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मानवाधिकार परिषद में भारत ने पाकिस्तान में मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाया - अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव

मानवाधिकार परिषद के 46 वें सत्र में भारत ने पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा है. भारत ने परिषद को बताया कि कैसे पाकिस्तान घृणित मानवीय रिकॉर्ड को सही नहीं रखता. उनके यहां जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जाता है जिस पर तत्काल ध्यान देना चाहिए.

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Published : Mar 16, 2021, 7:03 PM IST

नई दिल्ली : भारत ने पाकिस्तान को अपने खिलाफ अपमानजनक और दुर्भावनापूर्ण प्रचार के लिए परिषद का लगातार दुरुपयोग करने पर जमकर लताड़ लगाई है. मानव अधिकार परिषद के 46 वें सत्र में जवाब के अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव ने पवन भाड़े ने कहा कि यह सही समय है कि पाकिस्तान असफल प्रचार करना बंद कर दे.

भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव ने पवन भाड़े ने कहा कि पाकिस्तान लाखों पीड़ितों के प्रति अपनी जिम्मेदारी पर ध्यान केंद्रित करे. कहा कि विभिन्न नागरिक समाज समूहों द्वारा हाइलाइट किए जाने पर परिषद को पाकिस्तान के घृणित मानवीय रिकॉर्ड और उसके जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभावपूर्ण रवैये पर तत्काल ध्यान देना चाहिए. पीड़ित समूहों के अनुसार वर्ष 2000 से हजारों लोग बलूचिस्तान से गायब हो गए हैं. जिन लोगों के परिवार गायब हो गए हैं उनकी आवाज को नहीं सुना जा रहा है. यही वजह है कि बलूचिस्तान को अब गायब होने वालों की भूमि के रूप में जाना जाने लगा है.

सेना को मिली शक्तियां

खैबर पख्तूनख्वा एक्शन अध्यादेश लागू होने के बाद पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में गायब होने का खतरा बढ़ गया है. यह अध्यादेश सुरक्षा एजेंसियों को अधिक शक्तियां देता है, जिसमें बिना किसी परीक्षण या आरोप के आधार पर लोगों को हिरासत में लिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के दोषपूर्ण ईश निंदा कानूनों के तहत ईश निंदा के आरोपों में खतरनाक वृद्धि हुई है, जिसकी संभावित सजा मौत है.

अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव

उन्होंने एचआरसी को बताया कि पिछले साल लगभग 200 ऐसे मामले सामने आए थे. आरजू रजा नामक 12 वर्षीय लड़की का अपहरण कर लिया गया था, जिसे एक मवेशी की जंजीर से बांधकर उसके अपहरणकर्ता से शादी करने के लिए मजबूर किया गया. यह ईसाई, हिंदुओं और पाकिस्तान में अन्य अल्पसंख्यकों द्वारा सामना किए गए व्यवस्थित भेदभाव से भी शर्मनाक है.

मीडिया कवरेज पर रोक

सरकार और आतंकवादी समूहों द्वारा दुर्व्यवहार की मीडिया कवरेज को रोकने से भय का माहौल बना हुआ है. एक पाकिस्तानी मंत्री ने फरवरी 2021 में घोषणा की है कि जो लोग पाकिस्तानी सेना के खिलाफ बोलते हैं, उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है. इसलिए पाकिस्तानी पत्रकारों को न केवल धमकियों का सामना करना पड़ता है बल्कि अक्सर उनको विचार व्यक्त करने के लिए प्रताड़ित किया जाता है, जो कि सरकार के कथन से अलग है.

यह भी पढ़ें-दुष्कर्म और फोन टैपिंग मामलों पर भाजपा ने साधा राजस्थान सरकार पर निशाना

भारत ने समय-समय पर पाकिस्तान को विभिन्न आभासी बैठकों और वैश्विक मंचों पर कश्मीर मुद्दों को उठाने के लिए रोका है. जिसमें एशिया में बहुपक्षीय समूहीकरण सम्मेलन और एशिया में विश्वास निर्माण उपाय शामिल है. विदेश मंत्रालय ने कई बार पाकिस्तान पर भारत के बारे में अपने कथानक को जारी रखते हुए मंच के दुरुपयोग का आरोप लगाया है.

