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जीव विज्ञान संस्थान ने कोरोना वायरस पर अनुसंधान के लिए पशु मॉडल विकसित किए - जैव प्रौद्योगिकी विभाग

भुवनेश्वर स्थित जीव विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने पशु मॉडल और एक आधुनिक प्रयोगशाला विकसित की है, जो कोरोना वायरस की रोकथाम में प्रभावी हो सकने वाले टीकों और दवाओं की जांच एवं आकलन में मददगार होगी.

Institute of Life Sciences develops animal models for research on coronavirus
ओडिशा : जीव विज्ञान संस्थान ने कोरोना वायरस पर अनुसंधान के लिए पशु मॉडल विकसित किए
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Published : Jun 8, 2021, 7:35 AM IST

भुवनेश्वर : भुवनेश्वर स्थित जीव विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने पशु मॉडल और एक आधुनिक प्रयोगशाला विकसित की है, जो कोरोना वायरस की रोकथाम में प्रभावी हो सकने वाले टीकों और दवाओं की जांच एवं आकलन में मददगार होगी.

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने यह जानकारी दी.

कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से मनुष्यों का बचाव करने की अहम रणनीति प्रभावी टीकों एवं उपचार को विकसित करना है.

डीबीटी ने एक बयान में कहा कि मनुष्यों में सार्स-सीओवी-2 के कारण होने वाली बीमारी के रोगजनन (पैथजेनिसिस) से मिलते जुलते पशु मॉडल बीमारी के तंत्र संबंधी अनुसंधान और संभावित टीकों एवं विषाणुरोधी दवाओं के आकलन के लिए आवश्यक हैं.

चूहे और सीरियाई हैम्स्टर जैसे छोटे जानवर सार्स-सीओवी-2 के अध्ययन में उपयोगी हो सकते हैं.

पढ़ें : मराठा आरक्षण के लिए पीएम मोदी से मिलेंगे सीएम उद्धव ठाकरे


डीबीटी ने कहा कि सार्स-सीओवी-2 के संभावित टीकों एवं दवाओं को विकसित करने के लिए इन जरूरतों की महत्ता को समझते हुए भुवनेश्वर स्थित जीव विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने ये पशु मॉडल और एक एबीएसएल3 (पशु जैव सुरक्षा स्तर तीन) प्रयोगशाला स्थापित की है.

(पीटीआई-भाषा)

भुवनेश्वर : भुवनेश्वर स्थित जीव विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने पशु मॉडल और एक आधुनिक प्रयोगशाला विकसित की है, जो कोरोना वायरस की रोकथाम में प्रभावी हो सकने वाले टीकों और दवाओं की जांच एवं आकलन में मददगार होगी.

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने यह जानकारी दी.

कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से मनुष्यों का बचाव करने की अहम रणनीति प्रभावी टीकों एवं उपचार को विकसित करना है.

डीबीटी ने एक बयान में कहा कि मनुष्यों में सार्स-सीओवी-2 के कारण होने वाली बीमारी के रोगजनन (पैथजेनिसिस) से मिलते जुलते पशु मॉडल बीमारी के तंत्र संबंधी अनुसंधान और संभावित टीकों एवं विषाणुरोधी दवाओं के आकलन के लिए आवश्यक हैं.

चूहे और सीरियाई हैम्स्टर जैसे छोटे जानवर सार्स-सीओवी-2 के अध्ययन में उपयोगी हो सकते हैं.

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डीबीटी ने कहा कि सार्स-सीओवी-2 के संभावित टीकों एवं दवाओं को विकसित करने के लिए इन जरूरतों की महत्ता को समझते हुए भुवनेश्वर स्थित जीव विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने ये पशु मॉडल और एक एबीएसएल3 (पशु जैव सुरक्षा स्तर तीन) प्रयोगशाला स्थापित की है.

(पीटीआई-भाषा)

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