तिरुवनंतपुरम : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में जासूसी के एक मामले में सीबीआई पूर्व इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन का मंगलवार को बयान दर्ज करेगी. सीबीआई ने पूर्व इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन को मंगलवार को पेश होने के लिए कहा है.
जानकारी के अनुसार, आरोपी की अग्रिम जमानत का विरोध करने के लिए सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भी पेश हो सकते हैं. मामले में 18 लोगों ने आरोपी का नाम लिया है. आपको बता दें कि दिल्ली स्पेशल यूनिट के जांच अधिकारी पहुंचे और आरोपियों को उनके सामने पेश होने के लिए नोटिस भी जारी किया गया है. शीर्ष अदालत के निर्देश पर इस केस को सीबीआई को सौंपा गया था.
नारायणन ने केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसमें कहा गया था कि पूर्व डीजीपी और पुलिस के दो सेवानिवृत्त अधीक्षकों केके जोशुआ और एस विजयन के खिलाफ किसी भी कार्रवाई की जरूरत नहीं है.
कब हुई कार्रवाई की शुरुआत
नंबी नारायणन को केरल पुलिस ने 30 नवंबर, 1994 को गिरफ्तार किया था. उनके खिलाफ जासूसी के आरोप लगे थे. नारायणन पर इंडियन ऑफिसियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923 की धारा 3, 4 और 5 के तहत आरोप लगाए गए थे. यह गैरकानूनी था क्योंकि इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति नहीं ली गई थी.
दबाव बनाकर बयान लेने के आरोप
नारायणन को पहले पुलिस कस्टडी में रखा गया और इसके बाद 50 दिनों की न्यायिक हिरासत में भी रखा गया. पुलिस कस्टडी में नारायणन को कथित रूप से प्रताड़ित किया गया. प्रताड़ना के आरोप केरल पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों पर लगे. नारायणन पर कथित रूप से दबाव बनाकर बयान भी लिए गए.
पाक को जानकारी देने का आरोप, सीबीआई ने बताया निराधार
केरल पुलिस की ओर से पेश दलीलों के मुताबिक नंबी नारायणन ने रॉकेट टेक्नोलॉजी और क्रायोजेनिक टेक्नोलॉजी से जुड़ी जानकारी गैर कानूनी तरीके से पाकिस्तान को दी. हालांकि, सीबीआई जांच में यह आरोप निराधार निकले.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद बनी कमेटी
29 जून, 2011 को जारी सरकारी आदेश में केरल पुलिस के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई न करने की बात कही गई. नंबी नारायणन ने सरकार के इस आदेश को केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी. नारायण की याचिका पर न्यायमूर्ति रामा कृष्णा पिल्लई ने सुनवाई के बाद सरकार का आदेश निरस्त कर दिया. हाईको
लगभग 22 साल से लंबित है मामला
इस मामले में यह भी एक चौंकाने वाला पहलू है कि वास्तविक दोषियों को अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है. साल 1999 में नंबी नारायणन की ओर से दाखिल कंपनसेशन सूट (compensation suit) आज भी लंबित है.
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष नंबी नारायण की याचिका
केरल हाईकोर्ट में दो जजों की पीठ द्वारा सुनाए गए फैसले के खिलाफ नंबी नारायणन ने सुप्रीम कोर्ट में साल 2015 में याचिका दायर की. शीर्ष अदालत में जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस खानविलकर ने इस मामले को अप्रैल, 2017 में निष्पादित करने के लिए सूचीबद्ध किया था. नंबी नारायणन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साल 1998 में भी केरल सरकार की जबरदस्त खिंचाई भी की