ETV Bharat / bharat

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार : जर्मन नौसेना प्रमुख

जर्मनी के वाइस एडमिरल अचिम शॉनबाच ने भारत को इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार बताते हुए कहा कि दोनों देशों को नौसैनिक सहयोग को मजबूत करने और रणनीतिक जुड़ाव बढ़ाने के रास्ते तलाशने चाहिए. चीन पर विचार करते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि बीजिंग, भारत और जर्मनी दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार है, लेकिन इसके व्यवहार ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर दबाव डाला है.

author img

By

Published : Jan 21, 2022, 10:50 PM IST

India German strategic ties
भारत जर्मनी रणनीतिक संबंध

नई दिल्ली: जर्मन नौसेना के प्रमुख वाइस एडमिरल अचिम शॉनबाच (Vice Admiral Kay-Achim Schönbach) ने मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान (Manohar Parrikar Institute for Defence Studies and Analyses (MP-IDSA)) का दौरा किया और 'जर्मनी की हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीति' (‘Germany's Indo-Pacific Strategy’) पर एक भाषण दिया. इस अवसर पर बोलते हुए, वाइस एडमिरल अचिम शॉनबाच ने कहा कि इस क्षेत्र में जर्मन युद्ध पोत एफजीएस बायरन (एफ217)की तैनाती जर्मनी के हिंद-प्रशांत क्षेत्रनीति दिशानिर्देशों के अनुरूप है. जो समुद्री सुरक्षा और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हैं. इस क्षेत्र में अपनी सुरक्षा और रक्षा गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए जर्मनी की प्रतिबद्धता के बारे में बताते हुए, वाइस-एडमिरल ने कहा कि उनका देश खुले शिपिंग मार्गों, खुले बाजारों और मुक्त व्यापार का पक्षधर है. साथ ही डिजिटलाइजेशन, कनेक्टिविटी और मानवाधिकारों का भी समर्थन करता है.

भारत को इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार बताते हुए वाइस एडमिरल अचिम शॉनबाच ने कहा कि दोनों देशों को नौसेना सहयोग को मजबूत करने और बढ़ाने के रास्ते तलाशने चाहिए. चीन पर विचार करते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि बीजिंग भारत और जर्मनी दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार है, लेकिन इसके व्यवहार ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर दबाव डाला है. जर्मन फ्रिगेट जर्मन युद्ध पोत एफजीएस बायरन (एफ217)की तैनाती को इस क्षेत्र में जर्मनी के नए सिरे से रणनीतिक हित के रूप में देखा जाता है.

पढ़ेंःindian ocean joint naval drill : ईरान, रूस और चीन के नौसैनिक तीसरी बार कर रहे युद्धाभ्यास

इससे पहले अपने स्वागत भाषण में सुजान आर. चिनॉय, महानिदेशक, एमपी-आईडीएसए ने लगभग दो दशकों के बाद क्षेत्र में जर्मन नौसेना की वापसी को 'व्यापक रणनीतिक प्रभावों के साथ एक महत्वपूर्ण समुद्री घटना' बताया. एशिया में चल रहे बदलावों पर प्रकाश डालते हुए चिनॉय ने कहा कि वैश्विक आर्थिक विकास के पारंपरिक इंजनों के पश्चिम से पूर्व की ओर संक्रमण ने भू-रणनीतिक परिदृश्य को बदल दिया है. समृद्धि पर अब एशिया के किसी विशेष हिस्से का एकाधिकार नहीं है. यह अधिक व्यापक है और हिंद-प्रशांत क्षेत्रकी समावेशी अवधारणा को जन्म देता है. यह क्षेत्र पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, अफ्रीका के पूर्वी तट तक फैला हुआ है.

चीन पर बोलते हुए चिनॉय ने कहा कि बीजिंग की वर्तमान आर्थिक और सैन्य नीतियों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्रमें भू-आर्थिक और भू-रणनीतिक क्षेत्र में असर डाला है. उन्होंने कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति और पड़ोसी देशों के साथ बढ़ते व्यापार के कारण आर्थिक और रणनीतिक हितों पर समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ मिलकर नेविगेशन और ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की एक बड़ी जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि भारत और जर्मनी को मिलकर काम करना चाहिए.

जर्मन युद्ध पोत मुंबई पहुंचा, राजदूत ने मुक्त समुद्री मार्गों पर जोर दिया

मुंबई: जर्मन युद्ध पोत एफजीएस बायरन (एफ217) शुक्रवार को मुंबई पहुंचा. वहीं, भारत में जर्मनी के राजदूत ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र अत्यधिक महत्व का है और उन्होंने मुक्त समुद्री मार्गों पर जोर दिया. युद्ध पोत का भारतीय नौसेना के एक बैंड ने एक समारोह में स्वागत किया. यहां जर्मन युद्ध पोत के आगमन को दोनों देशों के बीच एक मजबूत संबंध के तौर पर देखा जा रहा है.

