जयपुर : राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने शनिवार को कहा कि राज्य के स्कूलों में बालिका शिक्षा से जुड़े गौरवमयी चरित्रों के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चों को ना केवल प्राचीन ज्ञान से जोड़ा जा सकेगा, बल्कि उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी मिलेगी.
राज्यपाल मिश्र शनिवार को सिरोही जिले में राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय शिवगंज के अतिरिक्त नवीन भवन के शिलान्यास के कार्यक्रम को ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे.
मिश्र ने 1852 में देश में बालिकाओं के लिए पहले विद्यालय की स्थापना करने वाली प्रख्यात समाज सुधारक सावित्री बाई फुले को याद करते हुए कहा कि किसी भी समाज के सर्वांगीण विकास का आधार बालिका शिक्षा ही है. उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश के आर्थिक और सामाजिक विकास को गति देने के लिए लड़कियों को पढ़ने और आगे बढ़ने के अधिकाधिक अवसर देने होंगे.
उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों का व्यक्तित्व निर्माण करना भी है, इससे उनमें मौलिक सोच विकसित होती है. उन्होंने कहा कि समाज में ऐसा वातावरण निर्मित करना होगा जिससे लड़के-लड़कियों में भेद की सोच को खत्म किया जाए.
राज्यपाल ने कहा कि देश की नई शिक्षा नीति व्यापक विचार विमर्श के पश्चात तैयार की गई है. इसमें सह-पाठयक्रम (को-एड), पाठ्येत्तर गतिविधियों के साथ व्यावसायिक एवं गैर व्यावसायिक विषयों को समाहित करते हुए लचीली शिक्षण पद्धति पर बल दिया गया है. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में विज्ञान, कला, संस्कृति के साथ-साथ भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों से संबद्ध अध्ययन की स्वतंत्रता भी दी गई है.
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जिला प्रभारी तथा खान एवं गोपालन विभाग मंत्री प्रमोद भाया ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस दौर में बालक-बालिकाओं को शिक्षा के लिए बेहतरीन संसाधन-सुविधाएं उपलब्ध करवाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है.
शिक्षा राज्यमंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों से राजस्थान में शिक्षा के क्षेत्र में उत्तरोत्तर सुधार हो रहा है. हाल ही जारी शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स की रिपोर्ट में राजस्थान को दिल्ली, महाराष्ट्र जैसे राज्यों के साथ ऊपर से दूसरी श्रेणी (ग्रेड वन प्लस) में रखा गया है.
(पीटीआई-भाषा)