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7 जुलाई : 125 साल पहले इन दो भाइयों ने कराई थी सिनेमा से हमारी पहचान

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Published : Jul 7, 2021, 4:30 AM IST

आज हमारा देश दुनिया के सबसे बड़े सिनेमा प्रेमियों में शुमार है. दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में हमारे देश में बनती हैं. लेकिन भारत में सिनेमा की पहली झलक मात्र एक संयोग था. पहली बोलती फिल्म आलमारा से 35 और पहली फिल्म से 17 साल पहले भारत ने 46 सेकेंड का वो पहला वीडियो देखा जो आज के सिनेमा की नींव है. सिनेमा के संयोग की इस दिलचस्प कहानी को पढ़िये

ल्यूमियर ब्रदर्स
ल्यूमियर ब्रदर्स

हैदराबाद: भारत की पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' साल 1931 में आई और पहली मूक फिल्म राजा हरीशचंद्र साल 1913 में प्रदर्शित हुई. लेकिन भारत की सिनेमा से जान-पहचान उससे भी करीब 17 साल पहले 1896 में हो गई थी. वो दिन था 7 जुलाई 1896. एक तरह से कह सकते हैं कि 7 जुलाई का संयोग ना होता तो हम सिनेमा के मामले में थोड़ा पिछड़ जाते लेकिन 7 जुलाई 1896 को शुरू हुआ वो सिलसिला आज इतनी आगे बढ़ चुका है कि दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में आज हमारे देश में बन रही है.

भारत में सिनेमा के संयोग की दिलचस्प कहानी

फ्रांस में जन्में ल्यूमियर ब्रदर्स (Lumiere brothers) ने चलती फिल्में बनाई थीं, जिन्हें वो पूरी दुनिया को दिखाना चाहते थे. दोनों ने इसकी शुरुआत ऑस्ट्रेलिया से करने की सोची, तय कार्यक्रम के मुताबिक उनके एजेंट मॉरिस सेस्टियर ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना हुए. लेकिन वो किन्हीं कारणों से ऑस्ट्रेलिया नहीं जा पाए और उन्हें बंबई में रुकना पड़ा. जहां वो वॉटसन होटल में रुक गए.

मॉरिस ने सोचा कि क्यों ना ऑस्ट्रेलिया जाने की बजाय भारत में ही फिल्में दिखा दी जाएं. इसके लिए उन्होंने ल्यूमियर ब्रदर्स से पूछा और इजाजत मिलने पर फिल्म दिखाने के लिए 7 जुलाई 1896 की तारीख तय हो गई. उस दिन बंबई के ही वाटसन होटल में पहली फिल्म दिखाई गई.

2 रुपये थी फिल्म की टिकट

आज आप थियेटर में फिल्म देखने के लिए कितने रुपये टिकट पर खर्च करते हैं ? 7 जुलाई 1896 के दिन फिल्म देखने के लिए टिकट का दाम 2 रुपये रखा गया था. कहते हैं कि बकायदा इश्तिहार निकाले गए, जिनमें सिनेमा को दुनिया का अजूबा बताया गया. इस अजूबे को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई.

7 से 13 जुलाई तक वाटसन होटल और उसके बाद बंबई के नॉवेल्टी थियेटर में फिल्में दिखाई गई. 7 जुलाई को पहले शो में 200 लोग पहुंचे थे और फिर लोगों की तादाद हर शो के साथ बढ़ती गई.

46 सेंकेंड की थी पहली फिल्म

ल्यूमियर ब्रदर्स ने 1895 में workers leaving the lumiere factory नाम की एक फिल्म बनाई. जिसे दुनिया की पहली चलती फिल्म माना जाता है. ये फिल्म महज 46 सेकेंड की थी, जो दरअसल फैक्ट्री से निकलने का वीडियो था. सोशल मीडिया से लेकर सिनेमा और टीवी से लेकर इंटरनेट तक हम आज वीडियो से घिरे हुए हैं.

आज हम फोन से लेकर टीवी और सिनेमा के पर्दे तक तरह-तरह के वीडियो, फिल्में, विज्ञापन, सीरियल, गाने, रिएलिटी शो देखते हों लेकिन उस दौर में वो 46 सेकेंड का वीडियो किसी अजूबे से कम नहीं था.

कौन थे ल्यूमियर ब्रदर्स ?

