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लॉकडाउन की जगह कोविड प्रोटोकॉल को सख्ती से लागू करने के पक्ष में उद्योग जगत - स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोटोकॉल

कोविड की दूसरी लहर आने के बाद कई राज्यों ने रात में कर्फ्यू की घोषणा की है. वहीं इंडिया इंक ने सरकारों से लॉकडाउन लगाने की जगह स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन कराने की अपील की है.

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Published : Apr 12, 2021, 5:35 PM IST

नई दिल्ली : कोविड की दूसरी लहर आने के बाद कई राज्यों ने रात में कर्फ्यू की घोषणा की है. वहीं इंडिया इंक ने सरकारों से लॉकडाउन लगाने की जगह स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोटोकॉल को कड़ाई से लागू करने की अपील की है. साथ ही इंडिया इंक ने मौजूदा दौर में टीकाकरण के साथ अतिरिक्त कच्चा माल की उपलब्धता पर ध्यान देने की बात कही.

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) द्वारा आयोजित 700 से अधिक सीईओ (CEO) के बीच करवाए गए सर्वे के मुताबिक उद्योग जगत से जुड़े दिग्गजों का मानना है कि आज कोरोना से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां और वैक्सीन हमारे देश में हैं और एक बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा है. ऐसे में मौजूदा कोरोना संक्रमण के दौर में लोगों की जिंदगी बचाने के साथ आजीविका के साधनों की भी रक्षा करनी होगी.

50 फीसदी तक उत्पादन पर पड़ेगा असर

सर्वे में शामिल 710 सीईओ में से तीन चौथाई ने माना कि आंशिक लॉकडाउन से श्रमिकों की आवाजाही और सामान की आपूर्ति दोनों पर असर पड़ेगा. जिसका सीधा असर उत्पादन पर होगा.

करीब 60 फीसदी सीईओ ने कहा कि इस वजह से उनका उत्पादन प्रभावित हो सकता है. उनमें से लगभग सभी ने माना कि ऐसे कदम उठाने से उत्पादन पर 50 फीसदी तक असर पड़ेगा.

सर्वेक्षण में छोटी और मझोली कंपनियों (विनिर्माण और सेवा उद्योग) के दो-तिहाई से अधिक सीईओ ने हिस्सा लिया, जो संगठित क्षेत्र में भारत की श्रम शक्ति के बड़े पैमाने पर काम करते हैं.

सख्ती करें, लॉकडाउन नहीं : उद्योग जगत

सीआईआई के अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन ने कहा, 'स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करवाना जरूरी है. लेकिन सामाजिक समारोहों पर कड़े प्रतिबंध लगाने संबंधी नियम उद्योग व कारोबार की सामान्य प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले नहीं होने चाहिए.

सर्वेक्षण के अनुसार 96 फीसदी सीईओ ने माना की भारतीय उद्योग कोविड से जुड़े सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. ये सभी सीईओ देश में आंशिक लॉकडाउन की बजाय कोविड से जुड़ी सावधानियों को सख्ती से लागू करने के पक्षधर हैं.

कोरोना के नए मामलों में तेजी

अप्रैल महीने की शुरुआत में देशभर में कोरोना संक्रमण के नए मामलों में बहुत तेजी दर्ज की गई है. इस साल फरवरी में औसतन 10 से 12 हजार मामले रोज सामने आ रहे थे, जो बीते 11 अप्रैल को 1.7 लाख तक पहुंच चुके हैं. एक दिन में आए सबसे अधिक कोरोना मामलों का ये रिकॉर्ड है.

पढ़ें - वैक्सीन की कमी पर बोले राउत- लगातार स्वार्थी बन रहा केंद्र

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का सबसे बुरा असर महाराष्ट्र पर हुआ है, जहां कोरोना के एक्टिव मामले 12 लाख के पार पहुंच गए हैं. इसके अलावा पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी मामले लगातार बढ़ रहे हैं. पंजाब सरकार ने पूरे राज्य में नाइट कर्फ्यू लगाया है, जबकि यूपी में जिन शहरों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं उन शहरों में नाइट कर्फ्यू लगाया गया है.

उधर महाराष्ट्र में नाइट कर्फ्यू के साथ वीकेंड लॉकडाउन भी लगा हुआ है, लेकिन प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार को देखते हुए उद्धव ठाकरे सरकार प्रदेश में 8 से 14 दिन का लॉकडाउन लगाने पर विचार कर रही है.

