नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और मुख्यमंत्री आतिशी सहित आप के शीर्ष तीन नेताओं के खिलाफ अपने अभियान को आगे बढ़ाएंगे और उनके विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए वोट मांगेंगे.
कांग्रेस ने नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को, कालकाजी सीट पर आतिशी के खिलाफ महिला कांग्रेस प्रमुख अलका लांबा को और जंगपुरा सीट पर सिसोदिया के खिलाफ दिग्गज ताजदार बाबर के बेटे फरहाद सूरी को मैदान में उतारा है.
कांग्रेस उम्मीदवार अब्दुल रहमान के लिए मांगा वोट
राहुल गांधी ने 13 जनवरी को सीलमपुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार अब्दुल रहमान के पक्ष में वोट मांगकर दिल्ली में अपने अभियान की शुरुआत की थी. अब वह 20 जनवरी को नई दिल्ली सीट पर पदयात्रा करेंगे. सूत्रों ने कहा कि जंगपुरा और कालकाजी में भी इसी तरह के पदयात्रा आयोजित किए जाएंगे.उन्होंने कहा कि जहां पुरानी पार्टी खुद को पुनर्जीवित करने की इच्छुक है. वहां,भी पदयात्रा की जा सकती है. इनमें करीब एक दर्जन से अधिक सीटें हैं.
बता दें कि राहुल गांधी ने कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन के केजरीवाल को ‘राष्ट्र-विरोधी’ बताने के अभियान पर रोक लगा दी थी. हालांकि, राहुल ने संदीप दीक्षित पर लगाम नहीं लगाई है, जो विभिन्न नीतिगत मुद्दों पर केजरीवाल पर लगातार हमला करते रहे हैं.
संदीप के समर्थन में राहुल द्वारा 20 जनवरी को पैदल मार्च और रैली करना कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हुआ है, क्योंकि इस पुरानी पार्टी का पूरा अभियान शीला दीक्षित के शासनकाल और केजरीवाल सरकार के 11 साल के दौरान किए गए विकास के बीच के अंतर पर केंद्रित है.
'सीलमपुर रैली को जबरदस्त समर्थन'
दिल्ली कांग्रेस प्रमुख देवेंद्र यादव ने ईटीवी भारत से कहा, "सीलमपुर रैली को जबरदस्त समर्थन मिला. राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा ने देशभर के मतदाताओं को जगाया है. दिल्ली के लोग भी उन्हें सुनने के लिए उत्सुक हैं, क्योंकि उन्हें शीला दीक्षित सरकार के दौरान किए गए कामों की याद आ रही है. आम आदमी पार्टी ने एक गुलाबी तस्वीर पेश की है जो वास्तविकता से कोसों दूर है. कांग्रेस AAP के खोखले दावों को उजागर करेगी."
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के अभियान का मुख्य लक्ष्य पार्टी के वोट शेयर को अधिकतम करना और जितना संभव हो सके AAP को नुकसान पहुंचाना है. इस प्रक्रिया में अगर कांग्रेस कुछ सीटें जीत लेती है, तो यह बोनस की तरह होगा, क्योंकि यह पुरानी पार्टी 2025 के चुनावों में मात्र 4 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जा रही है. 2013 में जब कांग्रेस ने आप के हाथों सत्ता खो दी थी, तब से हाशिये पर रहने के बाद पुरानी पार्टी को एहसास हो गया है कि भाजपा से ज़्यादा AAP ही उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी है.
पूर्व सांसद जेपी अग्रवाल ने ईटीवी भारत से कहा, "मैं संख्या पर टिप्पणी नहीं कर सकता, लेकिन इस बार AAP की सीटें कम हो रही हैं. मतदाताओं के लिए AAP और भाजपा में कोई अंतर नहीं है, क्योंकि दोनों पार्टियां पिछले 11 सालों से एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने में व्यस्त थीं. इस प्रक्रिया में, शीला दीक्षित सरकार के दौरान दिल्ली में जो विकास हुआ, वह पीछे छूट गया. हम शहर का गौरव बहाल करना चाहते हैं."
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