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कोरोना के जिनोम में बदलाव की जांच कर रहीं 60 प्रयोगशालाएं - पूरी दुनिया में डर

ब्रिटेन में कोरोना के नए स्ट्रेन से पूरी दुनिया में डर बना हुआ है. भारत भी इसको लेकर बेहद सतर्क है. यही कारण है कि पूरे देश में 60 प्रयोगशालाओं को हाल में विदेश से आए और कोरोना संक्रमित लोगों के जिनोम में बदलाव की जांच का जिम्मा सौंपा गया है. पढ़ें रिपोर्ट.

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Published : Dec 28, 2020, 3:46 PM IST

नई दिल्ली : ब्रिटेन में कोरोना के नए स्ट्रेन को गंभीरता से लेते हुए भारत ने कोरोना के जीनोमिक परिवर्तनों की निगरानी प्रयोगशालाओं में की जा रही है. जीनोम अनुक्रमण (आरजीएसएल) के लिए देश को छह क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. प्रत्येक क्षेत्र में 10 क्षेत्रीय प्रयोगशाला संबंधित क्षेत्र में नमूना संग्रह करेंगे.

कहां-कहां बने प्रयोगशाला

ईटीवी भारत के कब्जे में आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक नोट में कहा गया है कि दो क्षेत्रीय केंद्र पूर्व और उत्तर पूर्व में स्थापित किए जाएंगे, जो पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, असम, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, नागालैंड, मिजोरम, ओडिशा, छत्तीसगढ़ की जरूरतों को पूरा करेंगे. पश्चिमी भारत के लिए दो क्षेत्रीय केंद्र गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात और यूपी के पश्चिमी भाग की देखभाल करेंगे. दक्षिण में चार क्षेत्रीय केंद्र आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, कर्नाटक के उत्तरी भाग, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुडुचेरी को देखेंगे. मध्य भारत के लिए एक क्षेत्रीय केंद्र राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और यूपी के पश्चिमी भाग और उत्तर और मध्य भारत के लिए एक अन्य क्षेत्रीय केंद्र केरल, मप्र, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और पंजाब की देखभाल करेगा.

नई दिल्ली के एनसीडीसी में नोडल इकाई

जैव प्रौद्योगिकी प्रभाग, महामारी विज्ञान और केंद्रीय निगरानी इकाई के अधिकारियों की नई दिल्ली के एनसीडीसी में एक नोडल इकाई बनाई गई है. यह एक धुरी के रूप में कार्य करेगी और संबंधित राज्य और जिला निगरानी इकाई के साथ समन्वय करेगी और नमूनों के परिवहन की योजना बनाएगी. भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम का समग्र उद्देश्य SARS-CoV-2 में जीनोमिक भिन्नताओं की नियमित आधार पर निगरानी करना है. अनुसंधान संघ भविष्य में संभावित टीके विकसित करने में भी सहायता करेगा. यदि ब्रिटेन के वेरिएंट या किसी अन्य नमूने में किसी अन्य प्रकार के उत्परिवर्तन का पता लगाया जाता है, तो वायरस को अलग करने और आगे की जांच के लिए वायरस को RCB-फरीदाबाद या NIV-पुणे में कोविड वायरस रिपॉजिटरी में भेजा जाएगा.

70 प्रतिशत संक्रमण बढ़ा सकता है नया स्ट्रेन

पिछले कुछ हफ्तों में दक्षिण पूर्व इंग्लैंड में कोविड 19 के मामलों में तेजी आई है. वायरल जीनोम सीक्वेंस डेटा के विश्लेषण से पता चला है कि मामलों का एक बड़ा हिस्सा एक नए एकल फिऑलोजेनेटिक क्लस्टर से संबंधित है. उम्मीद है कि ब्रिटेन में मिला नया स्ट्रेन पहले से चल रहे वेरिएंट की तुलना में काफी अधिक परिवर्तनीय है. यह प्रजनन संख्या (आर) को 0.4 तक बढ़ाने की अनुमानित क्षमता के साथ 70 प्रतिशत तक संक्रमण बढ़ा सकता है. इसी कारण भारत में पिछले 14 दिनों के दौरान सभी अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के टेस्ट कराए जा रहे हैं और कोरोना संक्रमित होने पर उनका जीनोम अनुक्रमण के अधीन टेस्ट कराया जा रहा है.

