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औरंगाबाद को पहले इन नामों से भी जाना जाता था : इतिहासकार

महाराष्ट्र के औरंगाबाद का नाम बदलने को लेकर राज्य सरकार के फैसले पर मतभेद के बाद इतिहासकारों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है. इतिहासकार डॉ. दुलारी कुरैशी ने कहा कि जिस स्थान का नाम बदलने पर इतना मतभेद चल रहा है इतिहास में उस जगह को कई नामों से जाना जाता था.

इतिहासकार डॉ दुलारी कुरैशी
इतिहासकार डॉ दुलारी कुरैशी
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Published : Jan 3, 2021, 6:17 PM IST

औरंगाबाद : महाराष्ट्र के औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने की शिवसेना की मांग को लेकर महाराष्ट्र में एक साल पुरानी महा विकास अघाड़ी सरकार के बीच मतभेद की स्थिति पैदा हो गई है. इतिहासकारों का कहना है कि शहर को अतीत में कई अन्य नामों से भी जाना जाता रहा है.

इतिहासकार डॉ. दुलारी कुरैशी ने कहा कि शहर का अतीत में राज तडाग, खड़की और फतेहनगर नाम भी रहा है. उन्होंने कहा कि कान्हेरी गुफाओं में एक शिलालेख है, जिसमें शहर को राज तडाग (शाही झील) कहे जाने का उल्लेख है. 'द आइकोनोग्राफी ऑफ द बुद्धिस्ट स्कल्प्चर्स ऑफ एलोरा' नामक पुस्तक में इसके लेखक डॉ. रमेश शंकर गुप्ते ने भी उल्लेख किया है कि इस शहर को पहले राज तडाग कहा जाता था.

इस नाम का इस्तेमाल 10वीं शताब्दी तक किया जाता रहा और पहले के व्यापार मार्गों में भी इस नाम का उल्लेख मिलता है. उज्जैन-टेर व्यापार मार्ग महेश्वर, बुरहानपुर, अजंता, भोकरदान, राज तडाग, प्रतिष्ठान (पैठण) और उस्मानाबाद जिले के टेर से गुजरता था.

इतालवी लेखक पिया ब्रांकासियो ने 'बुद्धिस्ट केव्स ऐट औरंगाबाद: ट्रांसफॉर्मेशन इन आर्ट एंड रिलीजन' नामक पुस्तक में कहा है कि 10वीं शताब्दी में राज तडाग कपास के सामान के लिए प्रसिद्ध था.

कुरैशी ने कहा कि शहर को उस समय खड़की के नाम से भी जाना जाता था, जब 400 साल पहले मलिक अंबर सिद्दी सैन्य शासक थे. खड़की नाम इस जगह के चट्टानी इलाके को दर्शाता है.

इतिहासकार रफत कुरैशी ने कहा कि वर्तमान औरंगाबाद का नाम औरंगजेब काल के दौरान खुजिस्ता बुनियाद (शुभ नींव) भी रखा गया था, लेकिन यह नाम थोड़े समय के लिए ही था. बाद में औरंगजेब ने शहर का नाम अपने नाम पर रखा और इसे 1653 से औरंगाबाद के रूप में जाना जाता है.

डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के इतिहास और प्राचीन भारतीय संस्कृति विभाग की पूर्व प्रमुख डॉ. पुष्पा गायकवाड़ ने कहा कि शहर की पहचान को उसका नाम बदलकर नहीं बदला जा सकता.

पढ़ें- किसानों की चेतावनी- मांगें नहीं मानी तो गणतंत्र दिवस पर निकालेंगे ट्रैक्टर परेड

गायकवाड़ ने कहा कि औरंगाबाद प्रसिद्ध है और लोग नाम बदलने के बाद भी इसे इसी नाम से पहचानेंगे. दुनिया इसे इसके वर्तमान नाम से जानती है. शिवसेना नेता अंबादास दानवे ने कहा कि संभाजीनगर शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे द्वारा दिया गया नाम है.

उन्होंने कहा कि संभाजी राजे की हत्या करने वाले मुगल बादशाह औरंगजेब को औरंगाबाद के पास दफनाया गया इसलिए शहर को संभाजीनगर कहा जाना चाहिए. एआईएमआईएम के सांसद इम्तियाज जलील ने कहा कि एक जगह का नाम बदलकर इतिहास को मिटाया नहीं जा सकता.

उन्होंने कहा कि सरकार को शहर का नाम बदलने में करोड़ों रुपये खर्च करने होंगे. इसके बजाय इस शहर के बेहतर बुनियादी ढांचे पर पैसा क्यों नहीं खर्च किया जा सकता है. भाजपा विधायक अतुल सावे ने कहा कि यहां कोई भी मुस्लिम अपने बच्चे का नाम औरंगजेब नहीं रखता है, फिर उसके नाम पर इस शहर का नाम क्यों होना चाहिए?

