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I.N.D.I.A. बरकरार, नीतीश कुमार का JDU प्रमुख बनना आंतरिक मामला- कांग्रेस पार्टी

Janta Dal United, New President of Janta Dal United, जनता दल-यूनाइटेड की अध्यक्षता से लल्लन सिंह के इस्तीफे के बाद I.N.D.I.A. गठबंधन को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं. इसे लेकर कांग्रेस पार्टी का कहना है कि गठबंधन बरकरार है और यह नीतीश कुमार की पार्टी का आंतरिक मामला है. पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट...

Nitish Kumar
नीतीश कुमार
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 31, 2023, 4:39 PM IST

Updated : Dec 31, 2023, 5:24 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने रविवार को विश्वास जताया कि बिहार में I.N.D.I.A. गठबंधन बरकरार है और कहा कि जनता दल-यूनाइटेड की कमान संभालने का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हालिया कदम क्षेत्रीय पार्टी को सुरक्षित करने के लिए था, न कि पूर्व सहयोगी भाजपा के लिए संकेत. एक अचानक कदम में, जद-यू की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की 29 दिसंबर को नई दिल्ली में बैठक हुई और वरिष्ठ नेता लल्लन सिंह के स्थान पर नीतीश कुमार को पार्टी प्रमुख चुना गया.

ऐसी खबरें थीं कि ललन सिंह विधायकों के एक समूह का नेतृत्व कर सकते हैं और राजद में शामिल हो सकते हैं. हालांकि, राजनीतिक हलकों में जद-यू में नेतृत्व परिवर्तन की व्याख्या इस रूप में की गई कि नीतीश कुमार 2024 के राष्ट्रीय चुनावों के लिए I.N.D.I.A. गठबंधन सीट-बंटवारे को लेकर कांग्रेस से नाराज हैं और अपने पूर्व सहयोगी भाजपा को पुनर्मिलन के लिए प्रस्ताव दे रहे हैं.

एआईसीसी के बिहार प्रभारी सचिव अजय कपूर ने ईटीवी भारत को बताया कि 'I.N.D.I.A. गठबंधन बरकरार है. मुझे नहीं लगता कि नीतीश कुमार बीजेपी की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने अपनी पार्टी को सुरक्षित करने के लिए जद-यू की कमान संभाली है. क्षेत्रीय पार्टी को विभाजन के खतरों का सामना करना पड़ रहा है.' एआईसीसी पदाधिकारी के विचार बिहार के दो पूर्व कांग्रेस दिग्गजों ने साझा किए.

कांग्रेस वर्किंग कमेटी के पूर्व सदस्य तारिक अनवर ने कहा कि 'मुझे लगता है कि नीतीश कुमार ओबीसी मुद्दे को उछाल रहे हैं. इसलिए, वह एक संदेश देने के लिए ऊंची जाति के लल्लन सिंह के बजाय एक ओबीसी पार्टी प्रमुख चाहते थे. ऐसा लगता है कि यह कदम विपक्षी गठबंधन से ज्यादा जद-यू की आंतरिक राजनीति से प्रेरित है. नीतीश कुमार एनडीए में वापस नहीं जा सकते, क्योंकि भाजपा ने उन्हें अपमानित किया है.'

उन्होंने कहा कि '2019 में बीजेपी ने उनकी पार्टी में सेंध लगाने की भी कोशिश की.' पूर्व केंद्रीय मंत्री शकील अहमद ने ईटीवी भारत से कहा कि 'मुझे नहीं लगता कि नीतीश कुमार भाजपा के पास जा रहे हैं. नेतृत्व परिवर्तन जद-यू का आंतरिक मामला है और नीतीश कुमार पहले भी पार्टी का नेतृत्व कर चुके हैं. इसके अलावा, अगर वे भाजपा में वापस जा रहे होते, तो लल्लन सिंह सार्वजनिक रूप से भगवा पार्टी पर हमला नहीं कर रहे होते.'

जद-यू के नेतृत्व परिवर्तन ने खलबली मचा दी थी, क्योंकि नीतीश कुमार ने 2024 में भाजपा से मुकाबला करने के लिए 28 सदस्यीय I.N.D.I.A. गठबंधन के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और आगामी लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले उनके बाहर निकलने से विपक्षी एकता को गंभीर नुकसान होगा. अनवर और अहमद दोनों ने कहा कि विपक्षी गठबंधन बरकरार है और बिहार में सीट बंटवारे पर बातचीत जल्द ही शुरू होगी.

इससे पहले, बिहार के नेताओं ने पूर्वी राज्य में सीट-बंटवारे की संभावनाओं पर सबसे पुरानी पार्टी की पांच सदस्यीय राष्ट्रीय गठबंधन समिति को जानकारी दी है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस को बिहार की कुल 40 में से लगभग 7-8 संसदीय सीटें मिलने की संभावना है, हालांकि राज्य के नेताओं द्वारा 10 सीटों की मांग की गई है. जद-यू-राजद-कांग्रेस-वाम दल बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा हैं.