नई दिल्ली : ब्रिटेन में कोरोना के नए स्ट्रेन को गंभीरता से लेते हुए भारत ने कोरोना के जीनोमिक परिवर्तनों की निगरानी प्रयोगशालाओं में की जा रही है. जीनोम अनुक्रमण (आरजीएसएल) के लिए देश को छह क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. प्रत्येक क्षेत्र में 10 क्षेत्रीय प्रयोगशाला संबंधित क्षेत्र में नमूना संग्रह करेंगे.

कहां-कहां बने प्रयोगशाला

ईटीवी भारत के कब्जे में आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक नोट में कहा गया है कि दो क्षेत्रीय केंद्र पूर्व और उत्तर पूर्व में स्थापित किए जाएंगे, जो पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, असम, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, नागालैंड, मिजोरम, ओडिशा, छत्तीसगढ़ की जरूरतों को पूरा करेंगे. पश्चिमी भारत के लिए दो क्षेत्रीय केंद्र गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात और यूपी के पश्चिमी भाग की देखभाल करेंगे. दक्षिण में चार क्षेत्रीय केंद्र आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, कर्नाटक के उत्तरी भाग, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुडुचेरी को देखेंगे. मध्य भारत के लिए एक क्षेत्रीय केंद्र राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और यूपी के पश्चिमी भाग और उत्तर और मध्य भारत के लिए एक अन्य क्षेत्रीय केंद्र केरल, मप्र, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और पंजाब की देखभाल करेगा.

नई दिल्ली के एनसीडीसी में नोडल इकाई

जैव प्रौद्योगिकी प्रभाग, महामारी विज्ञान और केंद्रीय निगरानी इकाई के अधिकारियों की नई दिल्ली के एनसीडीसी में एक नोडल इकाई बनाई गई है. यह एक धुरी के रूप में कार्य करेगी और संबंधित राज्य और जिला निगरानी इकाई के साथ समन्वय करेगी और नमूनों के परिवहन की योजना बनाएगी. भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम का समग्र उद्देश्य SARS-CoV-2 में जीनोमिक भिन्नताओं की नियमित आधार पर निगरानी करना है. अनुसंधान संघ भविष्य में संभावित टीके विकसित करने में भी सहायता करेगा. यदि ब्रिटेन के वेरिएंट या किसी अन्य नमूने में किसी अन्य प्रकार के उत्परिवर्तन का पता लगाया जाता है, तो वायरस को अलग करने और आगे की जांच के लिए वायरस को RCB-फरीदाबाद या NIV-पुणे में कोविड वायरस रिपॉजिटरी में भेजा जाएगा.

70 प्रतिशत संक्रमण बढ़ा सकता है नया स्ट्रेन

पिछले कुछ हफ्तों में दक्षिण पूर्व इंग्लैंड में कोविड 19 के मामलों में तेजी आई है. वायरल जीनोम सीक्वेंस डेटा के विश्लेषण से पता चला है कि मामलों का एक बड़ा हिस्सा एक नए एकल फिऑलोजेनेटिक क्लस्टर से संबंधित है. उम्मीद है कि ब्रिटेन में मिला नया स्ट्रेन पहले से चल रहे वेरिएंट की तुलना में काफी अधिक परिवर्तनीय है. यह प्रजनन संख्या (आर) को 0.4 तक बढ़ाने की अनुमानित क्षमता के साथ 70 प्रतिशत तक संक्रमण बढ़ा सकता है. इसी कारण भारत में पिछले 14 दिनों के दौरान सभी अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के टेस्ट कराए जा रहे हैं और कोरोना संक्रमित होने पर उनका जीनोम अनुक्रमण के अधीन टेस्ट कराया जा रहा है.

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