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G20 Agenda : राष्ट्रमंडल महासचिव बोलीं-भारत को सख्ती से आगे बढ़ाना चाहिए जी-20 एजेंडा

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 2, 2023, 5:39 PM IST

राष्ट्रमंडल की महासचिव पेट्रीसिया स्कॉटलैंड (Patricia Scotland) ने जी-20 एजेंडे को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने पर जोर दिया. एक साक्षात्कार में जानिए उन्होंने क्या कहा.

Patricia Scotland
राष्ट्रमंडल की महासचिव पेट्रीसिया स्कॉटलैंड

नई दिल्ली : राष्ट्रमंडल की महासचिव पेट्रीसिया स्कॉटलैंड ने कहा है कि भारत को जी-20 के एजेंडा को मजबूती से आगे बढ़ाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लैंगिक समानता और लैंगिक समावेशन का दृष्टिकोण हर चीज में समाहित हों.

स्कॉटलैंड ने एक साक्षात्कार के दौरान जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में चिंताजनक लैंगिक असमानताओं पर प्रकाश डाला और इसमें इस महत्वपूर्ण समस्या के समाधान के लिए भारत के प्रयासों पर विशेष जोर दिया.

स्कॉटलैंड ने महिलाओं और लड़कियों पर पड़ने वाले असंगत बोझ पर भी प्रकाश डाला तथा भारत की स्थिति का विशेष उल्लेख किया. उन्होंने इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर भी जोर दिया.

उन्होंने दुनिया भर में जलवायु से संबंधित आपदाओं में तेजी से बढ़ोतरी को स्वीकार किया. पिछले दो दशकों से भी कम समय में ऐसी 7,000 से अधिक घटनाएं घटी हैं.

स्कॉटलैंड ने कहा, 'इस गंभीर वास्तविकता को और भी चिंताजनक बनाने वाली बात यह है कि महिलाएं और लड़कियां अक्सर इन आपदाओं की सबसे ज्यादा शिकार होती हैं.'

उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल भारत को जी-20 एजेंडा को मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि लैंगिक समानता और लैंगिक समावेशन के दृष्टिकोण हर चीज में समाहित हों.

प्राकृतिक आपदाओं का भी किया जिक्र : स्कॉटलैंड ने भारत में प्राकृतिक आपदाओं की हालिया शृंखला को इस असमानता का एक ज्वलंत उदाहरण बताया. उन्होंने कहा, 'भूस्खलन की घटनाओं और सूखे की स्थिति बहुत ही खौफनाक है तथा यह सब बहुत तेजी से घटित हो रहा है.'

स्कॉटलैंड ने कहा कि भूस्खलन, सूखा और चरम मौसम की घटनाओं सहित जलवायु-प्रेरित आपदाओं की एक शृंखला से जूझ रहा देश भारत इस मुद्दे का जीता-जागता उदाहरण है.

उन्होंने कहा, 'भारत वास्तव में इन सभी को प्रतिबिंबित करता है, क्योंकि भारत में द्वीपीय राज्य और बड़े राज्य भी हैं. भारत में ऐसे भी राज्य हैं, जिनमें से एक का क्षेत्रफल नाइजीरिया के आकार के बराबर है और यहां आपको तटीय राज्य भी मिलेंगे.'

स्कॉटलैंड ने राष्ट्रमंडल के भीतर भारत की अद्वितीय स्थिति की सराहना की, जो विविध संस्कृति और विशाल भौगोलिक प्रतिनिधित्व को प्रतिबिंबित करता है. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में लैंगिक असमानताओं को दूर करने के भारत के सक्रिय प्रयास समान चुनौतियों से जूझ रहे अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में काम करते हैं.

स्कॉटलैंड ने कहा, 'भारत के पास संयुक्त राष्ट्र कोष में राष्ट्रमंडल 'विंडो' है और हमने इस विंडो का उपयोग बारबाडोस और बहामास के लिए किया है.' उन्होंने कहा कि इसके अलावा, भारत अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में लैंगिक चिंताओं की वकालत करने वाले राष्ट्रमंडल वित्त मंत्री के कार्य समूह का नेतृत्व करता है.

स्कॉटलैंड ने उन कदमों के बारे में विस्तार से बताया, जिसके तहत राष्ट्रमंडल ने यह सुनिश्चित किया है कि लैंगिक चिंताएं इसकी पहलों में अंतर्निहित हों, जो लैंगिक भेदभाव को दूर करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण को बढ़ावा दे.

इन प्रयासों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा का समाधान करना, भेदभावपूर्ण कानूनों को खत्म करना और जलवायु प्रतिबद्धताओं के भीतर लैंगिक समानता को बढ़ावा देना शामिल है. 'क्लाइमेट फाइनेंस एक्सेस हब' और 'कॉमनवेल्थ यूनिवर्सल वल्नरेबिलिटी इंडेक्स' जैसे व्यावहारिक उपायों का उद्देश्य लैंगिक असमानताओं से प्रभावी ढंग से निपटना है.

जैसा कि दुनिया आगामी सीओपी-28 सहित महत्वपूर्ण जलवायु चर्चाओं की तैयारी कर रही है, उन्होंने भारत से लैंगिक समानता और समावेशी जलवायु दृष्टिकोण की वकालत करने में अपना नेतृत्व बनाए रखने का आग्रह किया.

