इंदौर। ओलावृष्टि और बारिश से परेशान किसानों को अब अपनी फसल बेचने के लिए मंडियों में धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है. दरअसल, समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू होने के बाद किसान अपनी फसल लेकर मंडियों में पहुंच रहे हैं. लेकिन उनकी उपज को नमी और साफ नहीं होने के नाम पर समर्थन मूल्य से भी कम कीमतों पर खरीदा जा रहा है. इंदौर में ऐसी स्थिति के चलते किसानों ने मंडी की खरीदी रोककर चक्काजाम कर दिया. किसानों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
1700 रुपए की दर से हो रही खरीदी : इस साल गेहूं के समर्थन मूल्य की दरें 2150 रुपए प्रति क्विंटल है. राज्य सरकार ने गेहूं बेचने के लिए किसानों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने के बाद 25 मार्च से 10 मई तक समर्थन मूल्य पर मंडियों में गेहूं खरीदने की प्रक्रिया शुरू की है. लेकिन मंडियों में व्यापारियों और मंडी समितियों का कहना है कि जो गेहूं मंडियों में लाया जा रहा है, उसमें निर्धारित मात्रा से ज्यादा नमी और कचरा है. लिहाजा, मंडियों में होने वाली खुली नीलामी में किसानों की उपज 1700 से 1800 रुपए प्रति क्विंटल खरीदी गई.
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4 दिन बंद रहेगी खरीदी : फसल को कम कीमत मिलने से नाराज किसानों ने मौके पर ही विरोध प्रदर्शन करते हुए मंडी समिति और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. विरोध प्रदर्शन के चलते इंदौर की लक्ष्मीगंज अनाज मंडी में समर्थन मूल्य की खरीदी रोकनी पड़ी. इस बीच मंडी प्रबंधन ने जैसे-तैसे किसानों को समझाया. इधर, राज्य सरकार ने फिलहाल इंदौर, उज्जैन, भोपाल, नर्मदा पुरम संभाग के विभिन्न जिलों में जो गेहूं पहुंच रहा है उसे खाद्य मंत्रालय के मानकों के अनुसार अमानक बताया है. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि जो गेहूं फिलहाल लाया जा रहा है, वह हार्वेस्टर से सीधे काटकर मंडियों में बेचने के लिए किसान ला रहे हैं. जिसमें भारत सरकार के मानकों के अनुसार गुणवत्ता नहीं है. इसलिए 28 मार्च से 31 मार्च तक समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी प्रदेश भर में बंद रहेगी. इस दौरान गेहूं बेचने के लिए जिन किसानों ने ऑनलाइन स्लॉट बुक कराया था, उन्हें मंडियों में फसल बेचने के लिए फिर से स्लॉट बुक कराना पड़ेगा.