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'अफगानिस्तान में सभी शांति पहलों के समर्थन व विभिन्न पक्षकारों के सम्पर्क में है भारत'

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि अफगानिस्तान में सभी शांति पहलों का भारत समर्थन करता है और इस क्षेत्र के देशों सहित विभिन्न पक्षकारों के सम्पर्क में है. उन्होंने यह प्रतिक्रिया तब दी जब उनसे कतर में अफगानिस्तान शांति वार्ता के बीच तालिबान से संवाद करने की खबर के बारे में पूछा गया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची
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Published : Jun 25, 2021, 10:36 AM IST

नई दिल्ली : अफगानिस्तान में सभी शांति पहलों का भारत समर्थन करता है और इस क्षेत्र के देशों सहित विभिन्न पक्षकारों के सम्पर्क में है. यह बात विदेश मंत्रालय (foreign Ministry) के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने डिजिटल माध्यम से सप्ताहिक प्रेस वार्ता में कही. उन्होंने कहा कि वह समझते हैं कि अफगानिस्तान को लेकर हमारे रूख को विभिन्न अवसरों पर व्यक्त किया जा चुका है.

उन्होंने कहा कि भारत सभी शांति पहलों (peace initiatives) का समर्थन करता है और अफगानिस्तान के विकास एवं पुनर्निमाण को लेकर उसकी दीर्घकालीन प्रतिबद्धता (long term commitment) है. इस परिप्रेक्ष में हम क्षेत्र के देशों सहित विभिन्न पक्षकारों के सम्पर्क में है.

विदेश मंत्री के UNSC में दिये बयान की ओर ध्यान बढ़ाया

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह प्रतिक्रिया तब दी जब उनसे पूछा गया कि ऐसी खबरें आ रही है कि भारत ने कतर में अफगानिस्तान शांति वार्ता (Afghanistan peace talks) के बीच तालिबान से संवाद किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अफगानिस्तान के संदर्भ में वह विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council-UNSC) में दिये हाल के बयान की ओर ध्यान दिलाना चाहेंगे जो उस देश में हिंसा बढ़ने और भविष्य को लेकर हमारी दृष्टि को स्पष्ट करता है.

पढ़ें : चीनी कार्रवाई ने सीमावर्ती क्षेत्र में शांति को गंभीर रूप से प्रभावित किया : विदेश मंत्रालय

गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा था कि अफगानिस्तान में स्थाई शांति के लिए सच्चे अर्थों में देश के भीतर और इसके आसपास दोहरी शांति की आवश्यकता है.

जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चर्चा के दौरान कहा था कि हिंसा में तत्काल कमी और असैन्य नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत अफगानिस्तान में स्थाई और व्यापक संघर्ष विराम चाहता है. उन्होंने कहा था कि अफगानिस्तान में स्थाई शांति के लिए सच्चे अर्थों में दोहरी शांति यानी अफगानिस्तान के भीतर और इसके आसपास अमन की आवश्यकता है. इसके लिए उस देश के भीतर और आसपास सभी के हितों में सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है.

अफगानिस्तान में स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव (Secretary General of the United Nations) एंतोनियो गुतारेस (Antonio Guterres) की पिछले सप्ताह की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा था कि रिपोर्ट से स्पष्ट है कि अंतर-अफगान वार्ता के परिणामस्वरूप अफगानिस्तान में हिंसा में कमी नहीं आई है, बल्कि इसके विपरीत हिंसा केवल बढ़ी है. इस बीच, एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमारा मानना है कि अफगानिस्तान के लोगों को अपने सहयोगी और उसके आकार के बारे में निर्णय करना है.

उन्होंने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान में बिजली, बांध, स्कूल, सामुदायिक परियोजनाएं आदि बनाने का काम किया है. बागची ने कहा कि दुनिया जानती है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान में क्या लाया है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : अफगानिस्तान में सभी शांति पहलों का भारत समर्थन करता है और इस क्षेत्र के देशों सहित विभिन्न पक्षकारों के सम्पर्क में है. यह बात विदेश मंत्रालय (foreign Ministry) के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने डिजिटल माध्यम से सप्ताहिक प्रेस वार्ता में कही. उन्होंने कहा कि वह समझते हैं कि अफगानिस्तान को लेकर हमारे रूख को विभिन्न अवसरों पर व्यक्त किया जा चुका है.

उन्होंने कहा कि भारत सभी शांति पहलों (peace initiatives) का समर्थन करता है और अफगानिस्तान के विकास एवं पुनर्निमाण को लेकर उसकी दीर्घकालीन प्रतिबद्धता (long term commitment) है. इस परिप्रेक्ष में हम क्षेत्र के देशों सहित विभिन्न पक्षकारों के सम्पर्क में है.

विदेश मंत्री के UNSC में दिये बयान की ओर ध्यान बढ़ाया

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह प्रतिक्रिया तब दी जब उनसे पूछा गया कि ऐसी खबरें आ रही है कि भारत ने कतर में अफगानिस्तान शांति वार्ता (Afghanistan peace talks) के बीच तालिबान से संवाद किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अफगानिस्तान के संदर्भ में वह विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council-UNSC) में दिये हाल के बयान की ओर ध्यान दिलाना चाहेंगे जो उस देश में हिंसा बढ़ने और भविष्य को लेकर हमारी दृष्टि को स्पष्ट करता है.

पढ़ें : चीनी कार्रवाई ने सीमावर्ती क्षेत्र में शांति को गंभीर रूप से प्रभावित किया : विदेश मंत्रालय

गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा था कि अफगानिस्तान में स्थाई शांति के लिए सच्चे अर्थों में देश के भीतर और इसके आसपास दोहरी शांति की आवश्यकता है.

जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चर्चा के दौरान कहा था कि हिंसा में तत्काल कमी और असैन्य नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत अफगानिस्तान में स्थाई और व्यापक संघर्ष विराम चाहता है. उन्होंने कहा था कि अफगानिस्तान में स्थाई शांति के लिए सच्चे अर्थों में दोहरी शांति यानी अफगानिस्तान के भीतर और इसके आसपास अमन की आवश्यकता है. इसके लिए उस देश के भीतर और आसपास सभी के हितों में सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है.

अफगानिस्तान में स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव (Secretary General of the United Nations) एंतोनियो गुतारेस (Antonio Guterres) की पिछले सप्ताह की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा था कि रिपोर्ट से स्पष्ट है कि अंतर-अफगान वार्ता के परिणामस्वरूप अफगानिस्तान में हिंसा में कमी नहीं आई है, बल्कि इसके विपरीत हिंसा केवल बढ़ी है. इस बीच, एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमारा मानना है कि अफगानिस्तान के लोगों को अपने सहयोगी और उसके आकार के बारे में निर्णय करना है.

उन्होंने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान में बिजली, बांध, स्कूल, सामुदायिक परियोजनाएं आदि बनाने का काम किया है. बागची ने कहा कि दुनिया जानती है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान में क्या लाया है.

(पीटीआई-भाषा)

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