नई दिल्ली : भारतीय और चीनी सेनाओं (Indian and Chinese armies) ने पूर्वी लद्दाख (eastern Ladakh) में लंबित मुद्दों को 'तेजी' से हल करने पर सहमति जताई और 12वें दौर की सैन्य स्तर की वार्ता को 'रचनात्मक' करार दिया. सोमवार को जारी एक संयुक्त बयान में यह जानकारी दी गई.
भारत-चीन सैन्य वार्ता के दो दिन बाद भारतीय सेना (Indian Army) की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत-चीन सीमा क्षेत्र के पश्चिमी सेक्टर से सैनिकों की वापसी के संबंध में 'स्पष्ट एवं गहन' विचार साझा किए गए.
बयान के मुताबिक, 'दोनों पक्षों ने बैठक के इस दौर को रचनात्मक करार दिया जिसने पारस्परिक समझ को और बढ़ाया. वे बाकी बचे मुद्दों को वर्तमान समझौतों एवं प्रोटोकॉल के अनुसार त्वरित आधार पर हल करने को लेकर सहमत हुए. साथ ही बातचीत एवं वार्ता की गति बरकरार रखने पर भी सहमति जताई गई.'
इसके मुताबिक, दोनों पक्ष एलएसी पर स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रभावी प्रयासों को जारी रखने को लेकर भी सहमत हुए.
कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी
बता दें, पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पिछले साल अप्रैल से जारी विवाद के बीच भारत-चीन (Indo-China) के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी. यह दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच 12वीं दौर की वार्ता थी. नौ घंटे की मैराथन बैठक में तनाव को कम करने को लेकर बातचीत की गई.
पिछले दिनों एलएसी विवाद को खत्म करने के लिए चीन ने 26 जुलाई को बातचीत करने का सुझाव दिया था, जिसे भारत ने कारगिल विजय दिवस के चलते खारिज कर दिया था. बाद में बातचीत के लिए 31 जुलाई की तारीख तय की गई थी.
अप्रैल 2020 से है तनाव की स्थिति
दोनों देशों के बीच एलएसी पर पिछले अप्रैल से ही तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है. हालांकि, कई बार बातचीत के बाद स्थिति में कुछ सुधार आया है, लेकिन फिर भी गोगरा समेत कई ऐसे प्वाइंट्स हैं, जहां पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं. पिछले साल जून महीने में गलवान घाटी में हिंसक झड़प हो गई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. वहीं, चीन के भी कई सैनिक मारे गए थे.
जिनपिंग ने किया था तिब्बत का दौरा
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 23 जुलाई को अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे तिब्बती शहर निंगची का दौरा किया था. जिनपिंग ल्हासा में दलाई लामा के आधिकारिक निवास पोटाला पैलेस के पास दिखाई दिए थे. एक दशक में तिब्बत की राजधानी की यह उनकी पहली यात्रा थी.
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