नई दिल्ली: ऐसे समय में जब भारतीय निर्माताओं की कुछ दवाइयां वैश्विक स्वास्थ्य निगरानी के दायरे में आए, भारत की दवा नियामक, केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने जनवरी में परीक्षण की गई कुल 1348 दवाओं में से लगभग पांच प्रतिशत घटिया दवाओं का पता लगाया है.
भारत के ड्रग रेगुलेटर द्वारा देश भर के विभिन्न दवा निर्माताओं से एकत्र किए गए कुल 1348 नमूनों का परीक्षण करने के बाद जनवरी में कम से कम 67 नमूने घटिया पाए गए. कम से कम 1282 नमूने मानक गुणवत्ता वाले घोषित किए गए हैं. कथित तौर पर इस सिरप के सेवन के बाद लोगों की मौत की खबरों के बाद दिल्ली स्थित मैदान फार्मास्यूटिकल्स और नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक की दवा (कफ सिरप) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के निशाने पर आ गए.
उज़्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत का मामला मैरियन बायोटेक निर्मित सिरप और मैदान फार्मास्यूटिकल्स की दवाओं से जुड़ी थी, जो गाम्बिया में 65 बच्चों की मौत से जुड़ी थी. सीडीएससीओ नियमित रूप से भारतीय फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित दवाओं का परीक्षण करता है. इस संबंध में सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि दिसंबर महीने में सीडीएससीओ ने 70 घटिया दवाओं का पता लगाया है. नवंबर में ऐसी 83 घटिया दवाओं का पता चला है. इसी तरह अक्टूबर में 50 घटिया दवाओं का पता चला.
बता दें कि उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर कफ सिरप का सेवन करने के बाद 18 बच्चों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दवा निर्माताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई. शुरुआती दौड़ में दवाओं के निर्माण पर रोक लगा दी गई थी. सीडीएससीओ और उत्तर प्रदेश ड्रग्स कंट्रोल की टीम ने नोएडा में मैरियन बायोटेक की निर्माण इकाई का निरीक्षण किया. वहीं, इस मामले में खांसी की दवाई के सैंपल की जांच के लिए क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (आरडीटीएल) चंडीगढ़ भेजे गए.