त्रिची (तमिलनाडु): अमेरिका के ओहियो में पले-बढ़े थॉमस कुमार जॉनसन मां से मिलने की उम्मीद में चौथी बार भारत आए हैं. वह एक एनजीओ की मदद से त्रिची और पुडुकोट्टई में गली-गली जाकर अपने माता-पिता का पता लगाने के लिए अथक प्रयास में जुटे हैं. इस दौरान ईटीवी भारत से बात करते हुए थॉमस अपने आंसुओं को रोक नहीं पाए. थॉमस ने कहा कि मैं केवल मां को गले लगाने और यह कहने के लिए आया हूं कि मैं ठीक हूं.
उन्होंने कहा, 'मैं अपनी मां को गले लगाना चाहता हूं और उसे बताना चाहता हूं कि मैं जिंदा हूं और जिंदगी में अच्छा कर रहा हूं. मैं जानना चाहता हूं कि क्या वह ठीक है और क्या मेरे कोई भाई-बहन और रिश्तेदार हैं. मैं अपने पिता के बारे में और जानना चाहता हूं. बातचीत के दौरान थॉमस की आंखों से आंसू आ गए. थॉमस का कहना है कि वह अपनी जड़ों से फिर से जुड़ कर एक 'पूर्ण व्यक्ति' बन जाएंगे.
गोद लेने के दस्तावेजों में थॉमस की मां की पहचान मैरी के रूप में हुई है. एक सामाजिक कल्याण संगठन ने गोद लेने की सुविधा प्रदान की थी. थॉमस को ये भी पता है कि उनका जन्म संपत कुमार के रूप में हुआ था और उसके माता-पिता त्रिची शहर के उपनगर मुथारासनल्लूर में रहते थे. थॉमस ने कहा, 'मेरा जन्म 18 अप्रैल, 1989 को हुआ था और जब मैं एक साल का था, तब मुझे गोद लिया गया था. मैं 10 साल से अपने माता-पिता को ढूंढ रहा हूं और चौथी बार मैं भारत आया हूं. मुझे पूरी उम्मीद है कि वह ठीक होंगे, जिस किसी को भी कोई जानकारी हो, कृपया मेरे साथ साझा करें.'
अमेरिका के ओहियो में पले-बढ़े थॉमस का भारतीय संस्कृति और भाषा से ज्यादा परिचित नहीं है. उनकी दत्तक मां वैज्ञानिक हैं, उनके पिता एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे, जिनका 2008 में निधन हो गया था. थॉमस के दत्तक पिता ने ही उन्हें अपने असली माता-पिता का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित किया था और यहां तक कि जॉनसन और उनकी सौतेली बहन के लिए भारत आने के लिए फ्लाइट टिकट भी बुक की थी.
जॉनसन को अपनी जड़ों के साथ फिर से जुड़ने की उम्मीद है. पुणे स्थित एक बाल अधिकार संगठन की अंजलि पवार इस मिशन में उनकी मदद कर रही हैं. अंजलि पवार कहती हैं कि गोद लेने के समय मैरी (थॉमस की मां) 21 साल की थीं और अब वह अपने शुरुआती 50 के दशक में हो सकती हैं. हमने मुथारासनल्लूर और पुडुकोट्टई के कुछ चर्चों का दौरा किया है और कुछ सकारात्मक सुराग मिले हैं. हमें उम्मीद है कि वो जरूर मिलेंगे.
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