नयी दिल्ली: भगोड़े कट्टरपंथी इस्लामवादी उपदेशक जाकिर नाइक को हिरासत में लिए जाने और फिर ओमान से निर्वासित किए जाने की खबरों के बीच विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत सरकार ने इस मामले को ओमान और ओमान के अधिकारियों के साथ उठाया है. यहां नई दिल्ली में एक साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि जाकिर नाइक भारत में कई मामलों में आरोपी है. वह न्यायालय की ओर से भगोड़ा घोषित है. हमने इस मामले को ओमान सरकार और ओमान के अधिकारियों के साथ उठाया है.
बागची ने आगे कहा कि हम उसे भारत में न्याय का सामना कराने के लिए सभी आवश्यक उपाय करना जारी रखेंगे. उनकी यह टिप्पणी एक सवाल के जवाब में आई कि क्या कोई मुद्दा है, जो नाइक के प्रत्यर्पण से संबंधित है. इसके अलावा, अदालतों में लंबित मामलों में सुनवाई के लिए जाकिर नाइक को भारत प्रत्यर्पित करने के लिए ओमान के अधिकारियों के साथ राजनयिक प्रयास जारी हैं.
सूत्रों के मुताबिक, नाइक को साल 2016-2017 में एनआईए और ईडी द्वारा उसके खिलाफ की गई जांच के लिए बुलाया गया था, अब उसे इस महीने ओमान में दो व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया है. उसका पहला व्याख्यान 'कुरान एक वैश्विक आवश्यकता' ओमान के मंत्रालय और धार्मिक मामलों के मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया है और रमजान के पहले दिन-23 मार्च को निर्धारित किया गया था. दूसरा व्याख्यान 'पैगंबर मुहम्मद - मानव जाति के लिए एक दया' 25 मार्च की शाम को सुल्तान कबूस विश्वविद्यालय में निर्धारित है.
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नाइक एक इस्लामिक उपदेशक है, जो कई सालों से सुर्खियों में है. नफरत फैलाने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के बीच वह 2016 में भारत से भाग गया था. वह विवाद को पसंद करने वाला व्यक्ति है और सबसे बड़ा विवाद तब हुआ जब यह खुलासा हुआ कि 2016 के ढाका कैफे हमले के आरोपियों में से एक उसके भाषणों से प्रेरित था. उसी वर्ष, उनके एनजीओ आईआरएफ (इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन) को 1967 के गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था.