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फोन टैपिंग मामला : आईपीएस रश्मि शुक्ला का नाम नहीं, प्राथमिकी रद्द करने की मांग नहीं कर सकतीं

महाराष्ट्र सरकार ने फोन टैपिंग मामले को लेकर बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला प्राथमिकी रद्द करने की मांग नहीं कर सकती क्योंकि उनका नाम आरोपी के तौर पर नहीं लिया गया है.

rashmi shukla
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Published : Sep 5, 2021, 5:40 PM IST

Updated : Sep 5, 2021, 5:45 PM IST

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय को बताया है कि कथित अवैध फोन टैपिंग, पुलिस तबादलों और पोस्टिंग से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों के लीक होने के मामले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला का नाम आरोपी के तौर पर नहीं लिया गया है. इसलिए वह प्राथमिकी रद्द करने की मांग नहीं कर सकती.

शनिवार को दायर एक हलफनामे में, सरकार ने कहा कि जांच केवल इस बात से संबंधित है कि कैसे संवेदनशील और गोपनीय जानकारी राज्य के खुफिया विभाग (एसआईडी) से तीसरे पक्ष को अनधिकृत रूप से लीक की गई थी और इसका उक्त दस्तावेजों की सामग्री से कोई लेना-देना नहीं है.

इसमें आगे दावा किया कि अपराध किसी भी तरह से राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच किए जा रहे अपराधों से जुड़े नहीं हैं.

हलफनामा रश्मि शुक्ला द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में प्रस्तुत किया गया था, जिसमें प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है और उन्हें पुलिस तबादलों और पोस्टिंग में कथित भ्रष्टाचार पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा लक्षित किया जा रहा है.

मुंबई पुलिस की अपराध शाखा में उपायुक्त रश्मि कारंदिकर की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि पुलिस ने ‘अज्ञात लोगों’ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और ऐसे में याचिकाकर्ता द्वारा प्राथमिकी रद्द करने के लिए याचिका दायर करने का कोई आधार नहीं बनता.

हलफनामे में कहा गया, याचिका सुनवाई करने योग्य नहीं है और इसलिए आधार नहीं होने की वजह से इसे खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि उनका (शुक्ला) नाम प्राथमिकी में आरोपी के तौर पर दर्ज नहीं है.

पढ़ें :- IPS रश्मि शुक्ला की रिपोर्ट सीबीआई के साथ साझा करने के लिए राजी : महाराष्ट्र सरकार

राज्य सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता को नोटिस केवल जांच से संबंधित तथ्यों की जानकारी और सूचना देने के लिए जारी किया गया है. हलफनामे में कहा गया कि प्राथमिकी सरकारी गोपनीयता अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत हुए अपराध की वजह से दर्ज की गयी है.

राज्य सरकार ने कहा कि लीक अति गोपनीय सूचना राज्य खुफिया विभाग से अनधिकृत रूप से प्राप्त की गई जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत संज्ञेय अपराध है.

गौरतलब है कि शुक्ला ने वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी और अधिवक्ता गुंजन मंगला के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि राज्य खुफिया विभाग ने निगरानी (कथित फोन टैपिंग) के लिए राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव से पूर्व अनुमति ली थी.

इस मामले पर न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जामदार की पीठ 13 सितंबर को सुनवाई करेगी.

शुक्ला इस समय केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के अतिरिक्त महानिेदेशक दक्षिण क्षेत्र के पद पर हैदराबाद में तैनात है.

बता दे कि शुक्ला ने जिस प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया है वह मुंबई के बीकेसी साइबर पुलिस थाने में दर्ज की गई है. यह प्राथमिकी कथित तौर पर गैर कानूनी तरीके से फोन टैपिंग करने और गोपनीय दस्तावेजों एवं सूचना लीक करने के मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई है. आरोप है कि फोन टैपिंग की घटना पिछले साल तब हुई जब शुक्ला राज्य खुफिया विभाग की प्रमुख थीं.

(पीटीआई)

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय को बताया है कि कथित अवैध फोन टैपिंग, पुलिस तबादलों और पोस्टिंग से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों के लीक होने के मामले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला का नाम आरोपी के तौर पर नहीं लिया गया है. इसलिए वह प्राथमिकी रद्द करने की मांग नहीं कर सकती.

शनिवार को दायर एक हलफनामे में, सरकार ने कहा कि जांच केवल इस बात से संबंधित है कि कैसे संवेदनशील और गोपनीय जानकारी राज्य के खुफिया विभाग (एसआईडी) से तीसरे पक्ष को अनधिकृत रूप से लीक की गई थी और इसका उक्त दस्तावेजों की सामग्री से कोई लेना-देना नहीं है.

इसमें आगे दावा किया कि अपराध किसी भी तरह से राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच किए जा रहे अपराधों से जुड़े नहीं हैं.

हलफनामा रश्मि शुक्ला द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में प्रस्तुत किया गया था, जिसमें प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है और उन्हें पुलिस तबादलों और पोस्टिंग में कथित भ्रष्टाचार पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा लक्षित किया जा रहा है.

मुंबई पुलिस की अपराध शाखा में उपायुक्त रश्मि कारंदिकर की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि पुलिस ने ‘अज्ञात लोगों’ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और ऐसे में याचिकाकर्ता द्वारा प्राथमिकी रद्द करने के लिए याचिका दायर करने का कोई आधार नहीं बनता.

हलफनामे में कहा गया, याचिका सुनवाई करने योग्य नहीं है और इसलिए आधार नहीं होने की वजह से इसे खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि उनका (शुक्ला) नाम प्राथमिकी में आरोपी के तौर पर दर्ज नहीं है.

पढ़ें :- IPS रश्मि शुक्ला की रिपोर्ट सीबीआई के साथ साझा करने के लिए राजी : महाराष्ट्र सरकार

राज्य सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता को नोटिस केवल जांच से संबंधित तथ्यों की जानकारी और सूचना देने के लिए जारी किया गया है. हलफनामे में कहा गया कि प्राथमिकी सरकारी गोपनीयता अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत हुए अपराध की वजह से दर्ज की गयी है.

राज्य सरकार ने कहा कि लीक अति गोपनीय सूचना राज्य खुफिया विभाग से अनधिकृत रूप से प्राप्त की गई जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत संज्ञेय अपराध है.

गौरतलब है कि शुक्ला ने वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी और अधिवक्ता गुंजन मंगला के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि राज्य खुफिया विभाग ने निगरानी (कथित फोन टैपिंग) के लिए राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव से पूर्व अनुमति ली थी.

इस मामले पर न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जामदार की पीठ 13 सितंबर को सुनवाई करेगी.

शुक्ला इस समय केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के अतिरिक्त महानिेदेशक दक्षिण क्षेत्र के पद पर हैदराबाद में तैनात है.

बता दे कि शुक्ला ने जिस प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया है वह मुंबई के बीकेसी साइबर पुलिस थाने में दर्ज की गई है. यह प्राथमिकी कथित तौर पर गैर कानूनी तरीके से फोन टैपिंग करने और गोपनीय दस्तावेजों एवं सूचना लीक करने के मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई है. आरोप है कि फोन टैपिंग की घटना पिछले साल तब हुई जब शुक्ला राज्य खुफिया विभाग की प्रमुख थीं.

(पीटीआई)

Last Updated : Sep 5, 2021, 5:45 PM IST
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