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Israel-Hamas War: इजरायल में बस चुके भारतीय ने बताई युद्ध की स्थिति, कहा- हम अंत तक लड़ेंगे - इजरायल पर क्रूर हमला

इजरायल-हमास युद्ध (Israel-Hamas War) शुरू हुए पांच दिन हो चुके हैं. वहां की स्थिति अभी भी गंभीर है. मरने वालों की संख्या 1,600 से अधिक (Casualty In Israel-Hamas War) हो गई है और दोनों पक्षों के हजारों लोग घायल हुए हैं. 15 साल तक मुंबई में रहने वाले और अब इजरायल में बस चुके (Indian Living In Israel) अवराम नागांवकर ने युद्ध संबंधी स्थिति के अपने अनुभव के बारे में ईटीवी भारत को बताया.

Israel-Hamas War
इजराइल-हमास युद्ध
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 12, 2023, 9:54 PM IST

Updated : Oct 12, 2023, 10:33 PM IST

मुंबई: इजरायल और हमास के बीच युद्ध जारी है. शनिवार सुबह करीब 6:30 बजे हमास ने इजरायल पर क्रूर हमला किया. इसके बाद से ही वहां जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. घरों में मातम भी पसर गया है. पंद्रह साल तक मुंबई के उमरखाड़ी इलाके में रहने वाले और 1969 में इजरायल चले गए अव्राहम नागांवकर ने इस स्थिति पर अफसोस जताया और वहां की स्थिति के बारे में बताया.

उन्होंने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए ईटीवी भारत को बताया कि यहां हमारा खाना किसी को पसंद नहीं आता. गाजा पट्टी क्षेत्र में 22 गांव हैं. इन गांवों में आतंकी घुस आए. घटना शनिवार सुबह करीब साढ़े छह बजे की है. उस समय हमें सायरन दिया गया. अब तक दो बार सायरन बज चुका था. इज़रायल में आपातकाल के समय हर घर को एक सायरन प्रदान किया जाता है, जिसे आत्मरक्षा और सतर्कता के लिए समझा जा सकता है.

सायरन बजने के बाद घर के सभी लोगों को बंकर में जाकर छिपना पड़ता है. इजरायल में सरकार ने हर किसी के घर में बंकर बनाना अनिवार्य कर दिया है. सायरन बजने के बाद ज्यादातर लोग बंकरों में छिप जाते हैं. हालांकि, सौभाग्य से युद्ध की लपटें हमारे शहर तक नहीं पहुंचीं. अव्राहम नागवकर ने कहा कि मैं डिमोरा शहर में रहता हूं. डिमोरा शहर गाजा पट्टी से 60 किलोमीटर दूर है.

इजरायल में 'शबात' त्यौहार था: उन्होंने आगे कहा कि मैं पंद्रह साल तक मुंबई के उमरखाड़ी इलाके में रहा. मेरी स्कूली शिक्षा मझगांव के एक यहूदी स्कूल में हुई. फिर 1969 से मैं अपने परिवार के साथ इज़रायल आ गया. मेरे परिवार में मेरी पत्नी, बेटी और बेटा, दामाद हैं. अव्राहम ने आगे कहा कि डिमोरा शहर जहां हम रहते हैं, उसकी आबादी लगभग 30 हजार है. यहां हर शुक्रवार को 'शब्बत' का त्योहार मनाया जाता है.

यह उत्सव अगले दिन शनिवार तक 24 घंटे तक जारी रहता है. इस 24 घंटे की अवधि के दौरान, हमें खाना नहीं खाना होता है, गाड़ी नहीं चलानी होती है और यदि आवश्यक हो तो ही घर से बाहर निकलना होता है. संक्षेप में, करने को कोई काम नहीं होता है. पका हुआ भोजन गर्म करके ही खाना होता है. खाना बनाने का मन नहीं करता. धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना होता है.

संगीत कार्यक्रम में घुसे आतंकी: 6 तारीख को शुक्रवार था और अगले दिन, 7 अक्टूबर को त्यौहार का दिन था. इसलिए शनिवार को अधिकांश लोग घर पर ही थे. हालांकि, कुछ युवकों ने गाजा पट्टी से कुछ दूर एक खुली जगह पर एक संगीत कार्यक्रम आयोजित किया. शुक्रवार की रात शुरू हुआ, कार्यक्रम सुबह तक चला. नागांवकर ने कहा कि गाजा पट्टी से घुसे आतंकी सीधे कॉन्सर्ट में घुस गए और वहां करीब 400 लोगों की हत्या कर दी.

दामाद और भतीजा युद्ध के लिए रवाना: नागांवकर सेवानिवृत्त होने के कारण युद्ध में नहीं जा सकते थे. हालांकि, अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, वह पहली बार 18 साल की उम्र में सेना में शामिल हुए और उसके बाद उन्हें सरकारी नौकरियों में नियुक्त किया गया. लेकिन उनका बेटा लियो सेना में है. उनकी बेटी की शादी चार साल पहले हुई थी, दामाद आदिराम और भतीजा एराल युद्ध के लिए चले गए.