उन्होंने जलवायु चर्चाओं और नीतियों के सभी पहलुओं में लैंगिक मुद्दों के एकीकरण पर भी जोर दिया.

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(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : राष्ट्रमंडल की महासचिव पेट्रीसिया स्कॉटलैंड ने कहा है कि भारत को जी-20 के एजेंडा को मजबूती से आगे बढ़ाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लैंगिक समानता और लैंगिक समावेशन का दृष्टिकोण हर चीज में समाहित हों.

स्कॉटलैंड ने एक साक्षात्कार के दौरान जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में चिंताजनक लैंगिक असमानताओं पर प्रकाश डाला और इसमें इस महत्वपूर्ण समस्या के समाधान के लिए भारत के प्रयासों पर विशेष जोर दिया.

स्कॉटलैंड ने महिलाओं और लड़कियों पर पड़ने वाले असंगत बोझ पर भी प्रकाश डाला तथा भारत की स्थिति का विशेष उल्लेख किया. उन्होंने इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर भी जोर दिया.

उन्होंने दुनिया भर में जलवायु से संबंधित आपदाओं में तेजी से बढ़ोतरी को स्वीकार किया. पिछले दो दशकों से भी कम समय में ऐसी 7,000 से अधिक घटनाएं घटी हैं.

स्कॉटलैंड ने कहा, 'इस गंभीर वास्तविकता को और भी चिंताजनक बनाने वाली बात यह है कि महिलाएं और लड़कियां अक्सर इन आपदाओं की सबसे ज्यादा शिकार होती हैं.'

उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल भारत को जी-20 एजेंडा को मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि लैंगिक समानता और लैंगिक समावेशन के दृष्टिकोण हर चीज में समाहित हों.

प्राकृतिक आपदाओं का भी किया जिक्र : स्कॉटलैंड ने भारत में प्राकृतिक आपदाओं की हालिया शृंखला को इस असमानता का एक ज्वलंत उदाहरण बताया. उन्होंने कहा, 'भूस्खलन की घटनाओं और सूखे की स्थिति बहुत ही खौफनाक है तथा यह सब बहुत तेजी से घटित हो रहा है.'

स्कॉटलैंड ने कहा कि भूस्खलन, सूखा और चरम मौसम की घटनाओं सहित जलवायु-प्रेरित आपदाओं की एक शृंखला से जूझ रहा देश भारत इस मुद्दे का जीता-जागता उदाहरण है.

उन्होंने कहा, 'भारत वास्तव में इन सभी को प्रतिबिंबित करता है, क्योंकि भारत में द्वीपीय राज्य और बड़े राज्य भी हैं. भारत में ऐसे भी राज्य हैं, जिनमें से एक का क्षेत्रफल नाइजीरिया के आकार के बराबर है और यहां आपको तटीय राज्य भी मिलेंगे.'

स्कॉटलैंड ने राष्ट्रमंडल के भीतर भारत की अद्वितीय स्थिति की सराहना की, जो विविध संस्कृति और विशाल भौगोलिक प्रतिनिधित्व को प्रतिबिंबित करता है. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में लैंगिक असमानताओं को दूर करने के भारत के सक्रिय प्रयास समान चुनौतियों से जूझ रहे अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में काम करते हैं.

स्कॉटलैंड ने कहा, 'भारत के पास संयुक्त राष्ट्र कोष में राष्ट्रमंडल 'विंडो' है और हमने इस विंडो का उपयोग बारबाडोस और बहामास के लिए किया है.' उन्होंने कहा कि इसके अलावा, भारत अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में लैंगिक चिंताओं की वकालत करने वाले राष्ट्रमंडल वित्त मंत्री के कार्य समूह का नेतृत्व करता है.

स्कॉटलैंड ने उन कदमों के बारे में विस्तार से बताया, जिसके तहत राष्ट्रमंडल ने यह सुनिश्चित किया है कि लैंगिक चिंताएं इसकी पहलों में अंतर्निहित हों, जो लैंगिक भेदभाव को दूर करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण को बढ़ावा दे.

इन प्रयासों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा का समाधान करना, भेदभावपूर्ण कानूनों को खत्म करना और जलवायु प्रतिबद्धताओं के भीतर लैंगिक समानता को बढ़ावा देना शामिल है. 'क्लाइमेट फाइनेंस एक्सेस हब' और 'कॉमनवेल्थ यूनिवर्सल वल्नरेबिलिटी इंडेक्स' जैसे व्यावहारिक उपायों का उद्देश्य लैंगिक असमानताओं से प्रभावी ढंग से निपटना है.

जैसा कि दुनिया आगामी सीओपी-28 सहित महत्वपूर्ण जलवायु चर्चाओं की तैयारी कर रही है, उन्होंने भारत से लैंगिक समानता और समावेशी जलवायु दृष्टिकोण की वकालत करने में अपना नेतृत्व बनाए रखने का आग्रह किया.

उन्होंने जलवायु चर्चाओं और नीतियों के सभी पहलुओं में लैंगिक मुद्दों के एकीकरण पर भी जोर दिया.

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(पीटीआई-भाषा)

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