ऑगस्टे ल्यूमियर और लुईस ल्यूमियर का जन्म फ्रांस में हुआ था. ल्यूमियर ब्रदर्स की दिलचस्पी विज्ञान में थी. दोनों भाइयों ने मिलकर फोटोग्राफी का एक औजार बनाया. जिससे सिनेमैटोग्राफ ने जन्म लिया और इसी से सिनेमा शब्द आया. ल्यूमियर ब्रदर्स ने 1895 में workers leaving the lumiere factory in lyon नाम की एक फिल्म बनाई. जिसे दुनिया की पहली चलती फिल्म माना जाता है.

दुनिया ने ल्युमियर ब्रदर्स की बदौलत 22 मार्च 1895 को पहली फिल्म देखी थी. पेरिस में सार्वजनिक रूप से दिखाई गई दुनिया की पहली फिल्म महज 46 सेकेंड की थी, जो एक फैक्ट्री से बाहर निकलते कामगारों का वीडियो था. यही फिल्म 1896 में भारत में भी दिखाई गई थी. पहली फिल्म दिखाने के बाद ल्यूमियर ब्रदर्स ने इस तकनीक को अपने नाम पर पेटेंट करवा लिया.

इसके साथ-साथ ल्यूमियर ब्रदर्स अपनी इस खोज का जगह-जगह प्रदर्शन करते रहे. 10 जून को उन्होंने फोटोग्राफर्स के सामने अपनी ये फिल्म दिखाई और उनकी इस खोज के बारे में दुनियाभर में बात होने लगी. दोनों भाईयों ने अपनी फिल्में दिखाने के लिए ओपन थियेटर बनाने शुरू किए. लंदन से लेकर न्यूयॉर्क तक सिनेमेटोग्राफी थियेटर खोले. एक वक्त बाद दोनों भाईयों ने फिल्में दिखाने की बजाय अपनी इजाद की हुई तकनीक की मशीनें बनाकर दुनिया को बेचने लगे.

7 जुलाई का संयोग और सिनेमा

7 जुलाई 1896 को भारत में अगर संयोग से सिनेमा न दिखाया गया होता तो शायद हमारा देश मनोरंजन के इस सबसे बड़े जरिये से लंब समय तक वंचित रह सकता था. क्योंकि ल्यूमियर ब्रदर्स की इस तकनीक के सहारे ही भारत के शुरुआती फिल्म निर्माताओं को भारत में सिनेमा की सीख मिली और आज हमारा देश सबसे बड़ा सिनेमा प्रेमी देशों में शुमार है. दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में आज हमारे देश में ही बनती हैं.

ये भी पढ़ें: माइकल जैक्सन: वो सितारा जो जमीन पर रहकर चांद पर चलता था

हैदराबाद: भारत की पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' साल 1931 में आई और पहली मूक फिल्म राजा हरीशचंद्र साल 1913 में प्रदर्शित हुई. लेकिन भारत की सिनेमा से जान-पहचान उससे भी करीब 17 साल पहले 1896 में हो गई थी. वो दिन था 7 जुलाई 1896. एक तरह से कह सकते हैं कि 7 जुलाई का संयोग ना होता तो हम सिनेमा के मामले में थोड़ा पिछड़ जाते लेकिन 7 जुलाई 1896 को शुरू हुआ वो सिलसिला आज इतनी आगे बढ़ चुका है कि दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में आज हमारे देश में बन रही है.

भारत में सिनेमा के संयोग की दिलचस्प कहानी

फ्रांस में जन्में ल्यूमियर ब्रदर्स (Lumiere brothers) ने चलती फिल्में बनाई थीं, जिन्हें वो पूरी दुनिया को दिखाना चाहते थे. दोनों ने इसकी शुरुआत ऑस्ट्रेलिया से करने की सोची, तय कार्यक्रम के मुताबिक उनके एजेंट मॉरिस सेस्टियर ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना हुए. लेकिन वो किन्हीं कारणों से ऑस्ट्रेलिया नहीं जा पाए और उन्हें बंबई में रुकना पड़ा. जहां वो वॉटसन होटल में रुक गए.

मॉरिस ने सोचा कि क्यों ना ऑस्ट्रेलिया जाने की बजाय भारत में ही फिल्में दिखा दी जाएं. इसके लिए उन्होंने ल्यूमियर ब्रदर्स से पूछा और इजाजत मिलने पर फिल्म दिखाने के लिए 7 जुलाई 1896 की तारीख तय हो गई. उस दिन बंबई के ही वाटसन होटल में पहली फिल्म दिखाई गई.

