नई दिल्ली : भारतीय नौसेना दो प्रीडेटर ड्रोन की लीज बढ़ाने की योजना बना रही है, जो सीमा पर चीन के साथ अन्य देशों पर निगरानी के लिए 12,000 घंटे से अधिक उड़ान भर चुके हैं. दोनों ड्रोन को चीन के साथ सैन्य गतिरोध के शुरुआती चरण के दौरान नवंबर 2020 में लीज पर आपातकालीन शक्तियों के तहत भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था और बल द्वारा बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल किया गया है.
रक्षा सूत्रों ने एएनआई को बताया, "हम इन दो प्रीडेटर ड्रोन के लीज को बढ़ाने के प्रति विचार करने रहे हैं, क्योंकि इनका अनुबंध इस साल के अंत तक खत्म होने वाला है." प्रीडेटर्स के पुराने संस्करण के दो ड्रोन्स को ग्राउंड कंट्रोल स्टेशनों और अन्य उपकरणों के साथ लीज पर लिया गया था. भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना की निगरानी आवश्यकताओं के लिए व्यापक उड़ान संचालन और इन ड्रोन्स के उपयोग के बाद, अब यह निर्णय लिया गया है कि रक्षा बलों को कुल 31 नए प्रीडेटर एमक्यू-9बी ड्रोन मिलेंगे, जिनका उपयोग निगरानी के लिए किया जाएगा. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका ने ड्रोन सौदे की घोषणा की थी.
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इस सौदे को रक्षा अधिग्रहण परिषद ने मंजूरी दे दी है और अब अंतिम कीमत और अन्य अनुबंध संबंधी आवश्यकताओं के लिए अमेरिकी सरकार के साथ बातचीत की जाएगी. इनमें से 15 ड्रोन्स का इस्तेमाल समुद्री क्षेत्र में निगरानी के लिए किया जाएगा, जबकि 16 ड्रोन्स का उपयोग उत्तरी और उत्तरपूर्वी क्षेत्रों में हवाई और जमीनी निगरानी के लिए किया जाएगा. तमिलनाडु में नौसेना के आईएनएस राजाजी हवाई अड्डे पर ड्रोन मौजूद हैं, जिसे अधिक- ऊंचाई के लंबे सहनशक्ति वाले मानव रहित हवाई वाहनों के तीन केंद्रों में से एक बनाने की भी योजना है.
(एएनआई)