नई दिल्ली : सेना के एक जवान सहित दो लोगों को पाकिस्तान खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस ( Inter-Services Intelligence) (आईएसआई) को गोपनीय दस्तावेज मुहैया कराने के आरोप में सरकारी गोपनीयता कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है.
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सेना मुख्यालय ने पुष्टि की है कि संबंधित दस्तावेज गोपनीय थे.
इससे पहले पोखरण स्थित सेना के आधार शिविर में सब्जी की आपूर्ति करने वाले हबीर-उर-रहमान (41) को पैसे के लिए सेना के एक जवान से संवेदनशील दस्तावेज प्राप्त करने और उन्हें आईएसआई को मुहैया कराने के लिए पकड़ा गया था. अधिकारियों ने बुधवार को बताया था कि सब्जी आपूर्तिकर्ता रहमान को दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को राजस्थान के पोखरण से पकड़ा था.
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को जानकारी मिली थी कि रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े कुछ संवेदनशील दस्तावेज जासूसी नेटवर्क से पड़ोसी देश में भेजे जा रहे हैं.
विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) प्रवीर रंजन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हमें जासूसी गिरोह में रहमान नामक एक व्यक्ति की संलिप्तता के बारे में जानकारी मिली. इसके बाद हमारी टीम ने छापेमारी की और उचित सत्यापन के बाद उसे पोखरण से गिरफ्तार कर लिया. उसके पास से कुछ गोपनीय दस्तावेज बरामद किए गए और उसके खिलाफ सरकारी गोपनीयता कानून के तहत एक मामला दर्ज किया गया.
पुलिस उपायुक्त (अपराध) मोनिका भारद्वाज ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के जरिए रहमान के स्थान का पता लगाया गया. पूछताछ करने पर वह उन दस्तावेजों के संबंध में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका तथा वह टाल-मटोल करता रहा.
पुलिस ने बताया कि रहमान पोखरण में सेना के आधार शिविर सहित विभिन्न विक्रेताओं को फल और सब्जी की आपूर्ति करता था. एक अधिकारी ने बताया कि रहमान अपने कुछ आकाओं को अलग-अलग नामों से जानता है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या ये लोग भारत में हैं. यह भी पता लगा वह कि वॉट्सएप से भी गोपनीय दस्तावेज भेजता था.
यह भी पढ़ें- कोलकाता में जेएमबी का एक और आतंकवादी गिरफ्तार
पुलिस ने बताया कि जांच के दौरान पता लगा कि सेना का जवान परमजीत अपराध में उसका सहयोगी था. वह पहले पोखरण में तैनात था और वहीं वह रहमान के संपर्क में आया जिसने गोपनीय दस्तावेज साझा करने को कहा. पुलिस ने बताया कि परमजीत फिलहाल आगरा कैंट में क्लर्क के पद पर तैनात हैं और रहमान के रिश्तेदार पाकिस्तान के सिंध में रहते हैं तथा वह 2019 में वहां गया था और जासूसी गिरोह में शामिल कुछ लोगों से मिला था.
पुलिस ने कहा कि रहमान को दस्तावेज मुहैया कराने के लिए कहा गया था और इसके लिए पैसा हवाला नेटवर्क के जरिए भेजा गया था. उन्होंने कहा कि मामले में आगे की जांच चल रही है.
उन्होंने कहा कि अपराध में इस्तेमाल किए गए कई बैंक खाते मिले हैं. पुलिस ने कहा कि उन्हें दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ लोगों के इस तरह की देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने की जानकारी मिली है. उन्होंने कहा कि सेना के कुछ अधिकारी कथित तौर पर पैसों के लिए उन्हें अत्यधिक गोपनीय सूचनाएं और दस्तावेज मुहैया करा रहे हैं.
(पीटीआई भाषा)