काबुल/नई दिल्ली : अफगानिस्तान के काबुल में बिगड़ते हालात को देखते हुए भारतीय दूतावास के 120 कर्मचारियों को लेकर भारतीय वायुसेना का विमान वहां से निकल चुका है. भारतीय वायुसेना का C-17 विमान ने सुबह 7.30 बजे काबुल से उड़ान भरी. भारतीय राजदूत रूदेंद्र टंडन भी अब भारत वापस लाए जा रहे हैं. वहीं, एनएसए (NSA) अजीत डोभाल ने अफगानिस्तान के हालात पर अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन से बात की है.
देश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि यह फैसला किया गया है कि काबुल में भारत के राजदूत और उनके भारतीय कर्मियों को मौजूदा हालात के मद्देनजर तत्काल देश वापस लाया जाएगा.
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In view of the prevailing circumstances, it has been decided that our Ambassador in Kabul and his Indian staff will move to India immediately.
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) August 17, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Arindam Bagchi (@MEAIndia) August 17, 2021
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Indian Air Force C-17 aircraft has taken off from Kabul with more than 120 Indian officials in it. The staff was brought inside the secure areas of the airport safely, late last evening: Sources pic.twitter.com/fn6XV4p8rF
— ANI (@ANI) August 17, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) August 17, 2021Indian Air Force C-17 aircraft has taken off from Kabul with more than 120 Indian officials in it. The staff was brought inside the secure areas of the airport safely, late last evening: Sources pic.twitter.com/fn6XV4p8rF
— ANI (@ANI) August 17, 2021
काबुल एयरपोर्ट को अमेरिकी एजेंसियों ने दोबारा खुलवाया है. बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया है. अफगान के हालात दिन व दिन बिगड़ रहे हैं. सोमवार को काबुल एयरपोर्ट के हालात काफी खराब हो गए थे, जिसकी वजह से वहां पर विमानों की आवाजाही रोक दी गई थी.
बता दें कि, दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिका के सैनिकों की पूर्ण वापसी से दो सप्ताह पहले तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है.
विद्रोहियों ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया और कुछ ही दिनों में सभी बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया क्योंकि अमेरिका और इसके सहयोगियों द्वारा प्रशिक्षित अफगान सुरक्षाबलों ने घुटने टेक दिए.
तालिबान का 1990 के दशक के अंत में देश पर कब्जा था और अब एक बार फिर उसका कब्जा हो गया है.
अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए भीषण आतंकी हमलों के बाद वाशिंगटन ने ओसामा बिन लादेन और उसे शरण देने वाले तालिबान को सबक सिखाने के लिए धावा बोला तथा विद्रोहियों को सत्ता से अपदस्थ कर दिया. बाद में, अमेरिका ने पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को भी मार गिराया.
अमेरिकी सैनिकों की अब वापसी शुरू होने के बाद तालिबान ने देश में फिर से अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में पूरे देश पर कब्जा कर पश्चिम समर्थित अफगान सरकार को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया.
पढ़ें : काबुल हवाईअड्डा खाेला गया, अमेरिका ने उतारे सैनिक
विगत में तालिबान की बर्बरता देख चुके अफगानिस्तान के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. काबुल हवाईअड्डे पर देश छोड़ने के लिए उमड़ रही भारी भीड़ से यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि लोग किस हद तक तालिबान से भयभीत हैं.
लोगों को पूर्व में 1996 से 2001 तक तालिबान द्वारा की गई बर्बरता की बुरी यादें डरा रही हैं. सबसे अधिक चिंतित महिलाएं हैं जिन्हें तालिबान ने विगत में घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया था.