जर्मन राजदूत वाल्टर लिंडनर ने कहा कि उनका देश और ज्यादातर यूरोपीय राष्ट्र इस बात से सहमत हैं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र पृथ्वी पर सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक है. उन्होंने कहा कि 60 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मलक्का जलडमरूमध्य के रास्ते होता है. उन्होंने कहा कि वहीं, दूसरी ओर, हमारे क्षेत्रीय तनाव हैं. कम से कम तीन परमाणु शक्ति देश हैं.

पढ़ेंःसाउथ चाइना सी में पहुंचा अमेरिकी युद्धपोत, चीन ने किया खदेड़ने का दावा

इसलिए, आपके लिए मुक्त समुद्री, नौवहन मार्गों की जरूरत है तथा आपके पास स्थिरता वाला एक शांतिपूर्ण क्षेत्र होना चाहिए...जहां टकरावों का परस्पर सहमति से समाधान हो. राजूदत ने कहा कि इस जहाज का आना यह प्रदर्शित करता है कि हम सिर्फ बात नहीं कर रहे हैं. वहीं,जर्मन दूतावास ने कहा कि बायरन का मुंबई आना, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में युद्ध पोत की तैनाती का अंतिम पड़ाव है. क्षेत्र में यह पिछले साल अगस्त से गश्त और प्रशिक्षण अभियान पर है, जिस दौरान वह विभिन्न देशों के बंदरगाहों पर पहुंचा.

विदेश सचिव श्रृंगला, जर्मनी के नौसेना प्रमुख ने समुद्री सुरक्षा सहयोग पर चर्चा की

नयी दिल्ली: विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और जर्मनी की नौसेना के प्रमुख के-अचिम शॉनबाच ने बृहस्पतिवार को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जर्मनी द्वारा अधिक भागीदारी के संदर्भ में समुद्री सुरक्षा सहयोग पर चर्चा की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि श्रृंगला ने यहां जर्मनी के नौसेना प्रमुख का स्वागत किया. बागची ने ट्वीट किया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जर्मनी द्वारा हाल के हिंद-प्रशांत दिशा-निर्देशों के अनुरूप अधिक से अधिक भागीदारी के संदर्भ में समुद्री सुरक्षा सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया. जर्मन नौसेना प्रमुख शॉनबाच ने यहां भारतीय नौसेना प्रमुख आर हरि कुमार से भी मुलाकात की और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की.

नई दिल्ली: जर्मन नौसेना के प्रमुख वाइस एडमिरल अचिम शॉनबाच (Vice Admiral Kay-Achim Schönbach) ने मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान (Manohar Parrikar Institute for Defence Studies and Analyses (MP-IDSA)) का दौरा किया और 'जर्मनी की हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीति' (‘Germany's Indo-Pacific Strategy’) पर एक भाषण दिया. इस अवसर पर बोलते हुए, वाइस एडमिरल अचिम शॉनबाच ने कहा कि इस क्षेत्र में जर्मन युद्ध पोत एफजीएस बायरन (एफ217)की तैनाती जर्मनी के हिंद-प्रशांत क्षेत्रनीति दिशानिर्देशों के अनुरूप है. जो समुद्री सुरक्षा और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हैं. इस क्षेत्र में अपनी सुरक्षा और रक्षा गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए जर्मनी की प्रतिबद्धता के बारे में बताते हुए, वाइस-एडमिरल ने कहा कि उनका देश खुले शिपिंग मार्गों, खुले बाजारों और मुक्त व्यापार का पक्षधर है. साथ ही डिजिटलाइजेशन, कनेक्टिविटी और मानवाधिकारों का भी समर्थन करता है.

भारत को इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार बताते हुए वाइस एडमिरल अचिम शॉनबाच ने कहा कि दोनों देशों को नौसेना सहयोग को मजबूत करने और बढ़ाने के रास्ते तलाशने चाहिए. चीन पर विचार करते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि बीजिंग भारत और जर्मनी दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार है, लेकिन इसके व्यवहार ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर दबाव डाला है. जर्मन फ्रिगेट जर्मन युद्ध पोत एफजीएस बायरन (एफ217)की तैनाती को इस क्षेत्र में जर्मनी के नए सिरे से रणनीतिक हित के रूप में देखा जाता है.

