ETV Bharat / bharat

जिसके हत्या के आरोप में 7 साल से जेल में बंद था बेगुनाह, जिंदा निकली वो लड़की, यूपी डीजीपी से NHRC ने तलब की रिपोर्ट - lucknow news

उत्तर प्रदेश में एक बेगुनाह युवक को सात साल जेल में गुजारने पड़े. आखिर ऐसा कैसे हुआ चलिए जानते हैं.

ि
ि
author img

By

Published : Dec 30, 2022, 11:05 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एक युवक को बिना गुनाह किए ही हत्या के आरोप में सात साल जेल में रहना पड़ा. इसके पीछे का कारण पुलिस की गलत जांच होना सामने आया है. अब राष्ट्रीय मानवाधिकार ने यूपी के डीजीपी को नोटिस जारी करते हुए इस मामले की जांच का निर्देश दिया है. यही नहीं 4 हफ्तों में आयोग के सामने जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है. आयोग ने यह आदेश एडवोकेट और मानवाधिकार कार्यकर्ता राधाकांत त्रिपाठी की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

सुप्रीम कोर्ट के वकील व मानवाधिकार कार्यकर्ता राधाकांत त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि 17 फरवरी 2015 में यूपी के अलीगढ़ जिले में ढांठौली गांव के एक किसान ने गोंडा थाने पुलिस को गुमशुदगी की तहरीर दी थी. जिसमें कहा गया कि उनकी 10वीं में पढ़ने वाली 17 वर्षीय बेटी लापता है. उसके लापता होने के पीछे पिता ने गांव विष्णु पर संदेह जताया. पुलिस ने अपहरण की धारा 363 और शादी का झांसा देकर अगवा करने की धारा 366 के तहत केस दर्ज किया. करीब एक माह बाद 24 मार्च, 2015 को पुलिस को एक लड़की का शव बरामद हुआ. गोंडा थाने में एफआईआर दर्ज कराने वाले ढांठौली गांव के किसान ने शव की पहचान अपनी बेटी के रूप में की. जिसके बाद पुलिस ने विष्णु को गिरफ़्तार कर लिया. यही नहीं पुलिस ने मुकदमे में हत्या की धारा 302 भी जोड़ ली और विष्णु पर सबूत नष्ट करने के भी आरोप लगाए. दिसंबर 2022 को यह पता चला कि जिसकी हत्या के आरोप में विष्णु को गिरफ़्तार किया गया था, वह लड़की ज़िंदा है.


वकील राधा कांत के मुताबिक इस मामले में एक बेगुनाह युवक को अपने जीवन के 7 साल बिना बिना गुनाह के जेल की सलाखों के पीछे बिताने पड़े. राधाकांत ने कहा कि पुलिस की गलत जांच का खामियाजा जिस बेगुनाह युवक को भुगतना पड़ा, उसके जीवन के ये सात साल कौन लौटाएगा? कोई नहीं लौटा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए उसे मुआवजा दिया जाना चाहिए. ऐसे में मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में यूपी के डीजीपी को चार हफ्तों में जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.

ये भी पढ़ेंः गजब! न दरवाजा न दीवार, एक साथ लगा दीं चार टॉयलेट सीटें, Video Viral

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एक युवक को बिना गुनाह किए ही हत्या के आरोप में सात साल जेल में रहना पड़ा. इसके पीछे का कारण पुलिस की गलत जांच होना सामने आया है. अब राष्ट्रीय मानवाधिकार ने यूपी के डीजीपी को नोटिस जारी करते हुए इस मामले की जांच का निर्देश दिया है. यही नहीं 4 हफ्तों में आयोग के सामने जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है. आयोग ने यह आदेश एडवोकेट और मानवाधिकार कार्यकर्ता राधाकांत त्रिपाठी की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

सुप्रीम कोर्ट के वकील व मानवाधिकार कार्यकर्ता राधाकांत त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि 17 फरवरी 2015 में यूपी के अलीगढ़ जिले में ढांठौली गांव के एक किसान ने गोंडा थाने पुलिस को गुमशुदगी की तहरीर दी थी. जिसमें कहा गया कि उनकी 10वीं में पढ़ने वाली 17 वर्षीय बेटी लापता है. उसके लापता होने के पीछे पिता ने गांव विष्णु पर संदेह जताया. पुलिस ने अपहरण की धारा 363 और शादी का झांसा देकर अगवा करने की धारा 366 के तहत केस दर्ज किया. करीब एक माह बाद 24 मार्च, 2015 को पुलिस को एक लड़की का शव बरामद हुआ. गोंडा थाने में एफआईआर दर्ज कराने वाले ढांठौली गांव के किसान ने शव की पहचान अपनी बेटी के रूप में की. जिसके बाद पुलिस ने विष्णु को गिरफ़्तार कर लिया. यही नहीं पुलिस ने मुकदमे में हत्या की धारा 302 भी जोड़ ली और विष्णु पर सबूत नष्ट करने के भी आरोप लगाए. दिसंबर 2022 को यह पता चला कि जिसकी हत्या के आरोप में विष्णु को गिरफ़्तार किया गया था, वह लड़की ज़िंदा है.


वकील राधा कांत के मुताबिक इस मामले में एक बेगुनाह युवक को अपने जीवन के 7 साल बिना बिना गुनाह के जेल की सलाखों के पीछे बिताने पड़े. राधाकांत ने कहा कि पुलिस की गलत जांच का खामियाजा जिस बेगुनाह युवक को भुगतना पड़ा, उसके जीवन के ये सात साल कौन लौटाएगा? कोई नहीं लौटा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए उसे मुआवजा दिया जाना चाहिए. ऐसे में मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में यूपी के डीजीपी को चार हफ्तों में जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.

ये भी पढ़ेंः गजब! न दरवाजा न दीवार, एक साथ लगा दीं चार टॉयलेट सीटें, Video Viral

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.