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यूएन में कंबोज बोलीं-खाद्यान्न वितरण में समानता और पहुंच के महत्व पर जोर देता है भारत

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Published : Aug 4, 2023, 9:29 PM IST

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने खाद्यान्न वितरण में समानता और पहुंच के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने काला सागर अनाज पहल को जारी रखने में संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों में भारत के सहयोग की फिर से पुष्टि की है.

Ruchira Combos
स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र में खाद्यान्न वितरण में समानता, सामर्थ्य और पहुंच के महत्व पर प्रकाश डालते हुए भारत ने कहा कि खुले बाजारों को असमानता और भेदभाव को बढ़ावा देने का आधार नहीं बनना चाहिए.

विश्व निकाय में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 'अकाल और संघर्ष से उत्पन्न वैश्विक खाद्य असुरक्षा' पर खुली बहस के दौरान यह टिप्पणी की.

कंबोज ने अपने संबोधन में काला सागर अनाज पहल को जारी रखने में संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों में भारत के सहयोग की फिर से पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता जिस चीज के प्रति प्रतिबद्ध है वह 'हमारे प्रधानमंत्री के शब्दों में है-उर्वरक, चिकित्सीय उत्पादों और खाद्य पदार्थों की वैश्विक आपूर्ति को राजनीति से मुक्त करना ताकि भूराजनीतिक तनाव की परिणति मानवीय संकट के रूप में न हो.'

कंबोज ने कहा, 'वैश्विक खाद्य असुरक्षा की स्थिति भयावह है और पिछले चार वर्षों में भोजन की भारी कमी का सामना करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है. दुनिया में जारी सशस्त्र संघर्ष, भोजन, उर्वरक और ऊर्जा संकट ने महत्वपूर्ण चुनौतियां पैदा की हैं-खासकर 'ग्लोबल साउथ' के लिए.'

संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, 62 देशों में 36.2 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है, जो एक रिकॉर्ड संख्या है. कंबोज ने कहा, 'जब खाद्यान्न की बात आती है तो समानता, किफायती कीमत और पहुंच के महत्व को पर्याप्त रूप से समझना हम सभी के लिए आवश्यक है. हमने पहले ही देखा है कि कैसे कोविड-19 रोधी टीकों के मामले में इन सिद्धांतों की अवहेलना की गई थी. खुले बाजारों को असमानता को कायम रखने और भेदभाव को बढ़ावा देने का आधार नहीं बनना चाहिए.'

ये भी पढ़ें-

भारत ने सुरक्षा परिषद में सुधार में देरी की आलोचना की, कहा-75 साल और खिंच सकती है प्रक्रिया

(पीटीआई-भाषा)

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विश्व निकाय में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 'अकाल और संघर्ष से उत्पन्न वैश्विक खाद्य असुरक्षा' पर खुली बहस के दौरान यह टिप्पणी की.

कंबोज ने अपने संबोधन में काला सागर अनाज पहल को जारी रखने में संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों में भारत के सहयोग की फिर से पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता जिस चीज के प्रति प्रतिबद्ध है वह 'हमारे प्रधानमंत्री के शब्दों में है-उर्वरक, चिकित्सीय उत्पादों और खाद्य पदार्थों की वैश्विक आपूर्ति को राजनीति से मुक्त करना ताकि भूराजनीतिक तनाव की परिणति मानवीय संकट के रूप में न हो.'

कंबोज ने कहा, 'वैश्विक खाद्य असुरक्षा की स्थिति भयावह है और पिछले चार वर्षों में भोजन की भारी कमी का सामना करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है. दुनिया में जारी सशस्त्र संघर्ष, भोजन, उर्वरक और ऊर्जा संकट ने महत्वपूर्ण चुनौतियां पैदा की हैं-खासकर 'ग्लोबल साउथ' के लिए.'

संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, 62 देशों में 36.2 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है, जो एक रिकॉर्ड संख्या है. कंबोज ने कहा, 'जब खाद्यान्न की बात आती है तो समानता, किफायती कीमत और पहुंच के महत्व को पर्याप्त रूप से समझना हम सभी के लिए आवश्यक है. हमने पहले ही देखा है कि कैसे कोविड-19 रोधी टीकों के मामले में इन सिद्धांतों की अवहेलना की गई थी. खुले बाजारों को असमानता को कायम रखने और भेदभाव को बढ़ावा देने का आधार नहीं बनना चाहिए.'

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