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क्या बिहार में अब CBI के लिए No Entry, जानिए क्या हैं नियम

क्या सीबीआई जैसी शक्तिशाली एजेंसी पर कुछ राज्य चोट मार रहे हैं. ये सवाल इसलिए क्योंकि अब बिहार में जांच एजेंसी की एंट्री पर रोक की मांग होने लगी है. आरजेडी के नेता CBI को बिहार में प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे है. फिलहाल, बिहार में सीबीआई जांच के लिए सामान्य अनुमति है और सीबीआई को इसके लिए अलग से अनुमति नहीं लेनी पड़ती है. पढ़ें क्या हैं नियम

Bihar CBI Probe
Bihar CBI Probe
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Published : Aug 29, 2022, 7:22 PM IST

पटना: आरजेडी नेताओं के ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी (CBI Raids in Bihar) के बाद बिहार सरकार के सभी घटक दल एकजुट हो गए हैं. रविवार को महागठबंधन के घटक दलों ने बैठक (Nitish Kumar mahagathbandhan government) की और उसके बाद संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीबीआई और ईडी को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा और उसी के बाद यह चर्चा शुरू हो गई है. महागठबंधन के घटक दलों की बैठक में 9 राज्यों की तरह बिहार में भी सीबीआई को की इंट्री पर रोक लगाई (RJD Demand CBI ban in Bihar) जाए. बता दें कि पिछले कुछ सालों में कई राज्य सरकारों ने सीबीआई जांच के नियमों में बदलाव (Bihar CBI Probe Rules) किया है. इन नियमों के मुताबिक, राज्य में कहीं पर भी सीबीआई जांच के लिए प्रदेश सरकार की अनुमति (cbi jurisdiction states consent) लेनी होगी. अब बिहार सरकार भी इसी दिशा में कदम बढ़ा रही है.

ये भी पढ़ें - बिहार में CBI की एंट्री के सवाल पर RJD और JDU आमने सामने

बिहार में सीबीआई की नो एंट्री पर क्या बोले शिवानंद तिवारी : आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने भी बिहार में सीबीआई (RJD Leader Shivanand Tiwary On CBI) जांच की अनुमति देने से पहले सोच विचार करने की सलाह दी. हालांकि उन्होंने कहा कि, यह फैसला सरकार के स्तर पर होगा और मेरी राय है कि सरकार को यह फैसला लेना चाहिए.

"यह प्रावधान है कि जांच एजेंसी को जांच के लिए राज्य से कंसेंट लेना होता है, हमारी भी व्यक्तिगत राय है कि जिस तरह से सीबीआई के दुरुपयोग को देखते हुए 9 राज्यों ने दी गई कंसेंट वापस ले ली है, बिहार को भी वापस ले लेना चाहिए ताकि केंद्र सरकार राज्य सरकार को परेशान नहीं कर सके. आज हमलोग देख रहे हैं कि परेशान किया जा रहा है." - शिवानंद तिवारी, वरिष्ठ नेता, आरजेडी

यह फैसला तो सरकार के स्तर पर होगा- कुशवाहा : दूसरी तरफ जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (JDU Leader Upendra Kushwaha on CBI) ने कहा कि महागठबंधन के घटक दल के नेताओं की बैठक में सीबीआई को लेकर ऐसा कोई फैसला हुआ है, मेरी जानकारी में नहीं है और यह फैसला तो सरकार के स्तर पर होगा. अब शिवानंद तिवारी किस आधार पर बयान दे रहे हैं, मेरी जानकारी में नहीं है.

महागठबंधन पर बरसी BJP : बिहार बीजेपी के प्रवक्ता और बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. निखिल आनंद ने कहा, 'बिहार की महागठबंधन सरकार आंतरिक राजनीतिक अंतर्विरोध और भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों के कारण असुरक्षित महसूस कर रही है, जिसमें आरजेडी बुरी तरह फंसी हुई है. ये लोग बेवजह केन्द्रीय जांच एजेंसियों पर शोर-शराबा कर रहे हैं. अब, अपराध और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीतीश कुमार एंड कंपनी के लिए एक तमाशा नारा लगता है. ऐसा लगता है कि सीबीआई ने कुछ दस्तावेजी सबूत जुटाए हैं और आरजेडी डर गया है. नीतीश कुमार और गठबंधन पार्टी के नेताओं पर आरजेडी का दबाव है कि वे ऐसे कदम उठाएं जो संघीय परंपरा के खिलाफ हों.

