नई दिल्ली : पर्यावरण सचिव लीना नंदन (India's Environment Secretary Leena Nandan) ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA) के पांचवें सत्र में कहा कि स्थलीय और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के साथ ही मानव जाति पर प्लास्टिक प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव से निपटने के लिए भारत प्रतिबद्ध है. नैरोबी में आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए नंदन ने कहा कि भारत ने 2019 में यूएनईए के पिछले सत्र में एक बार इस्तेमाल की जा सकने वाली प्लास्टिक के उत्पादों से होने वाले प्रदूषण पर ध्यान देने के लिए प्रस्ताव रखा था.
उन्होंने कहा, 'भारत प्लास्टिक प्रदूषण पर ध्यान देने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि स्थलीय और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर तथा मानव जाति पर उसके प्रतिकूल प्रभावों से निपटा जा सके.' उन्होंने कहा, 'सरकार ने नये प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के तहत प्लास्टिक पैकेजिंग पर विस्तारित उत्पादक जवाबदेही (ईपीआर) संबंधी दिशानिर्देशों को हाल में अधिसूचित किया.'
भारत की ओर से राष्ट्रीय वक्तव्य देते हुए सचिव ने यह भी कहा कि देश की विकास रणनीति के लिए टिकाऊ विकास अहम है. उन्होंने कहा, 'भारत टिकाऊ विकास की अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है और इस दिशा में वैश्विक प्रयासों का समर्थन करता है.' नंदन ने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि पृथ्वी को प्लास्टिक से मुक्त बनाना सभी सदस्य देशों की जिम्मेदारी होनी चाहिए और इसका संचालन राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए.
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यूएनईए में भारत का प्रतिनिधित्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव भी करेंगे. उन्होंने सोमवार को कहा था कि सतत उपयोग और पुनर्चक्रीकरण अर्थव्यवस्था के मुद्दों पर यूएनईए में भारत अहम भूमिका निभाता रहेगा. मंत्रालय के अनुसार रविवार को सदस्य देशों पेरू, रवांडा, जापान और भारत ने प्लास्टिक प्रदूषण पर तीन प्रस्ताव रखे थे.