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सौर परियोजना लागत के मामले में भारत दुनिया में सबसे सस्ता देश : रिपोर्ट - सौर ऊर्जा परियोजना

भारत में छतों पर लगायी जाने वाली सौर ऊर्जा परियोजनाओं के मामले में लागत सबसे कम है. इसकी लागत देश में 66 डॉलर प्रति मेगावाट-घंटा है जबकि चीन में यह 68 डॉलर प्रति मेगावाट-घंटा है और वह दूसरे सबसे सस्ता देश है. एक वैश्विक अध्ययन में यह कहा गया है.

सौर परियोजना
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Published : Oct 15, 2021, 8:18 PM IST

मुंबई : भारत में छतों पर लगायी जाने वाली सौर ऊर्जा परियोजनाओं के मामले में लागत सबसे कम है. इसकी लागत देश में 66 डॉलर प्रति मेगावाट-घंटा है जबकि चीन में यह 68 डॉलर प्रति मेगावाट-घंटा है और वह दूसरे सबसे सस्ता देश है. एक वैश्विक अध्ययन में यह कहा गया है.

कम लागत के कारण घरों और वाणिज्यिक एवं औद्योगिक भवनों में इस्तेमाल किए जाने वाले छत पर लगे सौर पैनल जैसी रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टिक (आरटीएसपीवी) तकनीक, वर्तमान में सबसे तेजी से लगायी जाने वाली ऊर्जा उत्पादन तकनीक है. इस अध्ययन के अनुसार, आरटीएसपीवी से 2050 तक वैश्विक बिजली की मांग का 49 प्रतिशत तक पूरा होने का अनुमान है.

पिछले एक दशक में, नीति केंद्रित पहल के साथ-साथ परियोजना स्थापित करने की लागत में भारी गिरावट से वैश्विक स्तर पर आरटीएसपीवी के इस्तेमाल में काफी तेजी आयी है. 2006 और 2018 के बीच, आरटीएसपीवी की स्थापित क्षमता 2,500 मेगावाट से बढ़कर 2,13,000 मेगावाट पहुंच गयी है.

यह अध्ययन रिपोर्ट अहमदाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और विश्वविद्यालय के पर्यावरण तथा ऊर्जा के लिये वैश्विक केंद्र के निदेशक प्रियदर्शी शुक्ल, लंदन स्थित इम्पीरियल कॉलेज की शिविका मित्तल और कोलंबिया विश्वविद्यालय से जेम्स ग्लिन ने तैयार किया है. टीम का नेतृत्व आयरलैंड स्थित ऊर्जा, पर्यावरण और समुद्र के लिये प्रमुख शोध केंद्र एमएआरईआई के शोधकर्ता सिद्धार्थ जोशी ने किया.

अध्ययन के अनुसार वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता में छतों पर लगायी जाने वाली सौर परियोजनाओं की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है.

छतों पर सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए जहां भारत और चीन में लागत क्रमश: 66 डॉलर प्रति मेगावाट-घंटा, 68 डॉलर प्रति मेगावाट-घंटा है वहीं अमेरिका तथा ब्रिटेन में यह क्रमश: 238 डॉलर प्रति मेगावाट-घंटा एवं 251 डॉलर प्रति मेगावाट-घंटा है.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : भारत में छतों पर लगायी जाने वाली सौर ऊर्जा परियोजनाओं के मामले में लागत सबसे कम है. इसकी लागत देश में 66 डॉलर प्रति मेगावाट-घंटा है जबकि चीन में यह 68 डॉलर प्रति मेगावाट-घंटा है और वह दूसरे सबसे सस्ता देश है. एक वैश्विक अध्ययन में यह कहा गया है.

कम लागत के कारण घरों और वाणिज्यिक एवं औद्योगिक भवनों में इस्तेमाल किए जाने वाले छत पर लगे सौर पैनल जैसी रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टिक (आरटीएसपीवी) तकनीक, वर्तमान में सबसे तेजी से लगायी जाने वाली ऊर्जा उत्पादन तकनीक है. इस अध्ययन के अनुसार, आरटीएसपीवी से 2050 तक वैश्विक बिजली की मांग का 49 प्रतिशत तक पूरा होने का अनुमान है.

पिछले एक दशक में, नीति केंद्रित पहल के साथ-साथ परियोजना स्थापित करने की लागत में भारी गिरावट से वैश्विक स्तर पर आरटीएसपीवी के इस्तेमाल में काफी तेजी आयी है. 2006 और 2018 के बीच, आरटीएसपीवी की स्थापित क्षमता 2,500 मेगावाट से बढ़कर 2,13,000 मेगावाट पहुंच गयी है.

यह अध्ययन रिपोर्ट अहमदाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और विश्वविद्यालय के पर्यावरण तथा ऊर्जा के लिये वैश्विक केंद्र के निदेशक प्रियदर्शी शुक्ल, लंदन स्थित इम्पीरियल कॉलेज की शिविका मित्तल और कोलंबिया विश्वविद्यालय से जेम्स ग्लिन ने तैयार किया है. टीम का नेतृत्व आयरलैंड स्थित ऊर्जा, पर्यावरण और समुद्र के लिये प्रमुख शोध केंद्र एमएआरईआई के शोधकर्ता सिद्धार्थ जोशी ने किया.

अध्ययन के अनुसार वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता में छतों पर लगायी जाने वाली सौर परियोजनाओं की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है.

छतों पर सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए जहां भारत और चीन में लागत क्रमश: 66 डॉलर प्रति मेगावाट-घंटा, 68 डॉलर प्रति मेगावाट-घंटा है वहीं अमेरिका तथा ब्रिटेन में यह क्रमश: 238 डॉलर प्रति मेगावाट-घंटा एवं 251 डॉलर प्रति मेगावाट-घंटा है.

(पीटीआई-भाषा)

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