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भारत, अमेरिका ने रक्षा प्रौद्योगिकी में सहयोग को विस्तार देने का लिया संकल्प - Air-launched Unmanned Aerial Vehicle

भारत और अमेरिका के बीच तेजी से मजबूत हो रहे सामरिक संबंधों के तहत दोनों देशों ने कई विशिष्ट परियोजनाओं की विस्तृत योजना बनाकर और उनमें उल्लेखनीय प्रगति करके रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग को और सुदृढ़ करने का संकल्प लिया है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

भारत, अमेरिका
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Published : Nov 10, 2021, 9:56 PM IST

नई दिल्ली : भारत और अमेरिका के बीच तेजी से मजबूत हो रहे सामरिक संबंधों के तहत दोनों देशों ने कई विशिष्ट परियोजनाओं की विस्तृत योजना बनाकर और उनमें उल्लेखनीय प्रगति करके रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग को और सुदृढ़ करने का संकल्प लिया है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

दोनों देशों ने रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (डीटीटीआई) की रूपरेखा के अनुरूप वायु प्रणालियों पर संयुक्त कार्य समूह के तहत हवाई क्षेत्र से प्रक्षेपित किए जा सकने वाले एक मानव रहित यान (एएलयूएवी) को विकसित करने के लिए एक समझौता किया है.

अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को डिजिटल माध्यम से हुई डीटीटीआई समूह की 11वीं बैठक में रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने के तरीकों पर मुख्य रूप से चर्चा की गई.

इस बैठक की सह-अध्यक्षता सचिव (रक्षा उत्पादन) राज कुमार और अमेरिकी रक्षा मंत्रालय में 'एक्विजिशन एवं सस्टेनेबिलिटी' (अधिग्रहण एवं निरंतरता) रक्षा मंत्री ग्रेगरी कौसनेर ने की.

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, सह-अध्यक्षों ने इस बात पर खुशी जताई कि सितंबर 2020 में हुई डीटीटीआई समूह की पिछली बैठक के बाद से हवाई क्षेत्र से प्रक्षेपित किए जा सकने वाले मानव रहित यान संबंधी पहली परियोजना के समझौते पर संयुक्त कार्य समूह वायु प्रणालियों के तहत हस्ताक्षर किए गए हैं, जो डीटीटीआई के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.

बयान में बताया गया कि दोनों पक्षों ने संशोधित आशय पत्र (एसओआई) पर सहमति जताई, जो कई विशिष्ट डीटीटीआई परियोजनाओं के संबंध में ''विस्तृत योजना बनाकर और उनमें उल्लेखनीय प्रगति करके रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग पर हमारी वार्ता को आगे बढ़ाने'' के इरादे की घोषणा करता है.

डीटीटीआई समूह का उद्देश्य द्विपक्षीय रक्षा व्यापार संबंधों की ओर नेतृत्व का ध्यान लगातार केंद्रित करना और रक्षा उपकरणों के सह-उत्पादन और सह-विकास के अवसर पैदा करना है. डीटीटीआई के तहत थल, नौसेना, वायु और विमान वाहक प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित चार संयुक्त कार्य समूहों की स्थापना की गई है ताकि परस्पर सहमति से उनके अधिकार क्षेत्र में परियोजनाओं को प्रोत्साहित किया जा सके.

मंत्रालय ने बताया कि इन समूहों ने सह-अध्यक्षों को जारी गतिविधियों और सहयोगात्मक अवसरों की जानकारी दी, जिसमें प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने के लिए लक्षित निकट अवधि की कई परियोजनाएं शामिल हैं.

डीटीटीआई समूह की बैठकें वैकल्पिक आधार पर भारत और अमेरिका में सामान्य तौर पर साल में दो बार आयोजित होती हैं, लेकिन कोविड-19 के कारण लगातार दूसरी बार वीडियो कांफ्रेंस से बैठक हुई है. डीटीटीआई समूह के तहत विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए अमेरिकी और भारतीय उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लक्ष्य से रक्षा उद्योग सहयोग मंच (डीआईसीएफ) की एक प्रदर्शनी सोमवार को डिजिटल माध्यम से आयोजित की गई थी.