हर घर से युवा युद्ध के लिए रवाना: शनिवार को हमले के अगले दिन रविवार को, मेरे दामाद और भतीजे को युद्ध के लिए तुरंत निकलना पड़ा. इजरायल पर हुए हमले से हर इजरायली यहूदी नागरिक आक्रोशित है. औसतन हर घर से एक युवा इस युद्ध के लिए रवाना हुआ हैय यह हम सभी के लिए एक संकट है. लेकिन हम अंत तक लड़ेंगे और जीतेंगे.

मुंबई: इजरायल और हमास के बीच युद्ध जारी है. शनिवार सुबह करीब 6:30 बजे हमास ने इजरायल पर क्रूर हमला किया. इसके बाद से ही वहां जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. घरों में मातम भी पसर गया है. पंद्रह साल तक मुंबई के उमरखाड़ी इलाके में रहने वाले और 1969 में इजरायल चले गए अव्राहम नागांवकर ने इस स्थिति पर अफसोस जताया और वहां की स्थिति के बारे में बताया.

उन्होंने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए ईटीवी भारत को बताया कि यहां हमारा खाना किसी को पसंद नहीं आता. गाजा पट्टी क्षेत्र में 22 गांव हैं. इन गांवों में आतंकी घुस आए. घटना शनिवार सुबह करीब साढ़े छह बजे की है. उस समय हमें सायरन दिया गया. अब तक दो बार सायरन बज चुका था. इज़रायल में आपातकाल के समय हर घर को एक सायरन प्रदान किया जाता है, जिसे आत्मरक्षा और सतर्कता के लिए समझा जा सकता है.

सायरन बजने के बाद घर के सभी लोगों को बंकर में जाकर छिपना पड़ता है. इजरायल में सरकार ने हर किसी के घर में बंकर बनाना अनिवार्य कर दिया है. सायरन बजने के बाद ज्यादातर लोग बंकरों में छिप जाते हैं. हालांकि, सौभाग्य से युद्ध की लपटें हमारे शहर तक नहीं पहुंचीं. अव्राहम नागवकर ने कहा कि मैं डिमोरा शहर में रहता हूं. डिमोरा शहर गाजा पट्टी से 60 किलोमीटर दूर है.

इजरायल में 'शबात' त्यौहार था: उन्होंने आगे कहा कि मैं पंद्रह साल तक मुंबई के उमरखाड़ी इलाके में रहा. मेरी स्कूली शिक्षा मझगांव के एक यहूदी स्कूल में हुई. फिर 1969 से मैं अपने परिवार के साथ इज़रायल आ गया. मेरे परिवार में मेरी पत्नी, बेटी और बेटा, दामाद हैं. अव्राहम ने आगे कहा कि डिमोरा शहर जहां हम रहते हैं, उसकी आबादी लगभग 30 हजार है. यहां हर शुक्रवार को 'शब्बत' का त्योहार मनाया जाता है.

यह उत्सव अगले दिन शनिवार तक 24 घंटे तक जारी रहता है. इस 24 घंटे की अवधि के दौरान, हमें खाना नहीं खाना होता है, गाड़ी नहीं चलानी होती है और यदि आवश्यक हो तो ही घर से बाहर निकलना होता है. संक्षेप में, करने को कोई काम नहीं होता है. पका हुआ भोजन गर्म करके ही खाना होता है. खाना बनाने का मन नहीं करता. धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना होता है.

संगीत कार्यक्रम में घुसे आतंकी: 6 तारीख को शुक्रवार था और अगले दिन, 7 अक्टूबर को त्यौहार का दिन था. इसलिए शनिवार को अधिकांश लोग घर पर ही थे. हालांकि, कुछ युवकों ने गाजा पट्टी से कुछ दूर एक खुली जगह पर एक संगीत कार्यक्रम आयोजित किया. शुक्रवार की रात शुरू हुआ, कार्यक्रम सुबह तक चला. नागांवकर ने कहा कि गाजा पट्टी से घुसे आतंकी सीधे कॉन्सर्ट में घुस गए और वहां करीब 400 लोगों की हत्या कर दी.

दामाद और भतीजा युद्ध के लिए रवाना: नागांवकर सेवानिवृत्त होने के कारण युद्ध में नहीं जा सकते थे. हालांकि, अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, वह पहली बार 18 साल की उम्र में सेना में शामिल हुए और उसके बाद उन्हें सरकारी नौकरियों में नियुक्त किया गया. लेकिन उनका बेटा लियो सेना में है. उनकी बेटी की शादी चार साल पहले हुई थी, दामाद आदिराम और भतीजा एराल युद्ध के लिए चले गए.

हर घर से युवा युद्ध के लिए रवाना: शनिवार को हमले के अगले दिन रविवार को, मेरे दामाद और भतीजे को युद्ध के लिए तुरंत निकलना पड़ा. इजरायल पर हुए हमले से हर इजरायली यहूदी नागरिक आक्रोशित है. औसतन हर घर से एक युवा इस युद्ध के लिए रवाना हुआ हैय यह हम सभी के लिए एक संकट है. लेकिन हम अंत तक लड़ेंगे और जीतेंगे.

Last Updated : Oct 12, 2023, 10:33 PM IST
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