CBI पर क्या बोले नीतीश कुमार? : दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर बोलने से इनकार कर दिया है. जब राज्य सरकार से आम सहमति वापस लेने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि "मुझे नहीं पता कि दूसरे किस बारे में बात कर रहे हैं. मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.''

राज्यों में CBI की एंट्री, क्या कहते है एक्सपर्ट: रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक और 1983 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी एस के भारद्वाज ने ईटीवी भारत को बताया, "राज्य किसी भी चल रहे मामले में सामान्य सहमति वापस नहीं ले सकता है, लेकिन, अगर कोई नया मामला सामने आता है तो सीबीआई को जांच के लिए राज्य से आम सहमति लेनी होगी."

हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), अधिनियम 2008 द्वारा शासित है, को किसी सहमति की आवश्यकता नहीं है और पूरे देश में इसका अधिकार क्षेत्र है. यह पूछे जाने पर कि क्या बिहार सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति को वापस ले सकता है, बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद ने ईटीवी भरा से कहा, ''एक बार जब कोई राज्य किसी मामले की जांच के लिए सहमति देता है, तो राज्य सामान्य सहमति वापस नहीं ले सकता है. आप सीबीआई को बिहार में प्रवेश करने से नहीं रोक सकते.''

क्या कहती है धारा 5 और 6 : बता दें कि सीबीआई गठन के कानून मुताबिक किसी भी राज्य में उसकी कार्रवाई से पहले वहां की अनुमति लेने का प्रावधान है. सीबीआई का गठन दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम 1946 के तहत हुआ है. इस अधिनियम की धारा 5 के मुताबिक देश के सभी क्षेत्रों में सीबीआई को जांच का अधिकार (cbi general consent rules for states) दिया गया है, लेकिन इसी के साथ ही धारा 6 में साफ कहा गया है कि राज्य सरकार की अनुमति के बिना सीबीआई उस राज्य के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकती है.

इन राज्यों में CBI एंट्री बैन : इस बीच, नवंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि केंद्र अपनी मर्जी से राज्यों की सहमति के बिना केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का दायरा नहीं बढ़ा सकती है. इसके साथ ही सीबीआई जांच केंद्र और संबंधित राज्य की सहमति के बिना शुरू नहीं हो सकती है. यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि विपक्ष शासित नौ राज्यों ने अपने राज्यों में केसों की जांच के लिए सीबीआई को दी गई 'सामान्य सहमति' वापस ले ली है. इसमें पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, केरल, झारखंड और मेघालय जैसे राज्य शामिल हैं.

क्या होती है सामान्य सहमति? : 'सामान्य सहमति' आमतौर पर सीबीआई को संबंधित राज्य में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने में मदद के लिये दी जाती है. लगभग सभी राज्यों द्वारा ऐसी सहमति दी गई है. यदि राज्यों द्वारा सहमति नहीं दी गई है तो सीबीआई को हर एक मामले में जांच करने से पहले राज्य सरकार से सहमति लेना आवश्यक होगा.

उदाहरण के लिये यदि सीबीआई बिहार में लैंड फॉर जॉब स्कैम (Land For Job Scam in Bihar) मामले की जांच करना चाहती है, तो सीबीआई को उस शख्स पर मामला दर्ज करने से पहले बिहार सरकार के पास सहमति के लिये आवेदन करना होगा. लेकिन यहां भी एक पेंच है. अगर सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट सीबीआई को जांच करने का आदेश देती है, तो फिर जांच एजेंसी को राज्य सरकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी.

सहमति दो प्रकार की होती है. एक केस विशिष्ट सहमति और दूसरी सामान्य सहमति. हालांकि सीबीआई का अधिकार क्षेत्र केवल सरकारी विभागों और कर्मचारियों तक सीमित है, लेकिन राज्य सरकार की सहमति मिलने के बाद यह राज्य सरकार के कर्मचारियों या हिंसक अपराध से जुड़े मामलों की जांच भी कर सकती है.

