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International Yoga Day 2022: झुग्गी बस्तियों के बच्चों की जिंदगी संवार रहीं हैं गायत्री, अब तक 5 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स को सिखा चुकी हैं नि:शुल्क योग

आज भी कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पैसे का मुंह नहीं देखते और समाज सेवा में जुड़ जाते हैं, ऐसे ही भोपाल की रहने वाली गायत्री जायसवाल नि:शुल्क योग सिखा कर झुग्गी बस्तियों के बच्चों की जिंदगी संवार रहीं हैं. झुग्गी बस्ती के निर्धन बच्चे भी योग सीख कर बेहद खुश हैं. (International Yoga Day 2022)

International Yoga Day 2022
झुग्गी बस्तियों के बच्चों की जिंदगी संवार रहीं हैं गायत्री
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Published : Jun 20, 2022, 11:06 PM IST

भोपाल। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर हम आपको एक ऐसी योग शिक्षिका से मिलवाने जा रहे हैं, (International Yoga Day 2022) जो योग तो सिखाती हैं लेकिन सिर्फ गरीब बच्चों को. भोपाल की रहने वाली गायत्री जायसवाल पिछले 11 वर्षों से योग की कक्षाएं ले रहीं हैं, मूल रूप से योग टीचर गायत्री गरीब बस्तियों में जाकर उन बच्चों को निःशुल्क ट्रेनिंग देती हैं, जिनके पास योग सीखने के पैसे नहीं होते.

झुग्गी बस्तियों के बच्चों की जिंदगी संवार रहीं हैं गायत्री

बच्चों को स्वस्थ बनाने की इच्छा: कहते हैं योग हर तरह के रोग भगा देता है, अगर सुबह-सुबह 5 से 10 मिनट ही योगाभ्यास कर लिया जाए तो शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है और इससे मन भी शांत रहता है. आम व्यक्ति तो स्कूल, कॉलेज या योग कक्षाओं में पैसे देकर इसे सीख लेता है, लेकिन गरीब, निर्धन लोगों का क्या? अपने माता पिता के साथ सुबह से ही जो बच्चो काम पर निकल जाते हैं, ऐसे ही बच्चों को योग के माध्यम से स्वस्थ और निरोगी बनाने की इच्छा लिए काम कर रही हैं, गायत्री जायसवाल. जी हां भोपाल की रहने वाली गायत्री पिछले 15 सालों से प्राइवेट योग टीचर के रूप में कक्षाएं लेती हैं, लेकिन पिछले 11 वर्षों से वे झुग्गी बच्चों बस्तियों में जाकर बच्चों को योग सिखाती हैं.

करें योग, रहें निरोग: गायत्री बतातीं हैं कि "मैं अभी तक 5000 से अधिक बच्चों को अलग-अलग बस्तियों में जाकर योग सिखा चुकी हूं, इन बच्चों की 7-7 दिन की कक्षाएं लेती हूं और इन बच्चों को निशुल्क योग सिखाती हूं. यही सिलसिला पिछले 11 सालों से चला आ रहा है." बता दें कि गायत्री ने D.Ed के बाद योग में M.A किया है, लेकिन जब वे कॉलेज में थीं उसी दौरान उन्होंने योग सिखाना शुरू किया था. तब उनको लगा कि बस्तियों में जाकर भी इन बच्चों को योग सिखाया जाए, जिससे बच्चे भी बीमारियों से बच सकें. गायत्री के परिवार में उनके पति और दो बेटे हैं, एक बेटा बारहवीं में पढ़ता है ,जबकि दूसरा दसवीं में. गायत्री कहतीं हैं कि "सुबह और शाम के समय वह इन बस्तियों में जाकर गरीब और निर्धन बच्चों को योग सिखाती हैं, जिससे वह भी निरोगी रह सकें. सभी को योग करना चाहिए."

पीएम मोदी ने देशवासियों से की योग दिवस को सफल बनाने की अपील

इन इलाकों में सिखा चुकीं हैं योग: गायत्री अभी तक भोपाल के साथ ही रायसेन, विदिशा, सांची, शाजापुर, शुजालपुर, के साथ ही कई और जगहों की भी झुग्गी बस्तियों में जाकर बच्चों को योग सिखा चुकीं हैं, गायत्री कहतीं हैं कि "जैसे ही समय मिलता है, वैसे ही मैं इन बस्तियों में जाकर उन बच्चों को योग सिखाती हूं, इससे बच्चों को भी सुकून मिलता है और साथ में बच्चों की मुस्कुराहट देखकर मेरा भी मन खुश हो जाता है."