नई दिल्ली : भारत ने पाकिस्तान को अपने खिलाफ अपमानजनक और दुर्भावनापूर्ण प्रचार के लिए परिषद का लगातार दुरुपयोग करने पर जमकर लताड़ लगाई है. मानव अधिकार परिषद के 46 वें सत्र में जवाब के अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव ने पवन भाड़े ने कहा कि यह सही समय है कि पाकिस्तान असफल प्रचार करना बंद कर दे.

भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव ने पवन भाड़े ने कहा कि पाकिस्तान लाखों पीड़ितों के प्रति अपनी जिम्मेदारी पर ध्यान केंद्रित करे. कहा कि विभिन्न नागरिक समाज समूहों द्वारा हाइलाइट किए जाने पर परिषद को पाकिस्तान के घृणित मानवीय रिकॉर्ड और उसके जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभावपूर्ण रवैये पर तत्काल ध्यान देना चाहिए. पीड़ित समूहों के अनुसार वर्ष 2000 से हजारों लोग बलूचिस्तान से गायब हो गए हैं. जिन लोगों के परिवार गायब हो गए हैं उनकी आवाज को नहीं सुना जा रहा है. यही वजह है कि बलूचिस्तान को अब गायब होने वालों की भूमि के रूप में जाना जाने लगा है.

सेना को मिली शक्तियां

खैबर पख्तूनख्वा एक्शन अध्यादेश लागू होने के बाद पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में गायब होने का खतरा बढ़ गया है. यह अध्यादेश सुरक्षा एजेंसियों को अधिक शक्तियां देता है, जिसमें बिना किसी परीक्षण या आरोप के आधार पर लोगों को हिरासत में लिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के दोषपूर्ण ईश निंदा कानूनों के तहत ईश निंदा के आरोपों में खतरनाक वृद्धि हुई है, जिसकी संभावित सजा मौत है.

अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव

उन्होंने एचआरसी को बताया कि पिछले साल लगभग 200 ऐसे मामले सामने आए थे. आरजू रजा नामक 12 वर्षीय लड़की का अपहरण कर लिया गया था, जिसे एक मवेशी की जंजीर से बांधकर उसके अपहरणकर्ता से शादी करने के लिए मजबूर किया गया. यह ईसाई, हिंदुओं और पाकिस्तान में अन्य अल्पसंख्यकों द्वारा सामना किए गए व्यवस्थित भेदभाव से भी शर्मनाक है.

मीडिया कवरेज पर रोक

सरकार और आतंकवादी समूहों द्वारा दुर्व्यवहार की मीडिया कवरेज को रोकने से भय का माहौल बना हुआ है. एक पाकिस्तानी मंत्री ने फरवरी 2021 में घोषणा की है कि जो लोग पाकिस्तानी सेना के खिलाफ बोलते हैं, उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है. इसलिए पाकिस्तानी पत्रकारों को न केवल धमकियों का सामना करना पड़ता है बल्कि अक्सर उनको विचार व्यक्त करने के लिए प्रताड़ित किया जाता है, जो कि सरकार के कथन से अलग है.

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भारत ने समय-समय पर पाकिस्तान को विभिन्न आभासी बैठकों और वैश्विक मंचों पर कश्मीर मुद्दों को उठाने के लिए रोका है. जिसमें एशिया में बहुपक्षीय समूहीकरण सम्मेलन और एशिया में विश्वास निर्माण उपाय शामिल है. विदेश मंत्रालय ने कई बार पाकिस्तान पर भारत के बारे में अपने कथानक को जारी रखते हुए मंच के दुरुपयोग का आरोप लगाया है.

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