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प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन भारत के लिए व्यापार अवसरों को बेहतर करेगा : पद्मजा - आत्मनिर्भर भारत में योगदान

विदेशी भारतीय समुदाय द्वारा राष्ट्र के विकास में दिए गए योगदान का सम्मान करने के लिए भारत ने शनिवार को 16वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन किया. फिजी में भारत की पूर्व राजदूत पद्मजा ने कहा कि यह दिन भारत के राष्ट्रपिता की दक्षिण अफ्रीका से वापसी की याद दिलाता है, जिन्हें भारत को ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त कराने के लिए सबसे बड़े प्रवासी के रूप में जाना जाता है. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की एक रिपोर्ट...

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Published : Jan 9, 2021, 3:24 PM IST

Updated : Jan 9, 2021, 4:46 PM IST

नई दिल्ली : विदेशी भारतीय समुदाय द्वारा राष्ट्र के विकास में दिए गए योगदान का सम्मान करने के लिए भारत ने शनिवार को 16वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन किया. जिसमें दुनियाभर के प्रवासी भारतीयों और प्रख्यात विशेषज्ञों की भागीदारी देखी गई.

विदेश मंत्रालय के तत्वावधान में 'आत्मनिर्भर भारत में योगदान' विषय के तहत सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया. अधिवेशन में मुख्य अतिथि के रूप में सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी मौजूद रहे.

पीबीडी सम्मेलन के संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए फिजी में भारत की पूर्व राजदूत पद्मजा ने कहा कि इस वर्ष का प्रवासी भारतीय दिवस, जो कि आत्मनिर्भर भारत के लिए योगदान देने वाली थीम के साथ मनाया जा रहा है, यह न केवल भारत के लिए व्यापार के अवसरों को बेहतर करेगा, बल्कि सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रवासी भारतीयों को भी समान अवसर देगा. हम कृषि, उद्योग और विभिन्न क्षेत्रों में एक-दूसरे के सर्वोत्तम विशेषज्ञता से लाभान्वित होंगे.

महामारी का यह कठिन दौर
उन्होंने कहा कि महामारी के इस कठिन दौर में दुनिया के सभी देशों की अपनी आवश्यकताएं हैं. यह सम्मेलन हमें नए समाधानों का पता लगाने, साझा करने और कार्यान्वित करने की अनुमति देगा. भारत कोविड वैक्सीन को रोल आउट करने वाला है और यह इस उपलब्धि को प्रदर्शित करने का एक उपयुक्त अवसर है. यह हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा. उन्होंने आगे कहा कि हमने अपनी उपलब्धियों से दुनियाभर में भारतीयों को गौरवान्वित किया.

अधिवेशन की सार्थकता पर बात करते हुए पूर्व राजनयिक पद्मजा ने कहा, 'मैं भारत और उसके लोगों के बीच संबंधों को एक पेड़ की जड़ों के रूप में देखती हूं. ये नए पत्ते, फूल आदि इन जड़ों से ही अपना जीवन प्राप्त करते हैं. उनकी सुंदरता और उपयोगिता वृक्ष को समग्र रूप से मजबूती प्रदान करती है, जिससे यह पूर्ण हो जाता है. पीबीडी जो 2003 में शुरू हुआ था, अब हर साल नौ जनवरी को मनाया जाता है. यह दिन महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने की याद दिलाता है.'

यह भी पढ़ें-नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती, उच्च स्तरीय समिति का गठन

प्रवासी भारतीय दिवस का महत्व
प्रवासी भारतीय दिवस काफी महत्व रखता है क्योंकि यह दिन न केवल प्रवासी भारतीयों को अपनी जड़ों से जोड़ता है, बल्कि उनकी उपलब्धियों का जश्न भी मनाता है. यह दिन विदेशों में रह रहे भारतीयों के सामने आने वाली कठिनाइयों को भी स्वीकार करता है.

यह दिवस दुनिया के सभी देशों में अप्रवासी भारतीयों का एक नेटवर्क बनाने और युवा पीढ़ी को अप्रवासियों से जोड़ने में मदद करता है, ताकि वे विकसित हो सकें और इसके विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें. यह दिन भारत के राष्ट्रपिता की दक्षिण अफ्रीका से वापसी की याद दिलाता है. जिन्हें भारत को ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त कराने के लिए सबसे बड़े प्रवासी के रूप में जाना जाता है.

दो सत्रों में आयोजित हुआ सम्मेलन
16वें पीबीडी सम्मेलन में दो सत्र शामिल थे. जिनमें आत्मानिर्भर भारत और कोविड के बाद की चुनौतियां, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, सामाजिक और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के परिदृश्य शामिल हैं.

पीबीडी सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह भारत के लिए गर्व की बात है कि ऐसे अभूतपूर्व समय में प्रवासी भारतीयों ने बड़े पैमाने पर योगदान दिया है. पिछले वर्षों में अनिवासी भारतीयों ने अन्य देशों में अपनी पहचान मजबूत की है. उन्होंने कहा कि आज हम दुनिया के विभिन्न कोनों से इंटरनेट से जुड़े हुए हैं. लेकिन हमारे मन हमेशा मां भारती से जुड़े हुए हैं.

