जबलपुर। अक्षय तृतीया पर विवाह के अबूझ मुहूर्त को देखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग ने बाल विवाह रोकने के लिए कई टीमों का गठन किया है. इसी टीम की सक्रियता से समय रहते 15 साल की एक नाबालिग का बाल विवाह रुकवाया गया. टीम प्रमुख कांता देशमुख को इसकी जानकारी मिली थी शहर के शहपुरा इलाके में 15 वर्ष की नाबालिग बच्ची का विवाह होना था. इससे पहले ही मौके पर पहुंची जिला प्रशासन और महिला बाल विकास की टीम ने विवाह को रुकवा दिया. टीम ने परिजनों से बाल विवाह न करने के शपथ पत्र भी लिखवाया
जिला प्रशासन ने रोका विवाह: कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी. के निर्देश पर अनुविभागीय अधिकारी और तहसीलदार बाल विवाह के मामलों पर नजर बनाए हुए थे. इस दौरान एसडीएम अनुराग सिंह को ग्रामीणों से सूचना मिली कि, शहपुरा के कुलोन गांव में गोविंद बर्मन अपनी 15 साल की बच्ची का विवाह करवाने की तैयारी कर रहा है. जिस पर पुलिस प्रशासन और महिला बाल विकास विभाग की टीम मौके पर पहुंची और समझाइश देते हुए बाल विवाह को रुकवाया.
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परिजनों से भरवाया शपथपत्र : एसडीएम अनुराग सिंह ने बच्ची के पिता गोविंद बर्मन को समझाइश दी की नाबालिग बच्ची का विवाह कराना अपराध है. बच्ची की उम्र जब 21 साल हो जाए तब विवाह करवाएं. जिला प्रशासन ने बच्ची के परिजनों से शपथ पत्र भी लिखवाया. एसडीएम अनुराग सिंह ने बताया कि 15 साल की बच्ची का विवाह बेलखेड़ा निवासी अजय के साथ होना तय हुआ था. बच्ची की अंकसूची के अनुसार 9 फरवरी 2007 को उसका जन्म हुआ था. प्रमाणपत्रों के आधार पर माता-पिता और परिवार वालों को जिला प्रशासन ने समझा कर बाल विवाह को रुकवाया.
अक्षय तृतीया पर सामने आते हैं ऐसे मामले: शादी-ब्याह के लिए अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना जाता है. इस दिन किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए कोई विशेष मुहूर्त की जरूरत नहीं होती है. यही वजह है कि इस दिन बड़े पैमाने पर शादी विवाह होते हैं. हर साल की तरह इस साल भी शादियां हो रही हैं. लेकिन जबलपुर में अक्षय तृतीया की आड़ में बाल विवाह की कुरीति को रोके जाने का पहला मामला सामने आया है. इस सामाजिक कुरीति पर रोक लगाने के लिए प्रशासन, पुलिस महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस की किशोर इकाई चाइल्ड लाइन की मदद से काम कर रही है. जिसकी सक्रियता से 15 साल की बच्ची का बाल विवाह रोक दिया गया है.