साल 2019 में नीतीश कुमार भाजपा के साथ थे, लेकिन 2022 में उन्होंने भगवा पार्टी छोड़ दी, जब उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी बरकरार रखने के लिए राजद और कांग्रेस से हाथ मिला लिया. नीतीश कुमार ने राज्य जाति जनगणना भी प्रकाशित की, जिसने भाजपा की हिंदुत्व राजनीति का मुकाबला करने के लिए देश भर में नए सिरे से ओबीसी गिनती की राहुल गांधी की मांग को बल दिया है.

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने रविवार को विश्वास जताया कि बिहार में I.N.D.I.A. गठबंधन बरकरार है और कहा कि जनता दल-यूनाइटेड की कमान संभालने का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हालिया कदम क्षेत्रीय पार्टी को सुरक्षित करने के लिए था, न कि पूर्व सहयोगी भाजपा के लिए संकेत. एक अचानक कदम में, जद-यू की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की 29 दिसंबर को नई दिल्ली में बैठक हुई और वरिष्ठ नेता लल्लन सिंह के स्थान पर नीतीश कुमार को पार्टी प्रमुख चुना गया.

ऐसी खबरें थीं कि ललन सिंह विधायकों के एक समूह का नेतृत्व कर सकते हैं और राजद में शामिल हो सकते हैं. हालांकि, राजनीतिक हलकों में जद-यू में नेतृत्व परिवर्तन की व्याख्या इस रूप में की गई कि नीतीश कुमार 2024 के राष्ट्रीय चुनावों के लिए I.N.D.I.A. गठबंधन सीट-बंटवारे को लेकर कांग्रेस से नाराज हैं और अपने पूर्व सहयोगी भाजपा को पुनर्मिलन के लिए प्रस्ताव दे रहे हैं.

एआईसीसी के बिहार प्रभारी सचिव अजय कपूर ने ईटीवी भारत को बताया कि 'I.N.D.I.A. गठबंधन बरकरार है. मुझे नहीं लगता कि नीतीश कुमार बीजेपी की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने अपनी पार्टी को सुरक्षित करने के लिए जद-यू की कमान संभाली है. क्षेत्रीय पार्टी को विभाजन के खतरों का सामना करना पड़ रहा है.' एआईसीसी पदाधिकारी के विचार बिहार के दो पूर्व कांग्रेस दिग्गजों ने साझा किए.

कांग्रेस वर्किंग कमेटी के पूर्व सदस्य तारिक अनवर ने कहा कि 'मुझे लगता है कि नीतीश कुमार ओबीसी मुद्दे को उछाल रहे हैं. इसलिए, वह एक संदेश देने के लिए ऊंची जाति के लल्लन सिंह के बजाय एक ओबीसी पार्टी प्रमुख चाहते थे. ऐसा लगता है कि यह कदम विपक्षी गठबंधन से ज्यादा जद-यू की आंतरिक राजनीति से प्रेरित है. नीतीश कुमार एनडीए में वापस नहीं जा सकते, क्योंकि भाजपा ने उन्हें अपमानित किया है.'

उन्होंने कहा कि '2019 में बीजेपी ने उनकी पार्टी में सेंध लगाने की भी कोशिश की.' पूर्व केंद्रीय मंत्री शकील अहमद ने ईटीवी भारत से कहा कि 'मुझे नहीं लगता कि नीतीश कुमार भाजपा के पास जा रहे हैं. नेतृत्व परिवर्तन जद-यू का आंतरिक मामला है और नीतीश कुमार पहले भी पार्टी का नेतृत्व कर चुके हैं. इसके अलावा, अगर वे भाजपा में वापस जा रहे होते, तो लल्लन सिंह सार्वजनिक रूप से भगवा पार्टी पर हमला नहीं कर रहे होते.'

जद-यू के नेतृत्व परिवर्तन ने खलबली मचा दी थी, क्योंकि नीतीश कुमार ने 2024 में भाजपा से मुकाबला करने के लिए 28 सदस्यीय I.N.D.I.A. गठबंधन के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और आगामी लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले उनके बाहर निकलने से विपक्षी एकता को गंभीर नुकसान होगा. अनवर और अहमद दोनों ने कहा कि विपक्षी गठबंधन बरकरार है और बिहार में सीट बंटवारे पर बातचीत जल्द ही शुरू होगी.

इससे पहले, बिहार के नेताओं ने पूर्वी राज्य में सीट-बंटवारे की संभावनाओं पर सबसे पुरानी पार्टी की पांच सदस्यीय राष्ट्रीय गठबंधन समिति को जानकारी दी है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस को बिहार की कुल 40 में से लगभग 7-8 संसदीय सीटें मिलने की संभावना है, हालांकि राज्य के नेताओं द्वारा 10 सीटों की मांग की गई है. जद-यू-राजद-कांग्रेस-वाम दल बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा हैं.

साल 2019 में नीतीश कुमार भाजपा के साथ थे, लेकिन 2022 में उन्होंने भगवा पार्टी छोड़ दी, जब उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी बरकरार रखने के लिए राजद और कांग्रेस से हाथ मिला लिया. नीतीश कुमार ने राज्य जाति जनगणना भी प्रकाशित की, जिसने भाजपा की हिंदुत्व राजनीति का मुकाबला करने के लिए देश भर में नए सिरे से ओबीसी गिनती की राहुल गांधी की मांग को बल दिया है.

Last Updated : Dec 31, 2023, 5:24 PM IST
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