2 रुपये थी फिल्म की टिकट

आज आप थियेटर में फिल्म देखने के लिए कितने रुपये टिकट पर खर्च करते हैं ? 7 जुलाई 1896 के दिन फिल्म देखने के लिए टिकट का दाम 2 रुपये रखा गया था. कहते हैं कि बकायदा इश्तिहार निकाले गए, जिनमें सिनेमा को दुनिया का अजूबा बताया गया. इस अजूबे को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई.

7 से 13 जुलाई तक वाटसन होटल और उसके बाद बंबई के नॉवेल्टी थियेटर में फिल्में दिखाई गई. 7 जुलाई को पहले शो में 200 लोग पहुंचे थे और फिर लोगों की तादाद हर शो के साथ बढ़ती गई.

46 सेंकेंड की थी पहली फिल्म

ल्यूमियर ब्रदर्स ने 1895 में workers leaving the lumiere factory नाम की एक फिल्म बनाई. जिसे दुनिया की पहली चलती फिल्म माना जाता है. ये फिल्म महज 46 सेकेंड की थी, जो दरअसल फैक्ट्री से निकलने का वीडियो था. सोशल मीडिया से लेकर सिनेमा और टीवी से लेकर इंटरनेट तक हम आज वीडियो से घिरे हुए हैं.

आज हम फोन से लेकर टीवी और सिनेमा के पर्दे तक तरह-तरह के वीडियो, फिल्में, विज्ञापन, सीरियल, गाने, रिएलिटी शो देखते हों लेकिन उस दौर में वो 46 सेकेंड का वीडियो किसी अजूबे से कम नहीं था.

कौन थे ल्यूमियर ब्रदर्स ?

ऑगस्टे ल्यूमियर और लुईस ल्यूमियर का जन्म फ्रांस में हुआ था. ल्यूमियर ब्रदर्स की दिलचस्पी विज्ञान में थी. दोनों भाइयों ने मिलकर फोटोग्राफी का एक औजार बनाया. जिससे सिनेमैटोग्राफ ने जन्म लिया और इसी से सिनेमा शब्द आया. ल्यूमियर ब्रदर्स ने 1895 में workers leaving the lumiere factory in lyon नाम की एक फिल्म बनाई. जिसे दुनिया की पहली चलती फिल्म माना जाता है.

दुनिया ने ल्युमियर ब्रदर्स की बदौलत 22 मार्च 1895 को पहली फिल्म देखी थी. पेरिस में सार्वजनिक रूप से दिखाई गई दुनिया की पहली फिल्म महज 46 सेकेंड की थी, जो एक फैक्ट्री से बाहर निकलते कामगारों का वीडियो था. यही फिल्म 1896 में भारत में भी दिखाई गई थी. पहली फिल्म दिखाने के बाद ल्यूमियर ब्रदर्स ने इस तकनीक को अपने नाम पर पेटेंट करवा लिया.

इसके साथ-साथ ल्यूमियर ब्रदर्स अपनी इस खोज का जगह-जगह प्रदर्शन करते रहे. 10 जून को उन्होंने फोटोग्राफर्स के सामने अपनी ये फिल्म दिखाई और उनकी इस खोज के बारे में दुनियाभर में बात होने लगी. दोनों भाईयों ने अपनी फिल्में दिखाने के लिए ओपन थियेटर बनाने शुरू किए. लंदन से लेकर न्यूयॉर्क तक सिनेमेटोग्राफी थियेटर खोले. एक वक्त बाद दोनों भाईयों ने फिल्में दिखाने की बजाय अपनी इजाद की हुई तकनीक की मशीनें बनाकर दुनिया को बेचने लगे.

7 जुलाई का संयोग और सिनेमा

7 जुलाई 1896 को भारत में अगर संयोग से सिनेमा न दिखाया गया होता तो शायद हमारा देश मनोरंजन के इस सबसे बड़े जरिये से लंब समय तक वंचित रह सकता था. क्योंकि ल्यूमियर ब्रदर्स की इस तकनीक के सहारे ही भारत के शुरुआती फिल्म निर्माताओं को भारत में सिनेमा की सीख मिली और आज हमारा देश सबसे बड़ा सिनेमा प्रेमी देशों में शुमार है. दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में आज हमारे देश में ही बनती हैं.

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