कोरोना संक्रमण के मामलों में अचानक हुई बढ़ोतरी ने उद्योग जगत को डरा दिया है. उद्योग जगत को पिछले साल का लॉकडाउन का वो वक्त याद आ रहा है, जब कोरोना संक्रमण को देखते हुए पीएम मोदी ने 24 मार्च 2020 को करीब 3 महीने के लिए अप्रैल से जून तक देशभर में लॉकडाउन लगा दिया था. जिसका सीधा असर उद्योगों पर पड़ा था.

प्रतिबंधों के प्रतिकूल असर को कम करना

सीआईआई द्वारा कराए गए सर्वे में दो तिहाई सीईओ ने कहा कि वो मौजूदा टीकाकरण अभियान में सरकार के साथ हैं और कार्यक्षेत्र में मौजूद योग्यता रखने वाले 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के टीकाकरण के समर्थक हैं.

दूसरी तरफ उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार बड़ी संख्या में भारतीय कंपनियों की लचीली आपूर्ति व्यवस्था की वजह से इनमें बाधा आ रही है. इस पर कंपनियों के सीईओ का कहना है कि इसके लिए वह परिवहन लागत वहन करने को तैयार हैं.

रात के कर्फ्यू के दौरान श्रमिकों को मिले मुफ्त आवाजाही की अनुमति

सीआईआई के सर्वे के अनुसार 57 फीसद कंपनियां लॉकडाउन के दौरान कच्चे माल की कमी से निपटने के लिए अतिरिक्त कच्चे माल के भंडारण की पक्षधर थी. अगर नाइट कर्फ्यू जैसी व्यवस्था से कर्मचारियों या कामगारों को आवाजाही में परेशानी होगी, तो ऐसे में एक तिहाई सीईओ कर्मचारियों के रहने की व्यवस्था कार्यक्षेत्र (फैक्ट्री या कंपनी) में ही करने के लिए तैयार थे.

60 फीसदी से ज्यादा सीईओ का सुझाव था कि सरकार को कर्मचारियों या कामगारों की आवाजाही की अनुमति हर वक्त होनी चाहिए फिर चाहे नाइट कर्फ्यू ही क्यों ना हो.

सीआईआई के अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन ने कहा, 'सरकार ने कोरोना की पहली लहर के दौरान जीवन और जीविका दोनों को प्रभावी ढंग से संभाला. मौजूदा वक्त में भी सरकार ने आंशिक लॉकडाउन से औद्योगिक गतिविधियों को दूर रखा है'. नरेंद्रन कहते हैं कि इससे बीते दौर में देश को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई में मदद मिलेगी.

पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट के 80 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जज करेंगे सुनवाई

नई दिल्ली : कोविड की दूसरी लहर आने के बाद कई राज्यों ने रात में कर्फ्यू की घोषणा की है. वहीं इंडिया इंक ने सरकारों से लॉकडाउन लगाने की जगह स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोटोकॉल को कड़ाई से लागू करने की अपील की है. साथ ही इंडिया इंक ने मौजूदा दौर में टीकाकरण के साथ अतिरिक्त कच्चा माल की उपलब्धता पर ध्यान देने की बात कही.

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) द्वारा आयोजित 700 से अधिक सीईओ (CEO) के बीच करवाए गए सर्वे के मुताबिक उद्योग जगत से जुड़े दिग्गजों का मानना है कि आज कोरोना से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां और वैक्सीन हमारे देश में हैं और एक बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा है. ऐसे में मौजूदा कोरोना संक्रमण के दौर में लोगों की जिंदगी बचाने के साथ आजीविका के साधनों की भी रक्षा करनी होगी.

50 फीसदी तक उत्पादन पर पड़ेगा असर

सर्वे में शामिल 710 सीईओ में से तीन चौथाई ने माना कि आंशिक लॉकडाउन से श्रमिकों की आवाजाही और सामान की आपूर्ति दोनों पर असर पड़ेगा. जिसका सीधा असर उत्पादन पर होगा.

करीब 60 फीसदी सीईओ ने कहा कि इस वजह से उनका उत्पादन प्रभावित हो सकता है. उनमें से लगभग सभी ने माना कि ऐसे कदम उठाने से उत्पादन पर 50 फीसदी तक असर पड़ेगा.

सर्वेक्षण में छोटी और मझोली कंपनियों (विनिर्माण और सेवा उद्योग) के दो-तिहाई से अधिक सीईओ ने हिस्सा लिया, जो संगठित क्षेत्र में भारत की श्रम शक्ति के बड़े पैमाने पर काम करते हैं.