योग सीख कर खुश हो रहे हैं बच्चे: फिलहाल गायत्री भोपाल में कोलार के पास स्थित झुग्गी बस्ती में जब योग सिखाने पहुंची तो बच्चों की खुशी अलग ही देखते बनी. गुनगुन नाम की एक बच्ची कहती है कि "मैं रोज यहां पर योग सीखने आती हूं, पिछले 5 दिन से मैं लगातार योग सीख रहीं हूं, आगे भी दीदी जहां जाएंगी वो साथ जाएगी." इसी के साथ 12 साल के कमलेश का कहना है कि "मैं माता-पिता के साथ सहयोग के रूप में काम करता हूं, जिससे कुछ पैसा मिल जाता है. लेकिन जब सुबह-सुबह दीदी योग कराने आतीं हैं तो दिन भर अच्छा लगता है."

भोपाल। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर हम आपको एक ऐसी योग शिक्षिका से मिलवाने जा रहे हैं, (International Yoga Day 2022) जो योग तो सिखाती हैं लेकिन सिर्फ गरीब बच्चों को. भोपाल की रहने वाली गायत्री जायसवाल पिछले 11 वर्षों से योग की कक्षाएं ले रहीं हैं, मूल रूप से योग टीचर गायत्री गरीब बस्तियों में जाकर उन बच्चों को निःशुल्क ट्रेनिंग देती हैं, जिनके पास योग सीखने के पैसे नहीं होते.

झुग्गी बस्तियों के बच्चों की जिंदगी संवार रहीं हैं गायत्री

बच्चों को स्वस्थ बनाने की इच्छा: कहते हैं योग हर तरह के रोग भगा देता है, अगर सुबह-सुबह 5 से 10 मिनट ही योगाभ्यास कर लिया जाए तो शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है और इससे मन भी शांत रहता है. आम व्यक्ति तो स्कूल, कॉलेज या योग कक्षाओं में पैसे देकर इसे सीख लेता है, लेकिन गरीब, निर्धन लोगों का क्या? अपने माता पिता के साथ सुबह से ही जो बच्चो काम पर निकल जाते हैं, ऐसे ही बच्चों को योग के माध्यम से स्वस्थ और निरोगी बनाने की इच्छा लिए काम कर रही हैं, गायत्री जायसवाल. जी हां भोपाल की रहने वाली गायत्री पिछले 15 सालों से प्राइवेट योग टीचर के रूप में कक्षाएं लेती हैं, लेकिन पिछले 11 वर्षों से वे झुग्गी बच्चों बस्तियों में जाकर बच्चों को योग सिखाती हैं.

करें योग, रहें निरोग: गायत्री बतातीं हैं कि "मैं अभी तक 5000 से अधिक बच्चों को अलग-अलग बस्तियों में जाकर योग सिखा चुकी हूं, इन बच्चों की 7-7 दिन की कक्षाएं लेती हूं और इन बच्चों को निशुल्क योग सिखाती हूं. यही सिलसिला पिछले 11 सालों से चला आ रहा है." बता दें कि गायत्री ने D.Ed के बाद योग में M.A किया है, लेकिन जब वे कॉलेज में थीं उसी दौरान उन्होंने योग सिखाना शुरू किया था. तब उनको लगा कि बस्तियों में जाकर भी इन बच्चों को योग सिखाया जाए, जिससे बच्चे भी बीमारियों से बच सकें. गायत्री के परिवार में उनके पति और दो बेटे हैं, एक बेटा बारहवीं में पढ़ता है ,जबकि दूसरा दसवीं में. गायत्री कहतीं हैं कि "सुबह और शाम के समय वह इन बस्तियों में जाकर गरीब और निर्धन बच्चों को योग सिखाती हैं, जिससे वह भी निरोगी रह सकें. सभी को योग करना चाहिए."

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इन इलाकों में सिखा चुकीं हैं योग: गायत्री अभी तक भोपाल के साथ ही रायसेन, विदिशा, सांची, शाजापुर, शुजालपुर, के साथ ही कई और जगहों की भी झुग्गी बस्तियों में जाकर बच्चों को योग सिखा चुकीं हैं, गायत्री कहतीं हैं कि "जैसे ही समय मिलता है, वैसे ही मैं इन बस्तियों में जाकर उन बच्चों को योग सिखाती हूं, इससे बच्चों को भी सुकून मिलता है और साथ में बच्चों की मुस्कुराहट देखकर मेरा भी मन खुश हो जाता है."

योग सीख कर खुश हो रहे हैं बच्चे: फिलहाल गायत्री भोपाल में कोलार के पास स्थित झुग्गी बस्ती में जब योग सिखाने पहुंची तो बच्चों की खुशी अलग ही देखते बनी. गुनगुन नाम की एक बच्ची कहती है कि "मैं रोज यहां पर योग सीखने आती हूं, पिछले 5 दिन से मैं लगातार योग सीख रहीं हूं, आगे भी दीदी जहां जाएंगी वो साथ जाएगी." इसी के साथ 12 साल के कमलेश का कहना है कि "मैं माता-पिता के साथ सहयोग के रूप में काम करता हूं, जिससे कुछ पैसा मिल जाता है. लेकिन जब सुबह-सुबह दीदी योग कराने आतीं हैं तो दिन भर अच्छा लगता है."

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