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सीमा पर घुसपैठ को रोकने के लिए जनसंख्या रणनीति अपनाए भारत: पूर्व गृह सचिव - सीमा क्षेत्र की प्रबंधन व्यवस्था

जुलाई 2021 के दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से अरुणाचल प्रदेश सरकार को सीमा क्षेत्र के विकास कार्यक्रम (बीएडीपी) के तहत 3.84 करोड़ रुपये की राशि मंजूरी की गई थी. जिस पर भारत के पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई ने कहा कि क्षेत्र के प्रबंधन के लिए मंजूर की गई राशि अत्यंत कम है. फंड पर कब्जा सत्ताधारी लोगों का रहता है, जिससे सीमा क्षेत्र की प्रबंधन व्यवस्था पीछे रह जाती है. इस पर पेश है ईटीवी भारत वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई
पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई
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Published : Sep 21, 2021, 12:35 AM IST

Updated : Sep 21, 2021, 1:47 AM IST

नई दिल्ली : भारत के पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई (India's former home secretary GK Pillai) ने चीन से अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर जनसंख्या रणनीति (border population strategy) पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के निवासियों को चीनी लोगों के बीच अंतर करना मुश्किल होगा, ऐसे में भारत को सीमा जनसंख्या रणनीति की आवश्यकता है.

पिल्लई नई दिल्ली में आयोजित सिक्योर इंडिया 2.0: स्ट्रैटेजिक इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट 2021 के दौरान कहा कि क्षेत्र के प्रबंधन के लिए मंजूर की गई राशि अत्यंत कम है. इसलिए सत्ता के करीबी लोग ही अधिकांश फंड पर कब्जा कर लेते हैं तथा सीमा क्षेत्र की प्रबंधन व्यवस्था पीछे रह जाती है.

उन्होंने कहा कि ऐसे क्षेत्रों के विकास की लागत बहुत अधिक होती है, इसलिए हमें सौर ऊर्जा जैसे स्थानीय विचारों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.

गौरतलब है कि यह कार्यक्रम ग्लोबल काउंटर टेररिज्म काउंसिल की ओर से आयोजित किया गया था.

पिल्लई ने कहा कि यह केवल चीनी पक्ष से नहीं है, भारत के समक्ष म्यांमार सेक्टर के साथ भी सीमा संबंधी चुनौतियां हैं. उन्होंने आगे कहा कि अरुणाचल प्रदेश और म्यांमार की सीमा के माध्यम से भारत की आंतरिक सुरक्षा की प्रमुख चुनौतियां स्थानीय विद्रोह और घुसपैठ का कारण है.

पिल्लई ने स्थानीय विद्रोहों को समाप्त करने के लिए राजनीतिक समाधान पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इससे हथियारों का खुलेआम कारोबार और तस्करी हो रही है. घुसपैठ पर काबू पाना एक और बड़ी चुनौती है.

अरुणाचल प्रदेश के एक भाजपा सांसद तपीर गाओ ने ईटीवी भारत को बताया कि चीनी जब भी मौका मिलता है, भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लेते हैं. उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास की कमी के कारण, हमारे लोग अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर बेहतर स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं. केंद्र सरकार को सीमावर्ती क्षेत्रों का तेजी से विकास सुनिश्चित करना चाहिए.

बता दें कि भारत अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के साथ चीन के साथ 3488 किलोमीटर सीमा क्षेत्र साझा करता है. वहीं, म्यांमार के साथ 1643 किलोमीटर की सीमा भारत साझा करता है जो अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम से होकर गुजरती है.

इस साल जुलाई महीने के दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से अरुणाचल प्रदेश सरकार को सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बीएडीपी) के तहत 3.84 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है.

नई दिल्ली : भारत के पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई (India's former home secretary GK Pillai) ने चीन से अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर जनसंख्या रणनीति (border population strategy) पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के निवासियों को चीनी लोगों के बीच अंतर करना मुश्किल होगा, ऐसे में भारत को सीमा जनसंख्या रणनीति की आवश्यकता है.

पिल्लई नई दिल्ली में आयोजित सिक्योर इंडिया 2.0: स्ट्रैटेजिक इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट 2021 के दौरान कहा कि क्षेत्र के प्रबंधन के लिए मंजूर की गई राशि अत्यंत कम है. इसलिए सत्ता के करीबी लोग ही अधिकांश फंड पर कब्जा कर लेते हैं तथा सीमा क्षेत्र की प्रबंधन व्यवस्था पीछे रह जाती है.

उन्होंने कहा कि ऐसे क्षेत्रों के विकास की लागत बहुत अधिक होती है, इसलिए हमें सौर ऊर्जा जैसे स्थानीय विचारों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.

गौरतलब है कि यह कार्यक्रम ग्लोबल काउंटर टेररिज्म काउंसिल की ओर से आयोजित किया गया था.

पिल्लई ने कहा कि यह केवल चीनी पक्ष से नहीं है, भारत के समक्ष म्यांमार सेक्टर के साथ भी सीमा संबंधी चुनौतियां हैं. उन्होंने आगे कहा कि अरुणाचल प्रदेश और म्यांमार की सीमा के माध्यम से भारत की आंतरिक सुरक्षा की प्रमुख चुनौतियां स्थानीय विद्रोह और घुसपैठ का कारण है.

पिल्लई ने स्थानीय विद्रोहों को समाप्त करने के लिए राजनीतिक समाधान पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इससे हथियारों का खुलेआम कारोबार और तस्करी हो रही है. घुसपैठ पर काबू पाना एक और बड़ी चुनौती है.

अरुणाचल प्रदेश के एक भाजपा सांसद तपीर गाओ ने ईटीवी भारत को बताया कि चीनी जब भी मौका मिलता है, भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लेते हैं. उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास की कमी के कारण, हमारे लोग अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर बेहतर स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं. केंद्र सरकार को सीमावर्ती क्षेत्रों का तेजी से विकास सुनिश्चित करना चाहिए.

बता दें कि भारत अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के साथ चीन के साथ 3488 किलोमीटर सीमा क्षेत्र साझा करता है. वहीं, म्यांमार के साथ 1643 किलोमीटर की सीमा भारत साझा करता है जो अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम से होकर गुजरती है.

इस साल जुलाई महीने के दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से अरुणाचल प्रदेश सरकार को सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बीएडीपी) के तहत 3.84 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है.

Last Updated : Sep 21, 2021, 1:47 AM IST
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