.. तो सरकार की इजाजत के बाद ही बिहार में होगी CBI की एंट्री : बता दें कि नौकरी के बदली जमीन घोटाले में सीबीआई ने आरजेडी नेताओं के पटना समेत 25 ठिकानों पर पिछले दिनों छापेमारी की थी. जिसके बाद आररजेडी नेताओं का मानना है कि बिहार में सीबीआई की एंट्री बैन होनी चाहिए. हालांकि जेडीयू ने ऐसी किसी बात से इंकार किया है. फिलहाल, अगर ऐसा होता है तो सीबीआई को राज्य में जांच करने के लिए एंट्री से पहले बिहार सरकार से इजाजत लेनी होगी.

पटना: आरजेडी नेताओं के ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी (CBI Raids in Bihar) के बाद बिहार सरकार के सभी घटक दल एकजुट हो गए हैं. रविवार को महागठबंधन के घटक दलों ने बैठक (Nitish Kumar mahagathbandhan government) की और उसके बाद संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीबीआई और ईडी को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा और उसी के बाद यह चर्चा शुरू हो गई है. महागठबंधन के घटक दलों की बैठक में 9 राज्यों की तरह बिहार में भी सीबीआई को की इंट्री पर रोक लगाई (RJD Demand CBI ban in Bihar) जाए. बता दें कि पिछले कुछ सालों में कई राज्य सरकारों ने सीबीआई जांच के नियमों में बदलाव (Bihar CBI Probe Rules) किया है. इन नियमों के मुताबिक, राज्य में कहीं पर भी सीबीआई जांच के लिए प्रदेश सरकार की अनुमति (cbi jurisdiction states consent) लेनी होगी. अब बिहार सरकार भी इसी दिशा में कदम बढ़ा रही है.

ये भी पढ़ें - बिहार में CBI की एंट्री के सवाल पर RJD और JDU आमने सामने

बिहार में सीबीआई की नो एंट्री पर क्या बोले शिवानंद तिवारी : आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने भी बिहार में सीबीआई (RJD Leader Shivanand Tiwary On CBI) जांच की अनुमति देने से पहले सोच विचार करने की सलाह दी. हालांकि उन्होंने कहा कि, यह फैसला सरकार के स्तर पर होगा और मेरी राय है कि सरकार को यह फैसला लेना चाहिए.

"यह प्रावधान है कि जांच एजेंसी को जांच के लिए राज्य से कंसेंट लेना होता है, हमारी भी व्यक्तिगत राय है कि जिस तरह से सीबीआई के दुरुपयोग को देखते हुए 9 राज्यों ने दी गई कंसेंट वापस ले ली है, बिहार को भी वापस ले लेना चाहिए ताकि केंद्र सरकार राज्य सरकार को परेशान नहीं कर सके. आज हमलोग देख रहे हैं कि परेशान किया जा रहा है." - शिवानंद तिवारी, वरिष्ठ नेता, आरजेडी

यह फैसला तो सरकार के स्तर पर होगा- कुशवाहा : दूसरी तरफ जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (JDU Leader Upendra Kushwaha on CBI) ने कहा कि महागठबंधन के घटक दल के नेताओं की बैठक में सीबीआई को लेकर ऐसा कोई फैसला हुआ है, मेरी जानकारी में नहीं है और यह फैसला तो सरकार के स्तर पर होगा. अब शिवानंद तिवारी किस आधार पर बयान दे रहे हैं, मेरी जानकारी में नहीं है.

महागठबंधन पर बरसी BJP : बिहार बीजेपी के प्रवक्ता और बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. निखिल आनंद ने कहा, 'बिहार की महागठबंधन सरकार आंतरिक राजनीतिक अंतर्विरोध और भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों के कारण असुरक्षित महसूस कर रही है, जिसमें आरजेडी बुरी तरह फंसी हुई है. ये लोग बेवजह केन्द्रीय जांच एजेंसियों पर शोर-शराबा कर रहे हैं. अब, अपराध और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीतीश कुमार एंड कंपनी के लिए एक तमाशा नारा लगता है. ऐसा लगता है कि सीबीआई ने कुछ दस्तावेजी सबूत जुटाए हैं और आरजेडी डर गया है. नीतीश कुमार और गठबंधन पार्टी के नेताओं पर आरजेडी का दबाव है कि वे ऐसे कदम उठाएं जो संघीय परंपरा के खिलाफ हों.

CBI पर क्या बोले नीतीश कुमार? : दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर बोलने से इनकार कर दिया है. जब राज्य सरकार से आम सहमति वापस लेने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि "मुझे नहीं पता कि दूसरे किस बारे में बात कर रहे हैं. मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.''