आत्मनिर्भर भारत और महामारी के दौरान इसकी भूमिका पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी ने आगे दोहराया कि भारत बाहर से पीपीई किट, मास्क, वेंटिलेटर और परीक्षण किट आयात करता था, लेकिन आज हमारा राष्ट्र आत्मनिर्भर है. आज भारत मेड इन इंडिया कोविड-19 टीकों के साथ मानवता को बचाने के लिए तैयार है.

नई दिल्ली : विदेशी भारतीय समुदाय द्वारा राष्ट्र के विकास में दिए गए योगदान का सम्मान करने के लिए भारत ने शनिवार को 16वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन किया. जिसमें दुनियाभर के प्रवासी भारतीयों और प्रख्यात विशेषज्ञों की भागीदारी देखी गई.

विदेश मंत्रालय के तत्वावधान में 'आत्मनिर्भर भारत में योगदान' विषय के तहत सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया. अधिवेशन में मुख्य अतिथि के रूप में सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी मौजूद रहे.

पीबीडी सम्मेलन के संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए फिजी में भारत की पूर्व राजदूत पद्मजा ने कहा कि इस वर्ष का प्रवासी भारतीय दिवस, जो कि आत्मनिर्भर भारत के लिए योगदान देने वाली थीम के साथ मनाया जा रहा है, यह न केवल भारत के लिए व्यापार के अवसरों को बेहतर करेगा, बल्कि सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रवासी भारतीयों को भी समान अवसर देगा. हम कृषि, उद्योग और विभिन्न क्षेत्रों में एक-दूसरे के सर्वोत्तम विशेषज्ञता से लाभान्वित होंगे.

महामारी का यह कठिन दौर
उन्होंने कहा कि महामारी के इस कठिन दौर में दुनिया के सभी देशों की अपनी आवश्यकताएं हैं. यह सम्मेलन हमें नए समाधानों का पता लगाने, साझा करने और कार्यान्वित करने की अनुमति देगा. भारत कोविड वैक्सीन को रोल आउट करने वाला है और यह इस उपलब्धि को प्रदर्शित करने का एक उपयुक्त अवसर है. यह हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा. उन्होंने आगे कहा कि हमने अपनी उपलब्धियों से दुनियाभर में भारतीयों को गौरवान्वित किया.

अधिवेशन की सार्थकता पर बात करते हुए पूर्व राजनयिक पद्मजा ने कहा, 'मैं भारत और उसके लोगों के बीच संबंधों को एक पेड़ की जड़ों के रूप में देखती हूं. ये नए पत्ते, फूल आदि इन जड़ों से ही अपना जीवन प्राप्त करते हैं. उनकी सुंदरता और उपयोगिता वृक्ष को समग्र रूप से मजबूती प्रदान करती है, जिससे यह पूर्ण हो जाता है. पीबीडी जो 2003 में शुरू हुआ था, अब हर साल नौ जनवरी को मनाया जाता है. यह दिन महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने की याद दिलाता है.'

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प्रवासी भारतीय दिवस का महत्व
प्रवासी भारतीय दिवस काफी महत्व रखता है क्योंकि यह दिन न केवल प्रवासी भारतीयों को अपनी जड़ों से जोड़ता है, बल्कि उनकी उपलब्धियों का जश्न भी मनाता है. यह दिन विदेशों में रह रहे भारतीयों के सामने आने वाली कठिनाइयों को भी स्वीकार करता है.

यह दिवस दुनिया के सभी देशों में अप्रवासी भारतीयों का एक नेटवर्क बनाने और युवा पीढ़ी को अप्रवासियों से जोड़ने में मदद करता है, ताकि वे विकसित हो सकें और इसके विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें. यह दिन भारत के राष्ट्रपिता की दक्षिण अफ्रीका से वापसी की याद दिलाता है. जिन्हें भारत को ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त कराने के लिए सबसे बड़े प्रवासी के रूप में जाना जाता है.

दो सत्रों में आयोजित हुआ सम्मेलन
16वें पीबीडी सम्मेलन में दो सत्र शामिल थे. जिनमें आत्मानिर्भर भारत और कोविड के बाद की चुनौतियां, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, सामाजिक और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के परिदृश्य शामिल हैं.

पीबीडी सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह भारत के लिए गर्व की बात है कि ऐसे अभूतपूर्व समय में प्रवासी भारतीयों ने बड़े पैमाने पर योगदान दिया है. पिछले वर्षों में अनिवासी भारतीयों ने अन्य देशों में अपनी पहचान मजबूत की है. उन्होंने कहा कि आज हम दुनिया के विभिन्न कोनों से इंटरनेट से जुड़े हुए हैं. लेकिन हमारे मन हमेशा मां भारती से जुड़े हुए हैं.

आत्मनिर्भर भारत और महामारी के दौरान इसकी भूमिका पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी ने आगे दोहराया कि भारत बाहर से पीपीई किट, मास्क, वेंटिलेटर और परीक्षण किट आयात करता था, लेकिन आज हमारा राष्ट्र आत्मनिर्भर है. आज भारत मेड इन इंडिया कोविड-19 टीकों के साथ मानवता को बचाने के लिए तैयार है.

Last Updated : Jan 9, 2021, 4:46 PM IST
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