भारत और अमेरिका के रक्षा संबंध पिछले कुछ वर्षों में प्रगाढ़ हुए हैं. अमेरिका ने जून 2016 में भारत को एक 'प्रमुख रक्षा भागीदार' नामित किया था. दोनों देशों के बीच पिछले कुछ साल में कई अहम रक्षा समझौते हुए हैं.

नई दिल्ली : भारत और अमेरिका के बीच तेजी से मजबूत हो रहे सामरिक संबंधों के तहत दोनों देशों ने कई विशिष्ट परियोजनाओं की विस्तृत योजना बनाकर और उनमें उल्लेखनीय प्रगति करके रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग को और सुदृढ़ करने का संकल्प लिया है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

दोनों देशों ने रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (डीटीटीआई) की रूपरेखा के अनुरूप वायु प्रणालियों पर संयुक्त कार्य समूह के तहत हवाई क्षेत्र से प्रक्षेपित किए जा सकने वाले एक मानव रहित यान (एएलयूएवी) को विकसित करने के लिए एक समझौता किया है.

अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को डिजिटल माध्यम से हुई डीटीटीआई समूह की 11वीं बैठक में रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने के तरीकों पर मुख्य रूप से चर्चा की गई.

इस बैठक की सह-अध्यक्षता सचिव (रक्षा उत्पादन) राज कुमार और अमेरिकी रक्षा मंत्रालय में 'एक्विजिशन एवं सस्टेनेबिलिटी' (अधिग्रहण एवं निरंतरता) रक्षा मंत्री ग्रेगरी कौसनेर ने की.

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, सह-अध्यक्षों ने इस बात पर खुशी जताई कि सितंबर 2020 में हुई डीटीटीआई समूह की पिछली बैठक के बाद से हवाई क्षेत्र से प्रक्षेपित किए जा सकने वाले मानव रहित यान संबंधी पहली परियोजना के समझौते पर संयुक्त कार्य समूह वायु प्रणालियों के तहत हस्ताक्षर किए गए हैं, जो डीटीटीआई के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.

बयान में बताया गया कि दोनों पक्षों ने संशोधित आशय पत्र (एसओआई) पर सहमति जताई, जो कई विशिष्ट डीटीटीआई परियोजनाओं के संबंध में ''विस्तृत योजना बनाकर और उनमें उल्लेखनीय प्रगति करके रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग पर हमारी वार्ता को आगे बढ़ाने'' के इरादे की घोषणा करता है.

डीटीटीआई समूह का उद्देश्य द्विपक्षीय रक्षा व्यापार संबंधों की ओर नेतृत्व का ध्यान लगातार केंद्रित करना और रक्षा उपकरणों के सह-उत्पादन और सह-विकास के अवसर पैदा करना है. डीटीटीआई के तहत थल, नौसेना, वायु और विमान वाहक प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित चार संयुक्त कार्य समूहों की स्थापना की गई है ताकि परस्पर सहमति से उनके अधिकार क्षेत्र में परियोजनाओं को प्रोत्साहित किया जा सके.

मंत्रालय ने बताया कि इन समूहों ने सह-अध्यक्षों को जारी गतिविधियों और सहयोगात्मक अवसरों की जानकारी दी, जिसमें प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने के लिए लक्षित निकट अवधि की कई परियोजनाएं शामिल हैं.

डीटीटीआई समूह की बैठकें वैकल्पिक आधार पर भारत और अमेरिका में सामान्य तौर पर साल में दो बार आयोजित होती हैं, लेकिन कोविड-19 के कारण लगातार दूसरी बार वीडियो कांफ्रेंस से बैठक हुई है. डीटीटीआई समूह के तहत विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए अमेरिकी और भारतीय उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लक्ष्य से रक्षा उद्योग सहयोग मंच (डीआईसीएफ) की एक प्रदर्शनी सोमवार को डिजिटल माध्यम से आयोजित की गई थी.

भारत और अमेरिका के रक्षा संबंध पिछले कुछ वर्षों में प्रगाढ़ हुए हैं. अमेरिका ने जून 2016 में भारत को एक 'प्रमुख रक्षा भागीदार' नामित किया था. दोनों देशों के बीच पिछले कुछ साल में कई अहम रक्षा समझौते हुए हैं.

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