सख्ती करें, लॉकडाउन नहीं : उद्योग जगत

सीआईआई के अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन ने कहा, 'स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करवाना जरूरी है. लेकिन सामाजिक समारोहों पर कड़े प्रतिबंध लगाने संबंधी नियम उद्योग व कारोबार की सामान्य प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले नहीं होने चाहिए.

सर्वेक्षण के अनुसार 96 फीसदी सीईओ ने माना की भारतीय उद्योग कोविड से जुड़े सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. ये सभी सीईओ देश में आंशिक लॉकडाउन की बजाय कोविड से जुड़ी सावधानियों को सख्ती से लागू करने के पक्षधर हैं.

कोरोना के नए मामलों में तेजी

अप्रैल महीने की शुरुआत में देशभर में कोरोना संक्रमण के नए मामलों में बहुत तेजी दर्ज की गई है. इस साल फरवरी में औसतन 10 से 12 हजार मामले रोज सामने आ रहे थे, जो बीते 11 अप्रैल को 1.7 लाख तक पहुंच चुके हैं. एक दिन में आए सबसे अधिक कोरोना मामलों का ये रिकॉर्ड है.

पढ़ें - वैक्सीन की कमी पर बोले राउत- लगातार स्वार्थी बन रहा केंद्र

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का सबसे बुरा असर महाराष्ट्र पर हुआ है, जहां कोरोना के एक्टिव मामले 12 लाख के पार पहुंच गए हैं. इसके अलावा पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी मामले लगातार बढ़ रहे हैं. पंजाब सरकार ने पूरे राज्य में नाइट कर्फ्यू लगाया है, जबकि यूपी में जिन शहरों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं उन शहरों में नाइट कर्फ्यू लगाया गया है.

उधर महाराष्ट्र में नाइट कर्फ्यू के साथ वीकेंड लॉकडाउन भी लगा हुआ है, लेकिन प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार को देखते हुए उद्धव ठाकरे सरकार प्रदेश में 8 से 14 दिन का लॉकडाउन लगाने पर विचार कर रही है.

कोरोना संक्रमण के मामलों में अचानक हुई बढ़ोतरी ने उद्योग जगत को डरा दिया है. उद्योग जगत को पिछले साल का लॉकडाउन का वो वक्त याद आ रहा है, जब कोरोना संक्रमण को देखते हुए पीएम मोदी ने 24 मार्च 2020 को करीब 3 महीने के लिए अप्रैल से जून तक देशभर में लॉकडाउन लगा दिया था. जिसका सीधा असर उद्योगों पर पड़ा था.

प्रतिबंधों के प्रतिकूल असर को कम करना

सीआईआई द्वारा कराए गए सर्वे में दो तिहाई सीईओ ने कहा कि वो मौजूदा टीकाकरण अभियान में सरकार के साथ हैं और कार्यक्षेत्र में मौजूद योग्यता रखने वाले 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के टीकाकरण के समर्थक हैं.

दूसरी तरफ उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार बड़ी संख्या में भारतीय कंपनियों की लचीली आपूर्ति व्यवस्था की वजह से इनमें बाधा आ रही है. इस पर कंपनियों के सीईओ का कहना है कि इसके लिए वह परिवहन लागत वहन करने को तैयार हैं.

रात के कर्फ्यू के दौरान श्रमिकों को मिले मुफ्त आवाजाही की अनुमति

सीआईआई के सर्वे के अनुसार 57 फीसद कंपनियां लॉकडाउन के दौरान कच्चे माल की कमी से निपटने के लिए अतिरिक्त कच्चे माल के भंडारण की पक्षधर थी. अगर नाइट कर्फ्यू जैसी व्यवस्था से कर्मचारियों या कामगारों को आवाजाही में परेशानी होगी, तो ऐसे में एक तिहाई सीईओ कर्मचारियों के रहने की व्यवस्था कार्यक्षेत्र (फैक्ट्री या कंपनी) में ही करने के लिए तैयार थे.

60 फीसदी से ज्यादा सीईओ का सुझाव था कि सरकार को कर्मचारियों या कामगारों की आवाजाही की अनुमति हर वक्त होनी चाहिए फिर चाहे नाइट कर्फ्यू ही क्यों ना हो.

सीआईआई के अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन ने कहा, 'सरकार ने कोरोना की पहली लहर के दौरान जीवन और जीविका दोनों को प्रभावी ढंग से संभाला. मौजूदा वक्त में भी सरकार ने आंशिक लॉकडाउन से औद्योगिक गतिविधियों को दूर रखा है'. नरेंद्रन कहते हैं कि इससे बीते दौर में देश को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई में मदद मिलेगी.

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