पढ़ेंःindian ocean joint naval drill : ईरान, रूस और चीन के नौसैनिक तीसरी बार कर रहे युद्धाभ्यास

इससे पहले अपने स्वागत भाषण में सुजान आर. चिनॉय, महानिदेशक, एमपी-आईडीएसए ने लगभग दो दशकों के बाद क्षेत्र में जर्मन नौसेना की वापसी को 'व्यापक रणनीतिक प्रभावों के साथ एक महत्वपूर्ण समुद्री घटना' बताया. एशिया में चल रहे बदलावों पर प्रकाश डालते हुए चिनॉय ने कहा कि वैश्विक आर्थिक विकास के पारंपरिक इंजनों के पश्चिम से पूर्व की ओर संक्रमण ने भू-रणनीतिक परिदृश्य को बदल दिया है. समृद्धि पर अब एशिया के किसी विशेष हिस्से का एकाधिकार नहीं है. यह अधिक व्यापक है और हिंद-प्रशांत क्षेत्रकी समावेशी अवधारणा को जन्म देता है. यह क्षेत्र पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, अफ्रीका के पूर्वी तट तक फैला हुआ है.

चीन पर बोलते हुए चिनॉय ने कहा कि बीजिंग की वर्तमान आर्थिक और सैन्य नीतियों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्रमें भू-आर्थिक और भू-रणनीतिक क्षेत्र में असर डाला है. उन्होंने कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति और पड़ोसी देशों के साथ बढ़ते व्यापार के कारण आर्थिक और रणनीतिक हितों पर समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ मिलकर नेविगेशन और ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की एक बड़ी जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि भारत और जर्मनी को मिलकर काम करना चाहिए.

जर्मन युद्ध पोत मुंबई पहुंचा, राजदूत ने मुक्त समुद्री मार्गों पर जोर दिया

मुंबई: जर्मन युद्ध पोत एफजीएस बायरन (एफ217) शुक्रवार को मुंबई पहुंचा. वहीं, भारत में जर्मनी के राजदूत ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र अत्यधिक महत्व का है और उन्होंने मुक्त समुद्री मार्गों पर जोर दिया. युद्ध पोत का भारतीय नौसेना के एक बैंड ने एक समारोह में स्वागत किया. यहां जर्मन युद्ध पोत के आगमन को दोनों देशों के बीच एक मजबूत संबंध के तौर पर देखा जा रहा है.

जर्मन राजदूत वाल्टर लिंडनर ने कहा कि उनका देश और ज्यादातर यूरोपीय राष्ट्र इस बात से सहमत हैं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र पृथ्वी पर सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक है. उन्होंने कहा कि 60 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मलक्का जलडमरूमध्य के रास्ते होता है. उन्होंने कहा कि वहीं, दूसरी ओर, हमारे क्षेत्रीय तनाव हैं. कम से कम तीन परमाणु शक्ति देश हैं.

पढ़ेंःसाउथ चाइना सी में पहुंचा अमेरिकी युद्धपोत, चीन ने किया खदेड़ने का दावा

इसलिए, आपके लिए मुक्त समुद्री, नौवहन मार्गों की जरूरत है तथा आपके पास स्थिरता वाला एक शांतिपूर्ण क्षेत्र होना चाहिए...जहां टकरावों का परस्पर सहमति से समाधान हो. राजूदत ने कहा कि इस जहाज का आना यह प्रदर्शित करता है कि हम सिर्फ बात नहीं कर रहे हैं. वहीं,जर्मन दूतावास ने कहा कि बायरन का मुंबई आना, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में युद्ध पोत की तैनाती का अंतिम पड़ाव है. क्षेत्र में यह पिछले साल अगस्त से गश्त और प्रशिक्षण अभियान पर है, जिस दौरान वह विभिन्न देशों के बंदरगाहों पर पहुंचा.

विदेश सचिव श्रृंगला, जर्मनी के नौसेना प्रमुख ने समुद्री सुरक्षा सहयोग पर चर्चा की

नयी दिल्ली: विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और जर्मनी की नौसेना के प्रमुख के-अचिम शॉनबाच ने बृहस्पतिवार को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जर्मनी द्वारा अधिक भागीदारी के संदर्भ में समुद्री सुरक्षा सहयोग पर चर्चा की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि श्रृंगला ने यहां जर्मनी के नौसेना प्रमुख का स्वागत किया. बागची ने ट्वीट किया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जर्मनी द्वारा हाल के हिंद-प्रशांत दिशा-निर्देशों के अनुरूप अधिक से अधिक भागीदारी के संदर्भ में समुद्री सुरक्षा सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया. जर्मन नौसेना प्रमुख शॉनबाच ने यहां भारतीय नौसेना प्रमुख आर हरि कुमार से भी मुलाकात की और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.