1995 में शिवसेना ने पहली बार मांग की थी कि औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर रखा जाए. कांग्रेस ने औरंगाबाद का नाम बदलने पर अपना विरोध शनिवार को भी दोहराया. उसके सहयोगी शिवसेना ने कहा कि नाम परिवर्तन जल्द ही होगा, लेकिन इस मुद्दे पर महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

औरंगाबाद : महाराष्ट्र के औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने की शिवसेना की मांग को लेकर महाराष्ट्र में एक साल पुरानी महा विकास अघाड़ी सरकार के बीच मतभेद की स्थिति पैदा हो गई है. इतिहासकारों का कहना है कि शहर को अतीत में कई अन्य नामों से भी जाना जाता रहा है.

इतिहासकार डॉ. दुलारी कुरैशी ने कहा कि शहर का अतीत में राज तडाग, खड़की और फतेहनगर नाम भी रहा है. उन्होंने कहा कि कान्हेरी गुफाओं में एक शिलालेख है, जिसमें शहर को राज तडाग (शाही झील) कहे जाने का उल्लेख है. 'द आइकोनोग्राफी ऑफ द बुद्धिस्ट स्कल्प्चर्स ऑफ एलोरा' नामक पुस्तक में इसके लेखक डॉ. रमेश शंकर गुप्ते ने भी उल्लेख किया है कि इस शहर को पहले राज तडाग कहा जाता था.

इस नाम का इस्तेमाल 10वीं शताब्दी तक किया जाता रहा और पहले के व्यापार मार्गों में भी इस नाम का उल्लेख मिलता है. उज्जैन-टेर व्यापार मार्ग महेश्वर, बुरहानपुर, अजंता, भोकरदान, राज तडाग, प्रतिष्ठान (पैठण) और उस्मानाबाद जिले के टेर से गुजरता था.

इतालवी लेखक पिया ब्रांकासियो ने 'बुद्धिस्ट केव्स ऐट औरंगाबाद: ट्रांसफॉर्मेशन इन आर्ट एंड रिलीजन' नामक पुस्तक में कहा है कि 10वीं शताब्दी में राज तडाग कपास के सामान के लिए प्रसिद्ध था.

कुरैशी ने कहा कि शहर को उस समय खड़की के नाम से भी जाना जाता था, जब 400 साल पहले मलिक अंबर सिद्दी सैन्य शासक थे. खड़की नाम इस जगह के चट्टानी इलाके को दर्शाता है.

इतिहासकार रफत कुरैशी ने कहा कि वर्तमान औरंगाबाद का नाम औरंगजेब काल के दौरान खुजिस्ता बुनियाद (शुभ नींव) भी रखा गया था, लेकिन यह नाम थोड़े समय के लिए ही था. बाद में औरंगजेब ने शहर का नाम अपने नाम पर रखा और इसे 1653 से औरंगाबाद के रूप में जाना जाता है.

डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के इतिहास और प्राचीन भारतीय संस्कृति विभाग की पूर्व प्रमुख डॉ. पुष्पा गायकवाड़ ने कहा कि शहर की पहचान को उसका नाम बदलकर नहीं बदला जा सकता.

पढ़ें- किसानों की चेतावनी- मांगें नहीं मानी तो गणतंत्र दिवस पर निकालेंगे ट्रैक्टर परेड

गायकवाड़ ने कहा कि औरंगाबाद प्रसिद्ध है और लोग नाम बदलने के बाद भी इसे इसी नाम से पहचानेंगे. दुनिया इसे इसके वर्तमान नाम से जानती है. शिवसेना नेता अंबादास दानवे ने कहा कि संभाजीनगर शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे द्वारा दिया गया नाम है.

उन्होंने कहा कि संभाजी राजे की हत्या करने वाले मुगल बादशाह औरंगजेब को औरंगाबाद के पास दफनाया गया इसलिए शहर को संभाजीनगर कहा जाना चाहिए. एआईएमआईएम के सांसद इम्तियाज जलील ने कहा कि एक जगह का नाम बदलकर इतिहास को मिटाया नहीं जा सकता.

उन्होंने कहा कि सरकार को शहर का नाम बदलने में करोड़ों रुपये खर्च करने होंगे. इसके बजाय इस शहर के बेहतर बुनियादी ढांचे पर पैसा क्यों नहीं खर्च किया जा सकता है. भाजपा विधायक अतुल सावे ने कहा कि यहां कोई भी मुस्लिम अपने बच्चे का नाम औरंगजेब नहीं रखता है, फिर उसके नाम पर इस शहर का नाम क्यों होना चाहिए?

1995 में शिवसेना ने पहली बार मांग की थी कि औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर रखा जाए. कांग्रेस ने औरंगाबाद का नाम बदलने पर अपना विरोध शनिवार को भी दोहराया. उसके सहयोगी शिवसेना ने कहा कि नाम परिवर्तन जल्द ही होगा, लेकिन इस मुद्दे पर महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

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