोभा यात्रा का नेतृत्व उमाशंकर कर रहे थे.

जुलूस में शामिल एक अन्य पीड़ित सुरेश सरकार ने कहा कि उनका किसी भी तरह के विवाद में शामिल होने का कोई इरादा नहीं था. शोभा यात्रा में हमारे बच्चे भी शामिल थे. अगर हिंसा में शामिल होने का हमारा ऐसा कोई इरादा होता तो हम अपने बच्चों को साथ क्यों ले जाएंगे? यात्रा हर साल निकाली जाती है और इस बार उन्होंने हमले की योजना बनाई थी. उन्होंने न केवल हम पर हमला किया बल्कि यात्रा पर ले जाई जा रही हनुमान मूर्ति को भी क्षतिग्रस्त कर दिया.

यह भी पढ़ें- जहांगीरपुरी हिंसा: ईडी ने आरोपितों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया

समिति के सदस्यों ने कहा कि वे पीड़ितों, उनके परिवारों और अन्य समुदाय के लोगों से भी मिले. समिति ने स्थानीय लोगों से भी बात की है. रामनवमी जुलूस के दौरान और जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती पर कई राज्यों में किए गए हमलों में एक पैटर्न है. यह सिर्फ शोभायात्रा पर हमला नहीं बल्कि भारत के संविधान पर हमला है. यात्रा की जानकारी के लिए जहांगीरपुरी और महेंद्र पार्क पुलिस स्टेशनों को लिखित सूचना दी गई थी.

समिति ने अवैध अप्रवासियों द्वारा चलाए जा रहे कबाड़ व्यवसाय और करीब एक एकड़ सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का मुद्दा भी उठाया है. जीआईए ने सुझाव दिया है कि अवैध प्रवासियों के मुद्दे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए. समिति ने यह भी मांग की है कि पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए.

नई दिल्ली: एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने दावा किया है कि दिल्ली में जहांगीरपुरी हिंसा की साजिश पहले से ही नियोजित थी. बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों के समूह द्वारा गठित पांच सदस्यीय समिति में तीन महिला प्रोफेसर और एक उद्यमी शामिल हैं. इसका नेतृत्व सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता मोनिका अरोड़ा ने किया है.

समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की. साथ ही यह रिपोर्ट गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस और अन्य संबंधितों को भी सौंपी जाएगी. फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी होने के मौके पर मीडिया को संबोधित करते हुए समिति ने दावा किया कि 16 अप्रैल को धार्मिक जुलूस शांतिपूर्ण निकाला जा रहा था. लेकिन जब जुलूस जहांगीरपुरी के कुशाल सिनेमा चौक सी ब्लॉक के पास पहुंचा, तो अंसार के नेतृत्व में लोगों के एक समूह ने धमकी दी. उन्होंने कहा कि अगर जुलूस मस्जिद के पास से गुजरा तो परिणाम भुगतने होंगे. जैसे ही वह शोभायात्रा आगे बढ़ी और कॉर्नर पर पहुंची, उसी समय छतों से पथराव शुरू हो गया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि उस समय 30-40 लोगों ने तलवार और लाठी लेकर शोभा यात्रा पर हमला कर दिया. समिति ने कुछ चश्मदीद गवाह भी पेश किये हैं, जो हमले के बाद घायल हो गए थे. 28 वर्षीय आरएसएस कार्यकर्ता और वीएचपी सदस्य उमाशंकर जिन पर तलवार से हमला किया गया और उनकी गर्दन और पैरों में चोटें आईं. उमाशंकर ने कहा कि मैं ही था जिसने अंसार को पहचाना, वह हमलावरों के समूह का नेतृत्व कर रहा था. यहां तक ​​कि महिलाएं भी हम पर पथराव कर रहीं थीं और बोतलें फेंक रही थीं. पुलिस ने मुझे बचाया और अस्पताल ले गये, नहीं तो वे मुझे मार देते. क्योंकि शोभा यात्रा का नेतृत्व उमाशंकर कर रहे थे.

जुलूस में शामिल एक अन्य पीड़ित सुरेश सरकार ने कहा कि उनका किसी भी तरह के विवाद में शामिल होने का कोई इरादा नहीं था. शोभा यात्रा में हमारे बच्चे भी शामिल थे. अगर हिंसा में शामिल होने का हमारा ऐसा कोई इरादा होता तो हम अपने बच्चों को साथ क्यों ले जाएंगे? यात्रा हर साल निकाली जाती है और इस बार उन्होंने हमले की योजना बनाई थी. उन्होंने न केवल हम पर हमला किया बल्कि यात्रा पर ले जाई जा रही हनुमान मूर्ति को भी क्षतिग्रस्त कर दिया.

यह भी पढ़ें- जहांगीरपुरी हिंसा: ईडी ने आरोपितों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया

समिति के सदस्यों ने कहा कि वे पीड़ितों, उनके परिवारों और अन्य समुदाय के लोगों से भी मिले. समिति ने स्थानीय लोगों से भी बात की है. रामनवमी जुलूस के दौरान और जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती पर कई राज्यों में किए गए हमलों में एक पैटर्न है. यह सिर्फ शोभायात्रा पर हमला नहीं बल्कि भारत के संविधान पर हमला है. यात्रा की जानकारी के लिए जहांगीरपुरी और महेंद्र पार्क पुलिस स्टेशनों को लिखित सूचना दी गई थी.

समिति ने अवैध अप्रवासियों द्वारा चलाए जा रहे कबाड़ व्यवसाय और करीब एक एकड़ सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का मुद्दा भी उठाया है. जीआईए ने सुझाव दिया है कि अवैध प्रवासियों के मुद्दे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए. समिति ने यह भी मांग की है कि पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए.

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