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डेढ़ किलोमीटर दूर से ही दुश्मन को ढेर कर देगी सेना, मिला SAKO-TRG-42 राइफल

एलओसी पर तैनात सेना के स्नाइपर्स को मिली डेढ़ किमी तक मार करने वाली साको टीआरजी-42 राइफल. सेना ने बताया कि मारक क्षमता और दूरबीन से देखने की क्षमता विरोधी सेना के पास मौजूद राइफल के मुकाबले बहुत अच्छी है. (Indian Army snipers get latest Sako TRG-42 rifles)

sako rifle
साको राइफल
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Published : Mar 28, 2022, 7:10 PM IST

पल्लनवाला : भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तैनात अपने स्नाइपर को फिनलैंड निर्मित अत्याधुनिक राइफल साको टीआरजी-42 से लैस किया है, जो डेढ़ किलोमीटर तक प्रभावी निशाना लगा सकती है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बातचीत में कहा कि आधुनिक स्नाइपर राइफल को भारतीय सेना में शामिल किया जा रहा है, जिसका नाम है, साको .338 टीआरजी-42. (Indian Army snipers get latest Sako TRG-42 rifles).

अधिकारी ने कहा कि साको .338 टीआरजी-42 की रेंज, मारक क्षमता और दूरबीन से देखने की क्षमता विरोधी सेना के पास मौजूद राइफल के मुकाबले बहुत अच्छी है. उन्होंने कहा कि एलओसी पर तैनात स्नाइपर को नई राइफल के अनुरूप प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अधिकारी ने बताया कि नियंत्रण रेखा पर सेना की संचालन संरचना में परिवर्तन के बीच, इस कदम से भारतीय स्नाइपर पहले के मुकाबले अधिक घातक हो गये हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) और एलओसी पर अग्रिम इलाकों में सेना की गश्त की राह में स्नाइपिंग (दूर से निशाना लगाना) सबसे बड़े चुनौती है.

एलओसी पर वर्ष 2018 और वर्ष 2019 के बीच स्नाइपिंग की घटनाएं बढ़ने के मद्देनजर भारतीय सेना ने बढ़िया गुणवत्ता की स्नाइपर राइफलें सेना में शामिल करके इसका प्रशिक्षण भी दिया. साको राइफल ने इसके पहले इस्तेमाल की जा रही बेरेटा की .338 लापुआ मैगनम स्कॉर्पियो टीजीटी और बारेट की .50 केलिबर एम-95 राइफल का स्थान लिया है, जिसे वर्ष 2019-20 में सेना में शामिल किया गया था. इटली और अमेरिका निर्मित इन दोनों राइफल ने पुरानी रूसी राइफल ड्रागुनोव का स्थान लिया था.

ड्रागुनोव राइफल का निर्माण वर्ष 1990 के दशक में हुआ था, जिसकी रेंज एक किलोमीटर से अधिक है. इसके विपरीत साको टीआरजी-42 स्नाइपर राइफल एक बोल्ट-एक्शन स्नाइपर राइफल है जिसका डिजाइन और निर्माण फिनलैंड की हथियार निर्माता कंपनी साको ने किया है. बिना कारतूस के इसका वजन 6.55 किलोग्राम है, जबकि इसकी प्रभावी रेंज डेढ़ किलोमीटर है.

भारतीय सेना के एक अधिकारी के मुताबिक साको टीआरजी-42 को दुनिया की सबसे सटीक निशाना लगाने वाली एक भरोसेमंद राइफल समझा जाता है. अधिकारी ने बताया कि सेना ने इस कार्य के लिए विभिन्न यूनिट और रेजीमेंट से चयनित 10 स्नाइपर की टीम को मंजूरी दी है.

ये भी पढ़ें : तटरक्षक बल क्यों नहीं करते ड्रोन का उपयोग, संसदीय समिति ने आश्चर्य व्यक्त किया

पल्लनवाला : भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तैनात अपने स्नाइपर को फिनलैंड निर्मित अत्याधुनिक राइफल साको टीआरजी-42 से लैस किया है, जो डेढ़ किलोमीटर तक प्रभावी निशाना लगा सकती है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बातचीत में कहा कि आधुनिक स्नाइपर राइफल को भारतीय सेना में शामिल किया जा रहा है, जिसका नाम है, साको .338 टीआरजी-42. (Indian Army snipers get latest Sako TRG-42 rifles).

अधिकारी ने कहा कि साको .338 टीआरजी-42 की रेंज, मारक क्षमता और दूरबीन से देखने की क्षमता विरोधी सेना के पास मौजूद राइफल के मुकाबले बहुत अच्छी है. उन्होंने कहा कि एलओसी पर तैनात स्नाइपर को नई राइफल के अनुरूप प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अधिकारी ने बताया कि नियंत्रण रेखा पर सेना की संचालन संरचना में परिवर्तन के बीच, इस कदम से भारतीय स्नाइपर पहले के मुकाबले अधिक घातक हो गये हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) और एलओसी पर अग्रिम इलाकों में सेना की गश्त की राह में स्नाइपिंग (दूर से निशाना लगाना) सबसे बड़े चुनौती है.

एलओसी पर वर्ष 2018 और वर्ष 2019 के बीच स्नाइपिंग की घटनाएं बढ़ने के मद्देनजर भारतीय सेना ने बढ़िया गुणवत्ता की स्नाइपर राइफलें सेना में शामिल करके इसका प्रशिक्षण भी दिया. साको राइफल ने इसके पहले इस्तेमाल की जा रही बेरेटा की .338 लापुआ मैगनम स्कॉर्पियो टीजीटी और बारेट की .50 केलिबर एम-95 राइफल का स्थान लिया है, जिसे वर्ष 2019-20 में सेना में शामिल किया गया था. इटली और अमेरिका निर्मित इन दोनों राइफल ने पुरानी रूसी राइफल ड्रागुनोव का स्थान लिया था.

ड्रागुनोव राइफल का निर्माण वर्ष 1990 के दशक में हुआ था, जिसकी रेंज एक किलोमीटर से अधिक है. इसके विपरीत साको टीआरजी-42 स्नाइपर राइफल एक बोल्ट-एक्शन स्नाइपर राइफल है जिसका डिजाइन और निर्माण फिनलैंड की हथियार निर्माता कंपनी साको ने किया है. बिना कारतूस के इसका वजन 6.55 किलोग्राम है, जबकि इसकी प्रभावी रेंज डेढ़ किलोमीटर है.

भारतीय सेना के एक अधिकारी के मुताबिक साको टीआरजी-42 को दुनिया की सबसे सटीक निशाना लगाने वाली एक भरोसेमंद राइफल समझा जाता है. अधिकारी ने बताया कि सेना ने इस कार्य के लिए विभिन्न यूनिट और रेजीमेंट से चयनित 10 स्नाइपर की टीम को मंजूरी दी है.

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