राज्यों में CBI की एंट्री, क्या कहते है एक्सपर्ट: रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक और 1983 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी एस के भारद्वाज ने ईटीवी भारत को बताया, "राज्य किसी भी चल रहे मामले में सामान्य सहमति वापस नहीं ले सकता है, लेकिन, अगर कोई नया मामला सामने आता है तो सीबीआई को जांच के लिए राज्य से आम सहमति लेनी होगी."

हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), अधिनियम 2008 द्वारा शासित है, को किसी सहमति की आवश्यकता नहीं है और पूरे देश में इसका अधिकार क्षेत्र है. यह पूछे जाने पर कि क्या बिहार सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति को वापस ले सकता है, बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद ने ईटीवी भरा से कहा, ''एक बार जब कोई राज्य किसी मामले की जांच के लिए सहमति देता है, तो राज्य सामान्य सहमति वापस नहीं ले सकता है. आप सीबीआई को बिहार में प्रवेश करने से नहीं रोक सकते.''

क्या कहती है धारा 5 और 6 : बता दें कि सीबीआई गठन के कानून मुताबिक किसी भी राज्य में उसकी कार्रवाई से पहले वहां की अनुमति लेने का प्रावधान है. सीबीआई का गठन दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम 1946 के तहत हुआ है. इस अधिनियम की धारा 5 के मुताबिक देश के सभी क्षेत्रों में सीबीआई को जांच का अधिकार (cbi general consent rules for states) दिया गया है, लेकिन इसी के साथ ही धारा 6 में साफ कहा गया है कि राज्य सरकार की अनुमति के बिना सीबीआई उस राज्य के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकती है.

इन राज्यों में CBI एंट्री बैन : इस बीच, नवंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि केंद्र अपनी मर्जी से राज्यों की सहमति के बिना केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का दायरा नहीं बढ़ा सकती है. इसके साथ ही सीबीआई जांच केंद्र और संबंधित राज्य की सहमति के बिना शुरू नहीं हो सकती है. यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि विपक्ष शासित नौ राज्यों ने अपने राज्यों में केसों की जांच के लिए सीबीआई को दी गई 'सामान्य सहमति' वापस ले ली है. इसमें पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, केरल, झारखंड और मेघालय जैसे राज्य शामिल हैं.

क्या होती है सामान्य सहमति? : 'सामान्य सहमति' आमतौर पर सीबीआई को संबंधित राज्य में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने में मदद के लिये दी जाती है. लगभग सभी राज्यों द्वारा ऐसी सहमति दी गई है. यदि राज्यों द्वारा सहमति नहीं दी गई है तो सीबीआई को हर एक मामले में जांच करने से पहले राज्य सरकार से सहमति लेना आवश्यक होगा.

उदाहरण के लिये यदि सीबीआई बिहार में लैंड फॉर जॉब स्कैम (Land For Job Scam in Bihar) मामले की जांच करना चाहती है, तो सीबीआई को उस शख्स पर मामला दर्ज करने से पहले बिहार सरकार के पास सहमति के लिये आवेदन करना होगा. लेकिन यहां भी एक पेंच है. अगर सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट सीबीआई को जांच करने का आदेश देती है, तो फिर जांच एजेंसी को राज्य सरकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी.

सहमति दो प्रकार की होती है. एक केस विशिष्ट सहमति और दूसरी सामान्य सहमति. हालांकि सीबीआई का अधिकार क्षेत्र केवल सरकारी विभागों और कर्मचारियों तक सीमित है, लेकिन राज्य सरकार की सहमति मिलने के बाद यह राज्य सरकार के कर्मचारियों या हिंसक अपराध से जुड़े मामलों की जांच भी कर सकती है.

.. तो सरकार की इजाजत के बाद ही बिहार में होगी CBI की एंट्री : बता दें कि नौकरी के बदली जमीन घोटाले में सीबीआई ने आरजेडी नेताओं के पटना समेत 25 ठिकानों पर पिछले दिनों छापेमारी की थी. जिसके बाद आररजेडी नेताओं का मानना है कि बिहार में सीबीआई की एंट्री बैन होनी चाहिए. हालांकि जेडीयू ने ऐसी किसी बात से इंकार किया है. फिलहाल, अगर ऐसा होता है तो सीबीआई को राज्य में जांच करने के लिए एंट्री से पहले बिहार सरकार से इजाजत लेनी होगी.

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