नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मंगलवार को कहा कि देश में दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान सामान्य बारिश होने की उम्मीद है. विभाग ने हालांकि कहा कि मानसून के दौरान अल नीनो की स्थिति बन सकती है लेकिन सकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव (आईओडी) और उत्तरी गोलार्ध पर कम बर्फ पड़ने से इन स्थितियों का मुकाबला करने में मदद मिल सकती है.
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Normal monsoon is expected this year, says Dr Mrutyunjay Mohapatra, Director General of Meteorology, India Meteorological Department (IMD). pic.twitter.com/AmrNZPEXAB
— ANI (@ANI) April 11, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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यह पूर्वानुमान कृषि क्षेत्र के लिए राहत की खबर है. कृषि क्षेत्र फसलों की पैदावार के लिए मुख्य रूप से मानसून की बारिश पर ही निर्भर रहता है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने बताया कि भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) के दौरान सामान्य बारिश हो सकती है. यह दीर्घावधि औसत का 96 फीसदी (इसमें पांच प्रतिशत ऊपर नीचे हो सकता) है. दीर्घावधि औसत 87 सेंमी है.
आईएमडी के महानिदेशक एम महापात्रा ने बताया कि बारिश के सामान्य और सामान्य से ज्यादा होने की 67 फीसदी संभावना है. उन्होंने बताया कि फरवरी मार्च 2023 के दौरान उत्तरी गोलार्ध और यूरेशिया में बर्फ से ढके क्षेत्र सामान्य से कम रहे हैं.
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El Nino conditions are likely to develop during the monsoon season and its impact may be seen during the second half of the season: Dr Mrutyunjay Mohapatra, Director General of Meteorology, India Meteorological Department pic.twitter.com/Kg4KdgDNq2
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महापात्र ने कहा कि साल 2019 से भारत ने मानसून के दौरान लगातार चार वर्षों तक सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश देखी है. महापात्र ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत, पश्चिम-मध्य और पूर्वोत्तर क्षेत्रों के कुछ हिस्सों में सामान्य से सामान्य से कम बारिश की भविष्यवाणी की गई है. उन्होंने कहा कि प्रायद्वीपीय क्षेत्र के कई हिस्सों, पूर्व-मध्य, पूर्व, पूर्वोत्तर क्षेत्रों और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य वर्षा होने की संभावना है.
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मौसम विभाग के प्रमुख ने कहा कि अल नीनो (तूफान) की स्थिति मानसून के मौसम के दौरान विकसित होने की संभावना है और इसका असर दूसरी छमाही में महसूस किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सभी अल नीनो वर्ष खराब मानसून वाले वर्ष नहीं होते हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो (1951-2022) में अल नीनो के 40 प्रतिशत वर्षों में सामान्य से सामान्य से अधिक मानसूनी बारिश हुई थी. वरिष्ठ मौसम विज्ञानियों ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान सकारात्मक आईओडी की स्थिति विकसित होने की संभावना है.
आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार भारत में 2019 में मानसून के मौसम में 971.8 मिमी, 2020 में 961.4 मिमी, 2021 में 874.5 मिमी और 2022 में 924.8 मिमी बारिश हुई. देश में 2018 में सीजन में 804.1 मिमी, 2017 में 845.9 मिमी, 2016 में 864.4 मिमी और 2015 में 765.8 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी. आपको बता दें कि भारत का 52 फीसदी कृषि क्षेत्र मानसूनी बारिश पर निर्भर है. इस भूभाग पर देश के कुल खाद्यान्न का 40 प्रतिशत खाद्यान्न उत्पादन होता है.
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हालांकि, पिछले महीने मार्च में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने देश के बड़े हिस्से में रबी की फसल को नुकसान पहुंचाया था, जिससे हजारों किसानों को नुकसान हुआ था. हालांकि, सरकार ने कहा कि बेमौसम बारिश के कारण गेहूं का उत्पादन प्रभावित नहीं हुआ है, पिछले साल भारत में गर्मी की लहरों के शुरुआती हमले ने गेहूं के उत्पादन को प्रभावित किया था, जिससे दुनिया के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक देश ने मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
आपको बता दें कि इस साल मार्च में सरकार ने कहा था कि गेहूं पर निर्यात प्रतिबंध तब तक जारी रहेगा जब तक देश अपनी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए घरेलू आपूर्ति के साथ सहज महसूस नहीं करता.
(पीटीआई-भाषा)